उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में गाड़ी रोक कर परिवार वालों के सामने महिला और 13 साल की बिटिया के साथ किए गए सामूहिक बलात्कार की घटना से पूरा देश मर्माहत है, ऐसे में समाजवादी पार्टी के नेता और मंत्री आजम खान ने इस जघन्य बलात्कार कांड को विपक्ष की साजिश कह कर सपा के ताबूत में कील ठोक दी. सपा के नेता खुद ही दबी जुबान से कह रहे हैं कि सपा का नुकसान जितना आजम खान ने किया उतना सपा के दुश्मनों ने नहीं किया. आजम खान के बयान से खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व अन्य वरिष्ठ नेता हतप्रभ हैं. उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि आजम खान के बयान से सपा का बैनर जितना फटा है, उसकी रफूगीरी कैसे हो!
बुलंदशहर की घटना विपक्ष की साजिश है, ऐसा कह कर आजम खान ने देश और प्रदेश को अपने मौलिक चरित्र का भी परिचय दिया है. आजम ने घटना को विपक्ष की साजिश करार देते हुए कहा कि यह जांच करानी चाहिए कि कहीं यह मामला राजनीति से प्रेरित होकर सरकार को बदनाम करने के लिए तो नहीं किया गया. ऐसे संवेदनशील मौके पर आजम ने अपने गिरने के स्तर का ध्यान रखे बगैर कहा कि इस समय विपक्ष किसी भी हद तक गिर सकता है. आजम को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने और कानूनी कार्रवाई किए जाने की मांगें उठने लगी हैं. धृष्टता की हद यह है कि अपने बयान पर खेद जताने की औपचारिकता निभाते हुए भी आजम ने दोबारा कहा कि यूपी में चुनाव करीब है और इतनी सारी घटनाएं जो हो रही हैं उनकी जांच जरूरी है. आजम ने कहा कि कहीं कोई विपक्षी दल जो सत्ता में आना चाहते हैं, वे सरकार को बदनाम करने के लिए यह कुकर्म तो नहीं कर रहे हैं. आजम आगे बोले कि राजनीति में अब इतनी गिरावट आ गई है कि कुछ भी हो सकता है. आजम के बयान से सामूहिक बलात्कार की घटना से पीड़ित परिवार की तकलीफ और बढ़ गई. आजम के विवादित बयान पर पीड़ित परिवार ने गहरा क्षोभ जताया और कहा कि जिसने इस तकलीफ को झेला है उसके दुख और सदमे को कोई संवेदनशील व्यक्ति ही समझ सकता है. पीड़ित बच्ची के पिता ने पूछा कि यदि आजम खान के साथ ऐसा ही हुआ होता तब भी क्या वह ऐसा ही बेजा बयान देते! पिता ने कहा कि हमें राजनीति नहीं, इंसाफ चाहिए. घटना के बाद से सदमे के कारण उनकी बिटिया एक शब्द भी बोल नहीं पाई है.
उल्लेखनीय है कि बीती 29 जुलाई की रात को नोएडा के सेक्टर-68 में रहने वाला एक परिवार अपने पैतृक गांव शाहजहांपुर जा रहा था. रात के तकरीबन डेढ़ बजे उनकी कार जैसे ही बुलंदशहर के दोस्तपुर गांव के फ्लाईओवर के पास पहुंची तभी उनकी गाड़ी में कुछ टकराने की आवाज हुई. गाड़ी चेक करने के लिए जैसे ही दोनों भाई नीचे उतरे तभी आधा दर्जन से ज्यादा हथियारबंद बदमाशों ने उन्हें बंधक बना लिया और हथियारों के बल पर कार को एकांत खेत में उतार कर ले गए. परिवार वालों के सामने ही अपराधियों ने मां-बेटी के साथ सामूहिक बलात्कार किया. विडंबना यह है कि घटनास्थल पुलिस चौकी से मात्र सौ मीटर की दूरी पर स्थित है और 100 नंबर पर बार-बार फोन किए जाने के बावजूद पुलिस सुबह साढ़े पांच मौके पर पहुंची. पुलिस पर गंभीर कोताही के आरोप हैं. इस घटना को लेकर उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था की हालत पर देशभर में थू-थू हुई. बुलंदशहर सामूहिक बलात्कार कांड लोकसभा में भी गूंजा, लेकिन अखिलेश सरकार पर केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की विशेष कृपा के कारण केंद्र ने राज्य सरकार को कानून व्यवस्था की ऐसी जहालत पर आड़े हाथों लेने से कन्नी काट ली.
राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस मामले को लेकर अखिलेश सरकार पर सवाल जरूर उठाए. महिला आयोग की अध्यक्ष ललित कुमार मंगलम ने प्रदेश की कानून व्यवस्था से लेकर, सामूहिक बलात्कार की घटना, अपराधियों के दुस्साहस और पुलिस की नपुंसक भूमिका पर गहरी नाराजगी जताई. विपक्षी दलों ने भी राज्य में बिगड़ी हुई कानून व्यवस्था के लिए अखिलेश सरकार की तीखी आलोचना की. भाजपा सांसद भोला सिंह ने आजम जैसे लोगों के नेता होने पर ही सवाल उठाया और कहा कि ऐसे लोगों के कारण ही अपराधियों के हौसले बढ़ते हैं. उन्होंने कहा कि केवल यही एक घटना नहीं है बल्कि उत्तर प्रदेश में मार्च 2015 से लेकर अबतक बलात्कार की 2752 और हत्या की 1246 घटनाएं हो चुकी हैं. सारे अपराध प्रदेश सरकार के संरक्षण में हो रहे हैं. सरकार के दबाव की वजह से पुलिस प्रशासन अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पा रहा है. भोला सिंह ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की. भाजपा ने बुलंदशहर की घटना को राज्य में फैले गुंडाराज की बानगी करार दिया. कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी ने भी कहा कि आजम का बयान अपराधियों का हौसला बढ़ाने वाला बयान है. उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा नेता मायावती ने राज्य के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से इस्तीफा मांगा और कहा कि उनसे उत्तर प्रदेश नहीं संभल रहा है, लिहाजा उन्हें नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री पद की दावेदार बनाई गईं दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कहा कि यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अब तक जो किया है उसे किनारे रखिए. अकेले बुलंदशहर की घटना ही अत्यंत दुखद, शर्मनाक और निर्मम है. अगर ऐसे मामलों में पुलिस भुक्तभोगी की मदद न करे तो इससे पता चलता है कि यूपी में कानून व्यवस्था की हालत कितनी खराब है और राज्य में लोग किस तरह असुरक्षित महसूस कर रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक जावेद अहमद ने कहा कि पीड़ितों ने फरीदाबाद निवासी बबलू चंद बावरिया को पहचान लिया है. एक और आरोपी नरेश सिंह पंजाब के भटिंडा का रहने वाला है. तीसरा अभियुक्त रईस अहमद घटनास्थल के पास सुतारी गांव का रहने वाला है. तीन में से एक का आपराधिक रिकॉर्ड रहा है और वह जेल में कुछ समय बिता चुका है. मुख्यमंत्री हों या डीजीपी, उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था की दुर्दशा पर कोई बोलने की स्थिति में नहीं है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ, इटावा, मैनपुरी, गाजियाबाद, बुलंदशहर समेत कई जिले अपराध के लिए बुरी तरह बदनाम हैं.
बलात्कार में नाम कमा रहा है यूपी
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में नेशनल हाईवे पर मां-बेटी के साथ हुई सामूहिक बलात्कार की घटना ने पूरे देश का ध्यान उत्तर प्रदेश की बदतर कानून व्यवस्था की तरफ खींचा है. घटना स्थल और पुलिस चौकी की तकरीबन सौ मीटर है. सूचना मिलने के बावजूद पुलिस के मौके पर नहीं पहुंचने की हरकत ने पुलिस के प्रति लोगों में अविश्वास को और गहरा बना दिया है. इससे अपराधियों का दुस्साहस बढ़ गया है. सरकार के आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में वर्ष 2014 से 2015 के बीच बलात्कार के मामलों में 161 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई. उत्तर प्रदेश राज्य क्राइम ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक 2014 में प्रदेश में 3,467 बलात्कार की घटनाएं हुई थीं. वर्ष 2015 में बलात्कार की घटनाएं बढ़कर 9,075 हो गईं. बलात्कार की घटनाओं का ग्राफ लगातार बढ़ने की दिशा में ही अग्रसर है. बलात्कार के प्रयास की घटनाओं में भी 30 फीसदी का इजाफा हुआ है. राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के 2014 के आंकड़े भी बताते हैं कि देश के अन्य राज्यों के मुकाबले उत्तर प्रदेश में हर साल बलात्कार की घटनाओं में इजाफा होता जा रहा है और यह राष्ट्रीय औसत से तकरीबन दोगुना है. पूरे देश में 2010 में बलात्कार की 22,172 घटनाएं दर्ज हुईं तो अकेले उत्तर प्रदेश में इस दरम्यान 1,563 घटनाएं दर्ज हुईं. देशभर में वर्ष 2014 में बलात्कार की 36,735 घटनाएं घटीं, जबकि अकेले यूपी में वर्ष 2014 के दौरान बलात्कार की 3,467 घटनाएं दर्ज हुईं. इस तरह उत्तर प्रदेश में बलात्कार की घटनाओं में 121 प्रतिशत का इजाफा दर्ज हुआ. यह वर्ष 2016 में अभी ही 160 प्रतिशत से ऊपर जा रहा है.
