yogi aditya nathपाकिस्तानी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक हो या काले धन पर हमले के रूप में नोटबंदी का फैसला, भारतीय जनता पार्टी को इनसे उत्तर प्रदेश में कोई फायदा मिलता नहीं दिख रहा है.

भाजपा ने उत्तर प्रदेश में परिवर्तन यात्रा की शुरुआत इसी रणनीति के साथ की थी कि सर्जिकल स्ट्राइक और नोटबंदी के कारण प्रदेश में परिवर्तन यात्रा को व्यापक जन-समर्थन मिलेगा. लेकिन नतीजा भाजपा की अपेक्षा के मुताबिक नहीं हुआ. एक चुनावी चेहरा आगे करने के बजाय चेहरों की भीड़ लेकर निकल रही परिवर्तन यात्रा आम जनता को तो छोड़िए, पार्टी कार्यकर्ताओं को भी भ्रम और भटकाव में डाल रही है.

भाजपा की परिवर्तन यात्राओं में जिस तरह के पोस्टरों का इस्तेमाल हो रहा है वह यह घोषणा कर रहा है कि भाजपा उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में किसी एक प्रभावशाली चेहरे को आगे करने के बजाय दर्जनों नेताओं के चेहरे का घालमेल कर जनता में भी भ्रम फैलाने का काम करेगी. चुनाव को व्यक्ति केंद्रित नहीं बनाने की भाजपा की रणनीति मोदी-केंद्रित राजनीति के विरोधाभास में फंसी हुई है.

मोदी-केंद्रित पोस्टरों पर लगे चेहरों के गुच्छे में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय गृह मंत्री और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह, मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती, केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य के चेहरे गुंथे हुए दिखते हैं

लेकिन गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ का चेहरा पोस्टरों से करीब-करीब नदारद ही है. इसके खिलाफ आवाजें भी उठने लगी हैं. आवाजें अभी धीरे-धीरे उठ रही हैं और जोर पकड़ने की तरफ अग्रसरित हैं.

परिवर्तन यात्रा में पोस्टरों पर चस्पा सिंह-मिश्र-भारती-मौर्य के चेहरे से जातीय समन्वय स्थापित करने का भाजपाई तर्क लोगों को समझ में नहीं आ रहा है. लोग ही क्या कार्यकर्ता भी सवाल उठा रहे हैं कि राजपूत-ब्राह्मण-पिछड़ी जातियों का प्रतिनिधि चेहरा तो दिख रहा है, लेकिन इनमें दलित चेहरा क्यों नहीं है?

सहारनपुर से शुरू हुई भाजपा की परिवर्तन यात्रा झांसी होती हुई पूर्वी उत्तर प्रदेश के सोनभद्र से बलिया तक पहुंची. 24 दिसम्बर तक चलने वाली इस यात्रा में कुल 17 हजार किलोमीटर क्षेत्र कवर होगा, जिसमें 403 विधानसभा सीटें शामिल हैं.

यह यात्रा लखनऊ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के साथ समाप्त होगी. यात्रा में मोदी की छह सभाएं और राष्ट्रीय नेताओं की 30 बड़ी सभाएं समायोजित हैं. परिवर्तन यात्रा में उम्मीद के मुताबिक व्यापक जन-भागीदारी का अभाव सामने आया. मोदी की जनसभाओं में भीड़ जरूर जुटी.

परिवर्तन यात्रा को लेकर बड़े-बड़े मंसूबे बांधने वाले भाजपा नेतृत्व को तमाम झटके लग रहे हैं. सभाओं में कुर्सियों का खाली रहना और नोटबंदी को लेकर आम जनता का विरोध सामने आना भाजपाइयों को हतोत्साहित कर रहा है.

पिछले दिनों पश्‍चिमी उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में पहुंची परिवर्तन यात्रा में एक तो भीड़ नहीं थी और दूसरे नोटबंदी की वजह से परेशान महिलाओं ने यात्रा ही रोक दी. हापुड़ के थाना गढ़ कोतवाली क्षेत्र के नेशनल हाईवे-9 पर सैकड़ों महिलाओं ने भाजपा की परिवर्तन यात्रा रोक दी.

