biharउत्तर बिहार को दक्षिण बिहार से जोड़ने के लिए सरकार का प्रयास अब रंग लाने लगा है. गंगा पर बन रहे इस पुल को इस क्षेत्र का लाइफ लाइन भी कह सकते हैं. शुरुआती झटकों के बाद खगड़िया के परबत्ता प्रखंड के दक्षिणी छोर में गंगा नदी पर अगुवानी और सुल्तानगंज घाटों के बीच विगत दो वर्षों से बनाए जा रहे फोर लेन पुल का काम फिर से तेजी पकड़ने लगा है. विगत अगस्त माह में आई बाढ़ के बाद से पुल निर्माण का कार्य बाधित था. इसके अलावा बाढ़ में निर्माण सामग्री मिश्रण के लिए लगाए गए मिनी प्लांट के साथ-साथ बड़ी मात्रा में निर्माण सामग्री डूब गई थी. बहरहाल निर्माण के लिए चयनित कंपनी एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शन लिमिटेड के अधिकारी व कर्मचारी अब इन परेशानियों से निबटकर काम को गति देने में जुट गए हैं.

बिहार सरकार की यह महत्वाकांक्षी परियोजना है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 23 फरवरी 2014 को परबत्ता के एमडी कॉलेज मैदान में इसका शिलान्यास किया था और 9 मार्च 2015 को मोरारका कॉलेज सुल्तानगंज के मैदान से पुल निर्माण का कार्यारंभ मुख्यमंत्री द्वारा किया गया. इस पुल के निर्माण से उत्तर तथा दक्षिण बिहार के बीच का फासला काफी कम हो जाएगा. इसके अलावा प्रति वर्ष श्रावणी मेला में देवघर जाने वाले लाखों कांवरियों को इससे फायदा होगा. इस पुल तथा सड़क के निर्माण से एन एच 31 तथा एनएच 80 आपस में जुड़ जाएंगे.

गौरतलब है कि परबत्ता प्रखंड तीन तरफ से गंगा नदी से घिरा एक द्वीप की तरह है. यहां के निवासियों को खेती तथा पशुपालन के लिए प्रतिदिन गंगा नदी को पार करना पड़ता है.  इसके अलावा खगड़िया जिला से दक्षिण बिहार जाने के लिए बड़ी संख्या में लोग अगुवानी सुल्तानगंज घाट के बीच गंगा नदी को नाव के सहारे पार करते हैं. अगुवानी घाट में विगत कई वर्षों से नियमों के विरुद्ध नौका का परिचालन जारी है.

बिना किसी सुरक्षा व्यवस्था के इन नावों के परिचालन से यात्रियों की जान हमेशा जोखिम में रहती है. परिवहन विभाग के नियमानुसार सभी नावों में भार संकेतक पट्टी, लाइफ जैकेट तथा आपातकालीन स्थिति में तेज आवाज करने वाली घंटी या सीटी का होना जरूरी है. किन्तु अगुवानी घाट में अवैज्ञानिक तरीके से पम्पसेट लगाकर बनाई गई नाव पर सवार यात्रियों की सुरक्षा भगवान भरोसे ही रहती है.

गंगा नदी पर पुल निर्माण के कार्य ने तेजी पकड़ लिया है, किन्तु भूमि अधिग्रहण की रफ्तार धीमी ही है. इस वजह से इस पुल निर्माण को उम्मीद की नजर से देखने वाले लोग इस बात को लेकर आशंकित हैं कि पुल निर्माण हो जाने के बावजूद एप्रोच पथ नहीं होने से लोगों को पुल का फायदा शीघ्र नहीं मिल पाएगा. जानकारों का कहना है कि दीघा पुल, मुंगेर पुल तथा विजय घाट पुल में एप्रोच नहीं रहने के कारण इन पुलों के बन जाने के बावजूद यह आम लोगों के लिए उपयोगी नहीं हो पा रहा है. अगर वही अगुवानी सुल्तानगंज पुल का भी हुआ तो सारी उम्मीदें धरी रह जाएंगी.

अंचल अधिकारी शिवशंकर गुप्ता ने बताया कि पुल निर्माण कंपनी द्वारा चिन्हित भूमि के अधिग्रहण को लेकर प्रक्रिया चल रही है. समय-समय पर कंपनी द्वारा दी गई सूचना पर काम को आगे बढ़ाया जा रहा है. भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया चलती रहेगी. इससे परियोजना का कार्य प्रभावित नहीं होगा. प्रथम दृष्टया किसानों और सरकार के पास उपलब्ध अभिलेख में अंतर होने का दावा किया जा रहा है. सभी अभिलेखों को देखने एवं परीक्षण करने के बाद ही स्पष्ट निर्णय लिया जा सकेगा.

क्या होगी पुल की विशेषता

  • फोर लेन पुल, जिसमें दो-दो लेन का दो अलग-अलग पुल बनेगा
  • गंगा की मुख्यधारा में पीलर की जगह केबल पर झूलता हुआ पुल होगा
  • दो पिलरों के बीच 125 मीटर की दूरी होगी.
  • पुल की कुल लंबाई-3160 मीटर
  • पुल का प्रकार-केबल स्टैंड आधारित
  • इंटेलीजेंट ट्रैफिक प्रणाली
  • पहुंच पथ की लंबाई-25 किमी
  • डॉल्फिन वेधशाला
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