आज़म को कब तक झेलेंगे अखिलेश?
आजम खान को सृष्टि में शायद दो ही व्यक्ति पूरी तरह सही लगते होंगे, एक स्वयं और दूसरे उनके चहेते अधिकारी श्रीप्रकाश सिंह. आजम से लाभान्वित होते रहने वाले कुछ कट्टरतावादी पत्रकार भी उस कड़ी में नीचे जोड़े जा सकते हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और उनकी पार्टी की जड़ में मट्ठा डालने का काम करने में दो विभाग विशेष रूप से अग्रणी हैं, नगर विकास विभाग और लोक निर्माण विभाग. सपा सरकार पर जो लोग टाट का पैबंद बने हुए हैं, उनमें आजम खां अग्रणी हैं. आजम का बयान और प्रदेश के नगर नारकीय दृश्य पैदा कर रहे हैं. आजम के नेतृत्व में नगर विकास विभाग निकम्मेपन का पर्याय बना हुआ है. प्रदेश के सारे नगर नरक बने हुए हैं. सफाई का अभाव बीमारियां फैलाकर लोगों की जान लेने पर आमादा है तो जर्जर एवं गड्ढों से भरी हुई सड़कें लोगों की मौत एवं हड्डी-पसली टूटने का कारण बनी हुई हैं. नगर विकास विभाग एवं लोकनिर्माण विभाग की सड़कों में होड़ है कि किसकी दशा अधिक जर्जर है तथा कौन लोगों की अधिक जानें ले सकती हैं! आजम अपनी जहरीली जुबान के लिए मशहूर हैं. वे कब किसके लिए क्या गलत बोल जाएं, कोई ठिकाना नहीं. कुछ लोग कहते हैं कि जहरीली बातें बोले बिना आजम खां को खाना नहीं हजम होता. तभी तो उन्होंने बुलंदशहर के घिनौने सामूहिक बलात्कार कांड में भी यह जहर उगलने में कोताही नहीं की कि वह कांड राजनीतिक विरोधियों की साजिश है तथा वोट के लिए लोग किसी भी स्तर तक गिर सकते हैं. उस अमानुषिक घटना के पीड़ितों ने आजम खान को करारा जवाब दिया है. पीड़िता के पिता ने पूछा है कि यदि सामूहिक बलात्कार कांड का शिकार उनकी बेटी हुई होती तो क्या वह तब भी ऐसा बयान देते? पीड़िता के चाचा ने तो यहां तक कह दिया कि आजम खान पागल हो गए हैं, तभी ऐसा घृणित बयान उन्होंने दिया है. हालांकि आजम खां सफाई भी देने लग गए. लेकिन यह उनकी पुरानी आदत है. वह पहले ढेला मारकर शांत जल में उथलपुथल मचाते हैं और फिर इधर-उधर की बातों से सफाई देते हैं. वह प्रधानमंत्री और राज्यपाल तक को अपनी बदजुबानी का शिकार बनाने से नहीं हिचकते. गत दिवस बरेली में राजमार्ग पर एक शिक्षिका के साथ सनसनीखेज सामूहिक बलात्कार कांड हुआ. वहां सीवीगंज में राजमार्ग पर एक वैन पर सवार तीन दरिंदों ने सड़क पर जा रही एक शिक्षिका को वैन में खींच लिया तथा लगभग पांच किमी दूर बंडिया गांव के खेत में ले जाकर उससे सामूहिक बलात्कार किया. उसके बाद सड़क पर उसे फेंककर फरार हो गए. उन्होंने अपने दुष्कर्म की फोटोग्राफी भी की. क्या आजम खान इसे भी विपक्षियों की साजिश बताएंगे? जनता पूछ रही है कि अखिलेश यादव आजम खान को कब तक बर्दाश्त करते रहेंगे? मुख्यमंत्री जितनी जल्दी उनसे निजात पा लें, उतना उनके हित में होगा.
