श्रीकृष्ण की कहानी जानने वाले पूतना को कभी भूल नहीं सकते. सब जानते हैं कि पूतना ने दूध पिलाने के बहाने कृष्ण को ज़हर देने की कोशिश की थी. भले ही उसका बाहरी उद्देश्य नेक था, लेकिन उसका असली मक़सद बहुत ख़तरनाक था. अगर वह सफल होती तो उसका परिणाम भी भयानक होता. ख़ैर, कृष्ण तो ईश्वरीय अवतार थे, इसलिए बच गए. लेकिन अब एक और पूतना भारत के दरवाज़े पर दस्तक दे रही है. कहने को तो इसके इरादे भी नेक हैं, लेकिन इन इरादों के बहाने वह भारत की अखंडता और संप्रभुता से खेल रही है. यह पूतना है एड्‌स के ख़िला़फ लड़ने के लिए बनाई गई संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूएनएड्‌स.
यूएनएड्‌स इन दिनों भारत में एड्‌स के ख़िला़फ काम कर रही है. उसकी वेबसाइट पर भारत के नक्शे को देखें तो उसे बड़े ही ग़लत तरीक़ेसे दिखाया गया है. नक्शे में भारत के कई अभिन्न हिस्सों को नहीं दिखाया गया है. जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्व के हिस्सों को भारत  के नक्शे में दिखाया ही नहीं गया है. जब आप इस नक्शे को पूरा खोलते हैं तो नक्शा तो पूरे भारत का आ जाता है लेकिन ध्यान से देखें तो उसमें भारत की अंतरराष्ट्रीय सीमा जम्मू-कश्मीर से पहले ही ख़त्म हो जाती है. उसके बाद एक टूटी हुई लाइन जम्मू-कश्मीर की सीमा दिखाती है. साफ है कि इस नक्शे में भारत की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को ग़लत तरीक़े से प्रस्तुत किया गया है. हालांकि कुछ साल पहले यह स्थिति और भी अजीब थी. यूएनएड्‌स के 2006 के नक्शे में जम्मू-कश्मीर को भारत से बिल्कुल अलग दिखाया गया था. इस मुद्दे पर भारतीय संसद में बहस भी हुई और उसके बाद नक्शे को बदल दिया गया. हालांकि बदला गया नक्शा पहले नक्शे से भी ज़्यादा ग़लत था, क्योंकि उसमें भारत के कई भागों को दिखाया ही नहीं जा रहा था. इसके बाद संसद में फिर यह मामला उठा. तब नक्शे को फिर बदल दिया गया. इस बार उसमें भारत तो पूरा नज़र आ रहा था, लेकिन उसकी अंतरराष्ट्रीय सीमा अमृतसर के थोड़ी ऊपर जाकर ही ख़त्म हो जा रही थी. इस नक्शे को भी बदला गया और वर्तमान नक्शे को लाया गया.
भारत के नक्शे में से जम्मू-कश्मीर को बाहर रखने का यह एजेंडा संयुक्त राष्ट्र की  कई एजेंसियों का है. विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूएनएड्‌स के क्षेत्रीय नक्शे में भी यह राज्य भारतीय संघ के नक्शे से अलग नज़र आता है. यूएनएड्‌स के मुताबिक जम्मू-कश्मीर इलाक़े से संबंधित कोई आंकड़ा उसके पास उपलब्ध नहीं है जबकि यूएनएड्‌स को पूरे भारत में काम करने की छूट है और इसमें जम्मू-कश्मीर भी शामिल है.
भारत के राष्ट्रीय एड्‌स कार्यक्रम को चलाने वाली संस्था राष्ट्रीय एड्‌स नियंत्रण संगठन के सर्वेक्षणों में जम्मू-कश्मीर के आंकड़े मौजूद हैं और साफ है कि भारत में एड्‌स के रोकथाम और नियंत्रण से जुड़ीं सभी गतिविधियां राज्य में भी चल रही हैं.
भारत के नक्शे को ग़लत तरीक़ेसे दिखाने का यह कोई पहला मामला नहीं है. पड़ोसी देशों पाकिस्तान और चीन से कुछ क्षेत्रों को लेकर विवाद रहा है. जहां पाकिस्तान ने पाक-अधिकृत और बाक़ी कश्मीर पर कई बार हक़ जताया है, वहीं चीन कई बार सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश को अपने हिस्से के तौर पर मानचित्र में दिखा चुका है. भारत सरकार ने  इन दावों का ज़ोरदार विरोध हमेशा किया है.
पड़ोसी देशों से सीमा विवाद एक अलग बात है, लेकिन जब संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ऐसा करे तो मामला गंभीर हो जाता है और अंतरराष्ट्रीय महत्व का बन जाता है. यूएनएड्‌स कोई अकेली संस्था नहीं है, यह संयुक्त राष्ट्र की कई एजेंसियों का मिलाजुला संगठन है. इस संगठन के द्वारा हमारी सीमाओं का ग़लत प्रस्तुतीकरण साफ तौर पर भारत की संप्रभुता के ख़िला़फ है. भारतीय क़ानून में कोई भी व्यक्ति या संस्था भारत के नक्शे के साथ छेड़छाड़ करने पर दंड की भागी है. यह भारत के क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट (23) 1961 के तहत अपराध है. हालांकि कोई अदालती क़दम उठाने के लिए सरकार की ओर से शिकायत ज़रूरी है. हालांकि यह मुद्दा कई बार संसद में उठ चुका है (लोकसभा में रघुनाथ झा और राज्यसभा में मुरली मनोहर जोशी के द्वारा यह मुद्दा उठाया जा चुका है) लेकिन अभी तक  सरकार ने कोई पहल नहीं की है. यहीं कई सवाल खड़े होते हैं. क्या भारतीय नेतृत्व इन बाहरी एजेंसियों के ख़िला़फ बेबस है ? क्या उसमें इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने की इच्छाशक्ति का अभाव है?  अगर ऐसा है तो यह बड़े अफसोस की बात है, क्योंकि यह मुद्दा महज़ किसी नक्शे का ही नहीं बल्कि हमारे देश की संप्रभुता और कूटनीतिक हैसियत का भी है. हर दिन इस अधूरे नक्शे के प्रदर्शन के साथ ये भी खंड-खंड हो रही हैं.

Adv from Sponsors

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here