वहीँ दूसरी तरफ देश की तमाम राज्य समेत केंद्र सरकार भले की किसान हितैषी होने के लाख दावे करे, मगर हकीकत कुछ और ही है. केंद्र और राज्य में दोनों जगह एक ही पार्टी की सरकार होने के बाद भी महाराष्ट्र में किसानों के हालात में कोई सुधार नहीं है. उल्टा यहां तंगहाली से परेशान किसानों की आत्महत्या करने की घटनाएं कम होने के बजाए लगातार बढ़ रही हैं.
खुद महाराष्ट्र सरकार ने ये बात स्वीकारी है बीते दो वर्षो में आठ हज़ार से ज़्यादा किसानों और खेतिहर मजूदर आत्महत्या कर चुके हैं. इनमें से करीब नब्बे फीसदी किसान ऐसे हैं, जिन्होंने कर्ज न चुका पाने के चलते आत्महत्या की. विधानसभा में यह आंकड़ा सरकार ने सदन के पटल पर रखा है .
दूसरी तरफ कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष इसी को मुद्दा को बनाकर सरकार को घेरने में जूटा है. वो संघर्ष यात्रा के ज़रिये किसानों के क़र्ज़ माफ़ी के नाम पर अपनी राजनीति करने में भी कोई कोर कसार नहीं छोड़ रहा है. विधानभवन परिसर में विपक्ष के नेता धरने पर बैठे और सरकार के खिलाफ कर रहें हैें नारेबाजी और किसानों को कर्जमाफी की मांग कर रहें हैं.
इसी बीच महाराष्ट्र में चंद्रपुर जिले के एक किसान ने खुदकुशी कर ली है . बताया जा रहा है कि यह किसान कर्ज के बोझ से परेशान था, इसलिए उन्होंने ज़हर पीकर जान दे दी. हैरान करने वाली बात ये है की इस किसान ने तब ख़ुदकुशी की जब खुद मुख्यमंत्री इलाके में सभा करने वाले थे. परिवार के मुताबिक़ इस किसान पर 1 लाख रुपये से ज्यादा का कृषि ऋण था.इससे पहले सतारा में दो सगे भाइयों क़र्ज़ के बोझ तले डाब कर ख़ुदकुशी कर ली थी. महज़ महीने भर के अंदर करीब 100 किसान मौत की बलिवेदी पर चढ़ चुके हैं
यूपी के बाद महाराष्ट्र में भी किसान कर्जमाफी की मांग जोरशोर से होने लगी है । विपक्ष का सदन के बाहर हंगामा जारी है। इन सबके बीच दबाव में आयी महाराष्ट्र सर्कार की तरफ से खुद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने वित्त सचिव को यूपी कर्जमाफी का अध्यन कर कर्जमाफी के सन्दर्भ में रिपोर्ट तैयार करने कहा ।