साल 2019 की लड़ाई लड़ने की रणनीति तैयार करने के लिए भाजपा ने पटना सिटी में दो दिनों तक जमकर पसीना बहाया. सूबे की सभी चालीस लोकसभा सीटों पर जीत का लक्ष्य तय किया गया और यह साफ कर दिया गया कि पार्टी अब पूरी तरह आक्रामक तरीके से जनसंपर्क अभियान में जुट जाएगी. साल भर के कार्यक्रम भी तय कर दिए गए हैं और पार्टी के सभी छोटे-बड़े नेताओं को बता दिया गया है कि चालीस से कम पर बात नहीं बनेगी. लक्ष्य तय कर यह बता दिया गया है कि भाजपा अपने सहयोगी दलों के साथ चुनावी जंग में कूदेगी और बिहार में विपक्ष को एक भी सीट नहीं लेने देगी.
पटना सिटी के रामदेव महतो सभागार में दो दिनों तक चली प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में बड़े नेताओं के भाषणों का लब्बोलुआब यही था कि 2019 एक ऐसा मौका है जिसमें पार्टी को चूक की रत्ती भर भी गुुंजाइश नहीं रखनी है. नरेंद्र मोदी के जादू और प्रदेश में नीतीश कुमार के साथ गठबंधन का पूरा फायदा पार्टी को उठाना है और सभी चालीस लोकसभा सीटों पर विजय पताका फहराना है.
भाजपा ने प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के बहाने मिशन 2019 की घोषणा भी कर दी. यही नहीं पार्टी ने इसके साथ ही विधानसभा चुनाव के लिए भी अपनी तैयारी की कार्ययोजना बना ली. बूथ स्तर पर संगठन ताकतवर हो, इस पर मंथन भी किया गया. भाजपा मानती है कि यदि उसे चुनाव जीतना है तो राजनीतिक मोर्चे के साथ-साथ संगठन पर भी पसीना बहाना होगा. इसीलिए उसने दोनों ही मोर्चे पर अपनी कार्ययोजना बनाई. यहां पार्टी ने जातिवाद के खात्मे का संकल्प लिया, लेकिन उसकी पूरी कार्ययोजना इसी वादे पर टिकी रही. जानकार बताते हैं कि नीतीश कुमार से गठबंधन के बाद भाजपा ने भी मन बना लिया है कि विकास के मुद्दे पर ही चुनावी समर में कूदना ठीक होगा. इसलिए यह तय है कि विकास कार्यों की सुपर ब्रांडिंग होगी और जनता के बीच यह संदेश दिया जाएगा कि केंद्र और राज्य में एक जैसी सरकार के रहने से विकास की गाड़ी पूरी रफ्तार से दौड़ सकती है. जनता को यह भी बतलाया जाएगा कि महागठबंधन टूटना कितना जरूरी था और नीतीश कुमार ने लालू का साथ न छोड़ा होता तो बिहार में विकास की गाड़ी को आगे बढ़ाना मुश्किल हो जाता.
पार्टी केन्द्रीय पिछड़ा आयोग को लेकर भी लालू प्रसाद पर हमलावर होगी. पार्टी इसके लिए पिछड़ा वर्ग आयोग के प्रति उनके नकारात्मक रवैये और राज्यसभा में विरोध को आधार बनाएगी. प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में पार्टी ने लालू के खिलाफ पूरे प्रदेश में सघन अभियान चलाने का निर्णय लिया है.
पार्टी के अनुसार नरेन्द्र मोदी सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देकर उसे ताकतवर बनाने की पहल की, लेकिन कांग्रेस-राजद ने राज्यसभा में इसका विरोध कर उसे पारित होने से रोक दिया. लालू प्रसाद ने पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के पूरे अभियान का विरोध किया. पार्टी एक-एक लोगों के बीच जाकर इसकी जानकारी उन्हें देगी. पार्टी ने दावा किया कि वह लालू प्रसाद के चेहरे से पिछड़ा-अति पिछड़ा प्रेम का मुखौटा हटाएगी. पार्टी के इस एजेंडे से दोनों लक्ष्य हासिल हो सकेंगे. एक तो पिछड़ों-अति पिछड़ों के बीच उसे पैठ बनाने में सफलता मिलेगी, दूसरी ओर इसी मुद्दे पर राजद प्रमुख लालू प्रसाद पर निशाना लगाकर पिछड़ों और अति पिछड़ों के बीच उन्हें बेनकाब करेगी.