भाजपा इन दिनों केरल में जनरक्षा यात्रा के जरिए हिन्दुओं को एकजुट करने में जुटी है, ठीक उसी समय केरल सरकार ने एक दलित येदु कृष्णन को तिरुवल्ला स्थित मनप्पुरम मंदिर का पुरोहित नियुक्त किया है. यहां यह तथ्य विचारणीय है कि केरल सरकार ने मंदिरों में गैर ब्राह्मण पुजारियों की नियुक्ति का फैसला लिया है. गौर करने वाली बात यह है कि 1986 में आयोजित धर्मसंसद में योगी आदित्यनाथ के गुरु महंत अवैद्यनाथ ने ही यह प्रस्ताव रखा था. इस कदम से केरल सरकार ने एक तरफ तो भाजपा की ब्राह्मणवादी नीतियों और उसकी मनुवादी छवि पर चोट किया है, वहीं महंत अवैद्यनाथ के प्रस्ताव को आगे बढ़ाकर केरल में हिन्दुत्ववादी एजेंडे को थामने का भी प्रयास किया है. केरल में भाजपा कार्यकर्ताओं की कथित राजनीतिक हत्या के खिलाफ हाल में निकाली गई जनरक्षा यात्रा में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी शामिल हुए. भाजपा शासित प्रदेशों में योगी एकमात्र ऐसे मुख्यमंत्री थे, जिन्हें खासतौर पर इस यात्रा में शामिल होने का आमंत्रण मिला था. कन्नूर में स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ शुरू हुई यह पदयात्रा राजनीतिक हत्याओं के खिलाफ एक माहौल तैयार करने के लिए आयोजित की गई थी. केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन का गृह जिला कन्नूर है. योगी ने रैली के दौरान कहा कि मुख्यमंत्री के गृह जिले में ही 20 भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है. इसका साफ मतलब है कि हत्यारों को सरकार सुरक्षा दे रही है. इसलिए भाजपा ने 14 दिवसीय यात्रा की शुरुआत यहीं से करने का फैैसला किया.
हालांकि केरल जैसे सर्वशिक्षित प्रदेश में हिंदुत्व के मुद्दे पर लोगों को एकजुट करना काफी चुनौतीपूर्ण कार्य है. इसके बावजूद भाजपा केरल में हिंदुत्व के मुद्दे को उभारकर राजनीतिक फायदा उठाने का प्रयास करती रही है. केरल में हिंदुत्व के एजेंडे को जिंदा रखने के लिए यूपी के फायर ब्रांड मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मैदान में उतारा गया. योगी भी जनरक्षा यात्रा के निहित उद्देश्यों को ध्यान में रखकर हिंदुत्व के मुद्दे को भुनाने का कोई अवसर खोना नहीं चाहते थे. उन्होंने कम्युनिस्ट सरकार को आगाह करते हुए कहा कि यह यात्रा केरल, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा की सरकारों के लिए आईना है. उन्हें अपने राज्यों में जारी राजनीतिक हत्याओं का अंत करना चाहिए. भाजपा का कहना है कि हाल में कम्युनिस्ट कार्यकर्ताओं ने भाजपा के 120 से ज्यादा कार्यकर्ताओं की हत्या की है. भाजपा गाहे-बगाहे केरल की कम्युनिस्ट सरकार पर राज्य में मुस्लिम तुष्टीकरण और इस्लामिक कट्टरपंथ को बढ़ावा देने का भी आरोप लगाती रही है.
वहीं केरल सरकार का कहना है कि राजनीतिक हत्याएं दोनों तरफ से हो रही हैं. राज्य में जारी राजनीतिक हिंसा में कई कम्युनिस्ट कार्यकर्ताओं की भी हत्या हुई है. वहीं, भाजपा सरकार का कहना है कि सत्ता में सीपीएम के लोग हैं. वही लोग राजनीतिक हत्यारों को संरक्षण दे रहे हैं. केरल में जो सीपीएम की विचारधारा से सहमत नहीं है, उनकी हत्या कर दी जाती है. केरल के अलावा दिल्ली, ओड़ीशा और पटना में भी संघ कार्यकर्ताओं की हत्या के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. जाहिर है भाजपा राजनीतिक हिंसा को गुजरात चुनाव में प्रमुख मुद्दा बनाना चाहती है.