समाजवादी सरकार का सबसे बदनुमा दाग़
जिस समय प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव विकास के दावों के साथ प्रदेश के अगले विधानसभा चुनावों के बाद सत्ता में पुनरवापसी का सपना संजो रहे थे और सभी समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में बड़े-बड़े विज्ञापन प्रकाशित करा रहे थे ठीक उसी समय बुलंदशहर हाईवे पर मां-बेटी के साथ सामूहिक बलात्कार की शर्मनाक और समाज को हिलाकर रख देने वाली वारदात घटित हो गई. इस घटना में पीड़ित परिवार ने जो खुलासा किया वह बेहद दुखद और शर्मनाक परिस्थितियों को उजागर करता है. बुलंदशहर की घटना
समाजवादी सरकार पर बदनुमा धब्बा है. यह सरकार की कार्यप्रणाली और पुलिस के हाईटेक दावों की पोल खोलने वाली घटना है. यह घटना बता रही है कि यूपी पुलिस चाहे ई-थाना बना ले या फिर 100 नंबर और महिला हेल्पलाइन-1090 को लेकर अपनी पीठ ठोक ले, यूपी की पुलिस कभी सुधरने वाली नहीं. अभी बुलंदशहर घटना की गूंज मीडिया से लेकर संसद और राजनीतिक व प्रशासनिक गलियारों में थम भी नहीं पा रही थी कि 24 घंटों में पांच जिलों में बलात्कार और सामूहिक बलात्कार की वारदातें प्रकाश में आ गईं. यह घटनाएं सीतापुर, फतेहपुर, मेरठ, संभल, महोबा आदि जिलों में घटित हुईं. सभी घटनाओं में पुलिस की लापरवाही सामने आ रही है. फिरोजाबाद जिले में भी एक नवविवाहिता के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना हुई.
महिलाआंें के साथ अपराध व अभद्रता करने वालों के हौसले उत्तर प्रदेश में इतने अधिक बुलंद हो चुके हैं कि राजधानी लखनऊ में एक छात्रा के घर में घुसकर दबंग ने छेड़छाड़ की वारदात को अंजाम दे दिया. यह 1090 पुलिस सहायता का असली चेहरा है. जब से प्रदेश में समाजवादी सरकार का गठन हुआ है तब से प्रदेश में अपराधांें का ग्राफ काफी तेजी से बढ़ा है. प्रदेशभर मेंं महिलाओं की सुरक्षा नहीं रह गई है. एक से बढ़कर एक बलात्कार कांड सामने आ रहे हैं और बलात्कार की भुक्तभोगी महिलाओं की हत्या और उन पर तेजाब से हमले कर घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है. समाजवादी सरकार जहां विकास के खोखले दावों में मस्त है वहीं प्रदेश भर में बलात्कारी और अन्य जघन्य वारदात करने वाले अपराधी बेखौफ अपना काम कर रहे हैं. बुलंदशहर में घटी घटना पुलिस अधिकारियों की लापरवाही का एक बड़ा उदाहरण है उससे भी बड़ी पुलिस की लापरवाही लखनऊ मेें सामने आई. लखनऊ में एक हादसे में सड़क किनारे खड़े परिवार के पांच सदस्यों को एक ट्रक रौंदकर चला गया. पुलिस को सहायता के लिए फोन किया गया तब एक घंटे बाद पुलिस पहुंची. पुलिस की ऐसी हरकत पर नाराज हुए लोगों ने जमकर उपद्रव किया, लेकिन नतीजा तो कुछ नहीं निकला. राजधानी लखनऊ से लेकर अन्य जिलों में बलात्कार और हत्या के कई ऐसे मामले हुए जिनमें पुलिस आज तक कुछ नहीं कर पाई. लखनऊ के मोहनलालगंज में शिक्षिका से बलात्कार की घटना से आज तक पर्दा नहीं उठ पाया.