राजा को पता नहीं, मुसहर जंगल का सौदा कर रहे. यह कहावत इन दिनों उत्तराखंड में चरितार्थ हो रही है. आरक्षित वन क्षेत्र की ज़मीनों पर भू-माफिया अपनी नज़र गड़ाए बैठे हैं और मौक़ा लगते ही वे फर्जी दस्तावेजों के आधार उन पर कब्जा कर रहे हैं. ताजा मामला ऋषिकेश रेंज के मंसा देवी क्षेत्र का है, जहां गंगानगर निवासी एक भू-माफिया ने आरक्षित वन क्षेत्र की क़रीब 14 बीघा ज़मीन का एग्रीमेंट दो पक्षों के नाम बनवा दिया और वह भी स़िर्फ 50 रुपये के स्टांप पर. जानकारी के मुताबिक, यह एग्रीमेंट 2011 में हुआ. इस वन भूमि का सौदा क़रीब 1.40 करोड़ रुपये में किया गया. दरअसल, उत्तराखंड के आरक्षित वन क्षेत्र की ज़मीनें भू-माफियाओं के लिए सोने का अंडा देने वाली मुर्गी बन गई हैं. अभी डीजीपी सिद्धू का मामला ख़त्म भी नहीं हुआ था, तभी इस घोटाले का खुलासा हो गया. वन विभाग को भी तब पता चला, जब उक्त ज़मीन पर प्लॉटिंग होने के बाद कुछ लोगों ने मकान की नींव भरनी शुरू कर दी. बीट इंचार्ज की सूचना पर रेंजर ने उक्त अवैध कब्जों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करते हुए निर्माण ध्वस्त कराए. जानकारी मिली कि गंगानगर निवासी भू-माफिया सीताराम ने माया कुंड निवासी संजय अग्रवाल और भगवान बाज़ार निवासी विजय कुमार मिश्रा के नाम उक्त ज़मीन का एग्रीमेंट किया. एग्रीमेंट की छाया-प्रति मिल गई है, जिसमें जगह का नाम 14 बीघा दर्शाया गया है. 50 रुपये के इस एग्रीमेंट में सौदे की रकम 1.40 करोड़ रुपये बताई गई है. वन विभाग का कहना है कि एग्रीमेंट की मूल कॉपी मिलने के बाद दोषियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी.
अवैध कब्जे की रिपोर्ट भेजे चार साल से अधिक समय हो चुका है. उधर मंसा देवी क्षेत्र में वन विभाग की कार्रवाई के बाद आरक्षित वन क्षेत्र में प्लॉट खरीदने वालों के बीच हड़कंप मचा हुआ है. वे रेंज कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं और सेटिंग-गेटिंग की जुगत लगा रहे हैं. विभागीय कर्मी ऐसे लोगों को दो टूक जवाब देकर लौटा रहे हैं. दरअसल, राज्य गठन के बाद यहां वन भूमि को फर्जी तरीके से हथिया कर वन संपदा नाश करने का खुला खेल जारी है.
ग़ौरतलब है कि पिछले एक दशक के दौरान अमित ग्राम गुर्जर बस्ती और टोंगिया प्लांटेशन में वन भूमि पर हुए क़रीब 146 अवैध कब्जे वन विभाग चिन्हित कर चुका है, लेकिन आज तक कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई. रेंज अधिकारी इन मामलों को प्रभागीय वनाधिकारी देहरादून की कोर्ट में लंबित बताकर अपनी ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं. अवैध कब्जे की रिपोर्ट भेजे चार साल से अधिक समय हो चुका है. उधर मंसा देवी क्षेत्र में वन विभाग की कार्रवाई के बाद आरक्षित वन क्षेत्र में प्लॉट खरीदने वालों के बीच हड़कंप मचा हुआ है. वे रेंज कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं और सेटिंग-गेटिंग की जुगत लगा रहे हैं. विभागीय कर्मी ऐसे लोगों को दो टूक जवाब देकर लौटा रहे हैं. दरअसल, राज्य गठन के बाद यहां वन भूमि को फर्जी तरीके से हथिया कर वन संपदा नाश करने का खुला खेल जारी है. वन भूमि हथियाने के मामले में कई राजनेताओं, नौकरशाहों के अलावा उत्तरकाशी के रसूखदार पायलट बाबा का नाम भी सामने आ चुका है.