कट्टरपंथी हिंदूत्ववादी विनायक दामोदर सावरकर ने अपने सार्वजनिक भाषणों में, हजारों लोगों की उपस्थिति जिसमें महिलाओं का भी समावेश था ! ऐसी सभाओं में शत्रुओं की औरतों को बेइज्जत करने के लिए कहा है ! छत्रपति शिवाजी महाराज ने कल्याण के सुभेदार की बहू को, युद्ध में जितने के बाद, उसे उसके परिवार वालों के पास, ससम्मान वापस भेज दिया था ! जो छत्रपति शिवाजी महाराज के उच्च कोटी के मानवीय मूल्यों के लिए गत चारसौ सालों से भी अधिक समय से, सराहनीय कार्य के रूप में आज भी याद किया जाता है ! वैसे ही वसई की लडाई में एक पुर्तगाली महिला को भी, चिमाजी अप्पा नामके पेशवा ने छत्रपती शिवाजी महाराज के ही आदर्शो का पालन करते हुए ! उस महिला को भी उसके परिवार के हवाले करने की घटना का, सावरकर ने घोर आलोचना करते हुए, कहा कि, “शत्रुओं की महिला फिर वह किसि भी उम्र की क्यो न हो ? उसे भ्रष्ट करना चाहिए ! और इस तरह के साहित्य सावरकर सदन से प्रकाशित किताबों में ‘हिंदू पदपादशाही’ ‘सहा सोनेरी पाने’ जैसे किताबों में मौजूद है ! इस तरह के अत्यंत भड़काने वाले ! और अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ समाज में विषाक्त माहौल पैदा करने वाले व्यक्ति को, जबतक महिमामंडित किया जाता रहेगा ! तबतक बिलकिस बानो जैसी महिलाओं के साथ अत्याचार होते रहेंगे !

और उन अत्याचारीयो के सत्कार समारोह भी ! आगे चलकर न ही कोई के दर्ज होगा और न ही कोई अदालत ! सवाल आस्था का है कानून का नहीं ! भले ही कोई कोर्ट उन्हें सजा दे, या कोई कोर्ट उनकी सजा को माफ कर दे ! या फिर कोई कोर्ट यूनानी तत्त्ववेत्ता प्लेटो के उध्दरण देते हुए वापस सजा सुनाए !


लेकिन जिस देश के सर्वोच्च सदन संसद में उसके फोटो लगाया जाता है ! कोई उसे भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान *भारत रत्न’ देने की मांग करता रहेगा, और उसके विचारों को लेकर सौ वर्ष से एक संगठन चलाते – चलाते भारत की सत्ता पर कब्जा करता हो ! और अपनी शक्ति के बल पर, बिलकिस बानो के साथ अत्याचार करने वाले लोगों को भारतीय आजादी के अमृत महोत्सव जैसे पर्व की आड़ में उन्हें इतने जधन्य कांड करने के बावजूद उन्हें सहुलियत ( Remission) दिया जाना ! हमारे देश की आजादी के मुल्यों का घोर अपमान है ! और इस बात के लिए सिर्फ गुजरात सरकार को दोषी करार देना पर्याप्त नहीं है ! वर्तमान समय में केंद्र में बैठी हुई, सरकार की और उसमे भी गृहमंत्रालय की मुख्य भूमिका रही है ! क्योंकि गुजरात सरकारने तो आजादी के पचहत्तर साल के अवसर का लाभ उठाने की शिफारिश, केंद्र सरकार के गृहमंत्री के पास ही इन गुनाहगारों को माफ करने के लिए भेजी थी !


और सबसे हैरानी की बात, जब सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी ! तब गुजरात सरकारने कई तथ्यों को छुपाकर न्यायालय को भी गुमराह किया है ! बिलकिस बानो के गुनाहगारों को सजा महाराष्ट्र के न्यायालय में सुनाई गई थी ! और इन ग्यारह गुनाहगारों में से, तीन नंबर के दोषी राधेश्याम ने महाराष्ट्र सरकार के पास, रेमिशन पॉलिसी के तहत सजा घटाने के लिए, सहुलियत देने के लिए अर्जी दाखिल किया था ! जो तत्कालीन महाराष्ट्र की सरकारने ठुकरा दी है ! और इसके बाद राधेश्याम ने यही मांग गुजरात के हाईकोर्ट में की थी ! वहां भी इस मांग को खारिज कर दिया गया था ! फिर राधेश्याम सर्वोच्च न्यायालय पहुंचा ! लेकिन उसने महाराष्ट्र सरकार ने मेरी मांग को ठुकरा दिया, यह तथ्य छुपा दिया था ! और उससे ज्यादा हमारे संविधान की शपथ ग्रहण की हुई, गुजरात की सरकारने रेमिशन पॉलिसी के तहत इन अपराधियों को छोडने का अधिकार उनका नही है ! महाराष्ट्र सरकार का है ! और महाराष्ट्र के सरकारने ठुकरा दी है ! यह बात छुपाई है ! 13 मई 2022 को सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात सरकार को फैसला लेने के लिए कहा ! और गुजरात सरकारने नहीं सिर्फ राध्येश्याम बल्कि सभी 11 दोषियों को 15 अगस्त 2022 के दिन, जिस दिन हमारे देश की आजादी का पचहत्तरवा उत्सव का दिन था ! और उसी दिन लाल किले की प्राचिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी देश को संबोधित करते हुए, “बेटी बचाओ-बेटी पढाओ” अभियान का नारा दे रहे थे ! इतना बड़ा पाखंड शायद ही कोई और कर सकता !


