सर्जिकल स्ट्राइक सेना के द्वारा किया जानेवाला एक विशेष प्रकार का हमला होता है. इस हमले में सबसे पहले रणनीति तैयार की जाती है. इसमें समय, स्थान, कमांडोज की संख्या का विशेष तौर पर ख्याल रखा जाता है. इस अभियान की जानकारी बेहद गोपनीय रखी जाती है, जिसकी सूचना सिर्फ चुनिंदा लोगों तक ही होती है. हमले के दौरान ध्यान रखा जाता है कि जिस स्थान को टारगेट किया गया है वहीं पर हमला हो.
29 सितंबर 2016 को पाकिस्तान में घुस कर भारतीय सेना के जवानों ने सर्जिकल स्ट्राइक कर आतंकवादियों को न सिर्फ मौत के घाट उतारा था, बल्कि उसके कई कैंपों को तबाह कर दिया था. उरी बेस कैंप पर हुए आतंकी हमले और पठानकोट का बदला लेते हुए भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक कर पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया था और यह बताने की कोशिश की थी कि अगर आंतकवादी घनटनाओं पर लगाम नहीं लगाया गया तो भारतीय सेना उसके घर में भी घुस कर मार सकती है.
इस ऑपरेशन को अंजाम देने वाले सैन्य अफसरों जवानों का दुश्मन की मांद से जिंदा वापस लौटना आसान नहीं था. ऑपरेशन का हिस्सा रहे फोर्स के एक कैप्टन ने बताया कि इस सर्जिकल स्ट्राइक में जितना आसान दुश्मन के एरिया में जाना था, उतना ही मुश्किल ऑपरेशन फतह कर वापस लौटना था. क्योंकि तब तक फोर्स की पोजिशन दुश्मन को मालूम चल चुकी थी. सैन्य अधिकारी के अनुसार सरहद पार आतंकियों के लांचिंग पैड तबाह करने के बाद ऑपरेशन में शामिल इंडियन फोर्स की पोजिशन लोकेट हो गई थी. इसके बाद पाक सेना ने इंडियन फोर्स पर ताबड़तोड़ फायरिंग करते हुए उन्हें घेरने का प्रयास किया. पांच घंटे तक इंडियन फोर्स अपनी पोजिशन कायम रखते हुए पाक फायरिंग से जूझती रही. लेकिन इंडियन आर्मी की रणनीति खासी मजबूत थी, जिसके चलते सरहद पार फायरिंग से जूझ रहे इन जवानों को तुरंत हैवी कवर फायरिंग दी गई. अंतत: इंडियन फोर्स के सभी जवान सकुशल वापस देश की सीमा में लौट आए.
पाकिस्तान और पाक समर्थित आतंकियों को कड़ा सबक सिखाने के लिए 10 दिन तक इस ऑपरेशन की खास रणनीति तैयार की गई. ऑपरेशन 72 घंटे के लिए तैयार किया गया था, जिसमें इंडियन फोर्स को 2 से 4 किलोमीटर दुश्मन की सरहद के भीतर जाकर हमला करना था. अपनी मजबूत रणनीति के बदौलत फौज के जांबाज भारतीय सेना के इतिहास में सबसे टफ सर्जिकल स्ट्राइक को बिना कैजुएलिटी के वापस लौटे थे.