उस समय यात्रा में केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, सांसद राजेंद्र अग्रवाल, सांसद कवर सिंह तंवर, सांसद भोला सिंह समेत कई नेता मौजूद थे. यात्रा रोक कर विरोध कर रही महिलाओं का कहना था कि नोटबंदी की वजह से तमाम मुश्किलें खड़ी हो गई हैं और फाइनेंस कंपनियां लोगों पर दबाव बना रही हैं.

परिवर्तन यात्रा में आपसी फूट और मनमुटाव की भी सार्वजनिक अभिव्यक्ति हो रही है. जनता की भागीदारी कम है और कार्यकर्ता एक दूसरे से खुलेआम भिड़ रहे हैं. पिछले दिनों गाजियाबाद से नोएडा पहुंची परिवर्तन यात्रा में केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा और संजीव बालियान के सामने ही कार्यकर्ता आपस में भिड़ते रहे.

गाजियाबाद में तो दो भाजपा नेता पूर्व महानगर अध्यक्ष अशोक मोंगा और वर्तमान महानगर अध्यक्ष अजय शर्मा आपस में भिड़े रहे. दोनों नेताओं में हाथापाई तक हो गई. केंद्रीय मंत्रियों के सामने ही भाजपा का अंदरूनी मतभेद खुलकर सामने आ गया. हुआ यह कि परिवर्तन यात्रा की शुरुआत में बड़े नेता बस पर चढ़ने लगे.

केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, कृष्णपाल गुर्जर, महानगर अध्यक्ष अजय शर्मा बस पर सवार हो चुके थे. अचानक महानगर अध्यक्ष अजय शर्मा ने पूर्व महानगर अध्यक्ष अशोक मोंगा को धक्का देते हुए बस से नीचे उतार दिया. इस पर दोनों के बीच जमकर गाली गलौज हुई.

दोनों एक दूसरे को मारने पर उतर आए. एक दूसरे को देख लेने की धमकियां उछलने लगीं और भाजपा का अंतरकलह खुल कर सड़क पर लोगों के सामने आ गया. परिवर्तन यात्रा में गाड़ियों का काफिला भी खूब रहता है, लेकिन ज्यादातर गाड़ियां खाली ही चलती दिखती हैं. परिवर्तन यात्रा के फ्लॉप होने को लेकर भाजपा नेतृत्व में मायूसी है और एक दूसरे के सिर पर ठीकरा फोड़ने की भूमिका भी तैयार होने लगी है.प

‘योगी नहीं तो वोट नहीं’ के नारे हो रहे बुलंद

भाजपा की परिवर्तन यात्रा में सांसद व गोरक्षपीठ के महंत योगी आदित्यनाथ शामिल तो हैं, लेकिन उनकी भूमिका नेतृत्वकारी नहीं है. कभी योगी को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने का वादा करने वाले भाजपा नेता आज चुप्पी साधे बैठे हैं. लेकिन पार्टी में आवाज उठ रही है. इसका असर परिवर्तन यात्राओं पर भी दिख रहा है. झांसी में परिवर्तन यात्रा की सभा में योगी को चेहरा घोषित करने की मांग उठी.

झांसी की सभा में खाली कुर्सियों ने भी भाजपा के अंतरविरोधों की आधिकारिक पुष्टि की. हिन्दु युवा वाहिनी ने तो योगी को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की मांग को आंदोलन का स्वरूप देना शुरू कर दिया है.

झांसी की सभा में वाहिनी ने योगी के मसले पर खुला विरोध दर्ज कराया. नारेबाजी करते हुए योगी समर्थक कार्यकर्ताओं ने तख्तियां लेकर विद्रोह का दृश्य खड़ा किया. हिन्दु युवा वाहिनी के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने बुन्देलखंड सह प्रभारी अरविन्द वर्मा के नेतृत्व में विरोध दर्ज कराया और ‘योगी नहीं तो भाजपा को वोट नहीं’ के नारे बुलंद किए.

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