बौद्ध धर्मालंबियो के पवित्र आस्था के केन्द्र तथागत की तपोभूमि बोधगया इन दिनों आतंकियों के निशाने पर है. वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल महाबोधि मंदिर को नुकसान पहुंचाने के लिए आतंकियों ने दो-दो बार प्रयास किया, लेकिन आतंकी अपने मंसूबे में पूर्ण रूप से सफल नहीं हो सके. तीसरी बार कालचक्र मैदान के पास स्थित एक सार्वजनिक शौचालय से आठ माह बाद बम बरामद किया गया था. इसी से पता चलता है कि आतंकी बोधगया को बार-बार दहलाने का प्रयास कर रहे हैं.
पुलिस के पास नहीं है कोई रिकॉर्ड
गया जिला पुलिस और खुफिया एजेंसी तक को यह नहीं पता है कि बोधगया में कौन रह रहा है व कौन चला गया है? पुलिस की ओर से न तो बोधगया में रहने वाले किराएदारों की जानकारी ली जा रही है और न ही इसकी पड़ताल की जा रही है. नगर पंचायत की उपाध्यक्ष मनोरमा देवी के अनुसार, शहर में पांच हजार से ज्यादा अजनबी ठहरे हुए हैं. वहीं सशक्त स्थायी समिति के सदस्य और वार्ड पांच के पार्षद रामसेवक सिंह ने कहा कि एक कंपनी के नाम पर विभिन्न मुहल्लों में पांच सौ से अधिक बाहरी युवक किराए पर रहते हैं. स्थानीय पुलिस व नगर पंचायत के पास इनका कोई रिकॉर्ड नहीं है.
जानकारी के अनुसार, बोधगया में 60 से अधिक होटल, 150 गेस्ट हाउस और लगभग 160 बौद्ध मठ हैं. इनमें से कुछ ही होटल व रेस्ट हाउस ऐसे हैं, जो अपने यहां ठहरने वाले बाहरी लोगोें की रिपोर्ट हर दिन पुलिस को देते हैं. कंपनी व व्यवसाय के नाम पर काम करने और प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले हजारों बाहरी युवक यहां के विभिन्न इलाकों में रह रहे हैं. इनमें बिहार, झारखंड, यूपी, बंगाल व अन्य दूसरे प्रदेशोें के युवक शामिल हैं. लेकिन पुलिस के पास इनकी कोई जानकारी नहीं है.
यहां बौद्ध मठों में ठहरने वालों और मकान के किराएदारों तक के बारे में पुलिस के पास कोई रिकॉड नहीं है. हालांकि हाल में पुलिस ने निजी मकान मालिकों को किराएदारों का पूरा ब्योरा देने का फरमान जारी किया था. मगर समय गुजरने के बाद पुलिस सुस्त पड़ गई. इस मामले में बोधगया थानेदार शिव कुमार महतो ने बताया कि निजी मकानों और किराएदारों का सत्यापन किया जा रहा है.
सुरक्षा के पर्याप्त इंतज़ाम नहीं
मद्देनजर महाबोधि मंदिर को संवेदनशील मानते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. सुरक्षा के नाम पर प्रशासन ने यहां नया ट्रैफिक प्लान लागू कर दिया है. महाबोधि मंदिर के इलाके में चार पहिया वाहन नहीं जा सकते हैं. वाहनों को रोकने के लिए पुलिस चेक पोस्ट भी बना है. यहां 24 घंटेे पुलिस जवानों की तैनाती रहती है. लेकिन पुलिस और प्रशासन की लापारवाही सुरक्षा में सेंध लग सकती है.
शहर में संदिग्ध लोगोंे व गतिविधियों पर नजर रखने के लिए पुलिस व प्रशासन की ओर से किए जाने वाले प्रयास नाकाफी हैं. साथ ही कई सीसीटीवी कैमरे बंद पड़े हैं. अतंरराष्ट्रीय पर्यटक स्थल बोधगया और महाबोधि मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था को चौकस किए जाने को लेकर प्रशासनिक तौर पर बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं. आए दिन बोधगया में बीटीएमसी के सभागार में प्रशासन-पुलिस के वरीय अधिकारी सुरक्षा की समीक्षा करते रहते हैं. आतंकी बम विस्फोट का दंश झेल चुके बोधगया में तीसरी बार बम बरामद होने से एक बार फिर लोग सहम गए हैं.
आठ माह बाद बरामद हुआ बम
कालचक्र मैदान के पास शौचालय में आठ माह तक बम रहा. पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी. पुलिस की जांच में इतनी बड़ी चूूक कैसे हुई? सबसे बड़ा सवाल है कि जिस शौचालय से आतंकी की निशानदेही पर बम बरामद किया गया था, कालचक्र पूजा व दलाई लामा के प्रवचन के दौरान वहां पुलिस चौकी थी. पुलिस की तैनाती के बाद वहां बम कैसे पहुंचा? वहीं पर श्रद्धालुओं के बैठने के लिए पंडाल बनाया गया था. इस बम के मिलने से पर्यटकों व पर्यटन व्यवसाय पर प्रतिकूल असर पड़ेगा.
म्यांमार में रोहिंग्या आतंकियों के कत्लेआम का बदला लेने के लिए बांग्लादेशी जमात-इल मुजाहिदीन आतंकी संगठन ने 19 जनवरी 2018 को बोधगया में बम प्लांट किया था. वारदात के समय दलाई लाम भी बोधगया में मौजूद थे. सूत्रों के अनुसार, इस मामले में एनआईए अभी तक 8 आतंकियों को गिरफ्तार कर चुकी है. बोधगया बम प्लांट मामले में झारखंड के पाकुड़ से जमात-इल-मुजाहिदीन बांग्लादेश के आतंकवादी दिलावर हुसैन उर्फ उमर को गिरफ्तार किया था.
वह मूल रूप से पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के कालियाचक थाना क्षेत्र के सुल्तानगंज का रहने वाला है. बोधगया में बम पहुंचाने और आईईडी बनाने में उसकी अहम भूमिका रही थी. जानकारी के मुताबिक, बेंगलुरू से गिरफ्तार किए गए दो आतंकियों से पूछताछ और मुखबिरों की मदद से उसे पकड़ा गया था. आज भी बोधगया में सुरक्षा के दावों के बावजूद अनेक तरह के पेंच फंसे नजर आते हैं. प्रतिदिन प्रतिबंधित क्षेत्र में छोटे-बडे़ वाहनों का आना-जाना लगा रहता है. इस मामले में तैनात सुरक्षा कर्मियों की लापरवाही कहीं बड़ी घटना को अंजाम न दे दे.