इसी देश की एक पांच महीने की गर्भवती स्त्री को, 28 फरवरी 2002 के दिन ! उसके घर पर हमला करते हुए ! उसके साथ, तथा मां और चचेरी बहन पर बलात्कार किया ! और बहन के दो दिन के बेटे को पटक – पटककर मार देने के बाद, बिलकिस की चाची, चचेरे भाई, बहनों समेत सात लोगों की हत्या कर दी थी ! और तब गुजरात के मुख्यमंत्री वर्तमान प्रधानमंत्री श्री. नरेंद्र मोदीजी ही थे !


इस घटना के बाद बिलकिस ने कानूनी लड़ाई शुरू की ! और कोर्ट से कहा कि मेरा वर्तमान समय में, गुजरात के कोर्ट में, वर्तमान समय की सरकार के तरफ से, काफी दबाव डाला जा सकता है ! इसलिए मेरे केस को महाराष्ट्र के सीबीआई कोर्ट में स्थानांतरित किया जाये ! और इस तरह से यह केस महाराष्ट्र के सीबीआई कोर्ट में स्थानांतरित होने के बाद ! जस्टिस डी. यू. साळवी ने सीबीआई कोर्ट के तरफ से, 2008 को सभी ग्यारह अपराधियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी ! लेकिन गुजरात सरकारने, चौदह साल के पहले ही ! आजादी के पचहत्तर साल के रेमिशन पॉलिसी के आड में ! सभी गुनहगारों को रिहाई देने का फैसला किया !
और सबसे घृणित बात, इन सभी अपराधियों को जेल से छोडने के बाद, जगह – जगह इनके सत्कार समारोह आयोजित किए गए ! और कहा कि यह सभी ब्राम्हण जाती के लोग रहते हुए ! भला ऐसा अपराध कर ही नहीं सकते ! मतलब की मनुस्मृति के अनुसार, ब्राम्हण ऐसे कोई भी अपराध करने पर, उसे कोई अपराध – अपराध मानना नही, इसलिए उन्हें सजा नहीं दी जा सकती ! क्योंकि गुजरात की सरकारने लगभग यही अमल में लाने का काम किया है ! उसने हमारे देश के संविधान की शपथ ग्रहण करने के बावजूद ! इन अपराधियों को छोडने के लिए, जो तिकड़मी हरकतें की है ! और सर्वोच्च न्यायालय को भी धोखा देते हुए! सभी अपराधियों को भारत की आजादी के पचहत्तर साल के ‘अमृतमहोत्सवी’उत्सव के उपलक्ष्य में रेमिशन पॉलिसी का आधार लेते हुए ! छोड़कर, भारत की आजादी का भी अपमान किया है ! क्या ऐसे सरकार को एक क्षण के लिए भी, सत्ता पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार है ?


लेकिन विनायक दामोदर सावरकर और माधव सदाशिव गोलवलकर के अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ, गत सौ वर्ष से संघ की शाखाओं में जो जहर बचपन से ही बच्चों के जेहन में डाला जाता है तो ! और क्या हो सकता है ? गुजरात मॉडल शब्द ऐसे ही थोड़ा आया ? और इसी मॉडल को आज संपूर्ण देश में लागू करने की कोशिश की जा रही है ! राम की आड में पिछले पैतिंस सालों से यही कोशिश लगातार जारी है !

और आने वाले 22 जनवरी को अयोध्या में आधे-अधूरे राम मंदिर मंदिर में, भगवान राम की मूर्ति को प्रतिस्थापित करने की कृति ! शतप्रतिशत, संघ और उसकी राजनीतिक इकाई, भाजपा की कोशिश! आनेवाले लोकसभा चुनाव में, अपने दल के लिए, लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ करना जारी है ! और इस आस्था के नाम पर, ऐसी कितनी बिलकिस और हजारों की संख्या में लोगों के जीवन को दाव पर लगा कर ! जो राजनीति चल रही है ! तबतक और बेकसूर बिलकिस, स्वाति, मनिषा, जाहिरा, मलिका, मणिपुर की सभी पिडित बहनें तथा जुनैद, अखलाक खाक होते रहेंगे !

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