आज 20 फरवरी 2023 को बिरभूम जिला के मुख्यालय शिवडी में ! पस्चिम बंगाल सांस्कृतिक मंच की विशाल रैली संपन्न हुई ! रैली में तीस से चालीस हजार की संख्या में हिंदू, मुस्लिम, महिलाओं और पुरुष तथा, सबसे बडी संख्या में युवा पीढ़ी के लोगों को बढ़चढ़कर हिस्सा लेते हुए देखकर मुझे बहुत खुशी हुई !
क्योंकि गत 25 – 30 सालों से आर. एस. एस. और उसकी राजनीतिक ईकाई बीजेपी ! वैसे तो पुरे पस्चिम बंगाल में अपना जनाधार बनाने के लिए जबरदस्त कोशिश कर रहे हैं ! लेकिन बिरभूम जिला संथाली आदिवासी बहुल और झारखंड के सिमावर्ति इलाके से सटा हुआ होने के कारण ! तथाकथित हिंदूत्व के अजेंडा के तहत संघ की कोशिश जारी है ! बिरभूम जिला बंगाल तथा झारखंड की सिमावर्ति होने के कारण संघ अपनी गतिविधियों में ! छोटे – छोटे पाडा में संघ की शाखा चला रहा है !
इसलिए बंगला सांस्कृतिक मंच का, वैसे तो पूरे पस्चिम बंगाल में ही अपनी गतिविधियों को फैलाने का प्रयास जारी हैं ! लेकिन संघ और उसकी राजनीतिक ईकाई बीजेपी ने पूरे पस्चिम बंगाल में ! बिरभूम जिला को अपना एपीसेंटर बनाने की कोशिश को देखते हुए ! जानबूझकर उसे रोकने हेतु ! अपनी गतिविधियों को बढ़ाने के लिए विशेष रूप से कोशिश जारी किया है ! पस्चिम बंगाल सांस्कृतिक मंच की युवा इकाई ! लेस्ली फोस्टर नाम के एक ख्रिश्चन युवक के नेतृत्व में शुरू की है ! वैसे ही महीलाओ के तथा किसानों से लेकर मजदूरों के बीच भी अपनी उपस्थिति दर्ज की है ! जिसके कारण 20 फरवरी को शिवडी के मैदान में आयोजित दिनभर की रैली में ! मुख्य रूप से सांप्रदायिकता के खिलाफ ! और बेरोजगारी, महंगाई तथा किसानों की समस्याओं तथा महिलाओं के उत्पीड़न तथा दलितों और आदिवासियों की समस्याओं को लेकर सभी वक्ताओं ने अपने भाषणों में बंगला सांस्कृतिक मंच के तरफसे जनआंदोलन करने की घोषणा की गई ! और आने वाले लोकसभा चुनाव में किसी भी हाल में बीजेपी जैसे सांप्रदायिक दल को बंगाल से खदेड़ने के संकल्प के साथ रैली संपन्न हुई !
2017 के भूलागढ जिला हावरा के दंगों को रोकने के लिए ! बिच दंगे के भीतर घुसकर शांति – सद्भावना की कोशिश करने के कारण दंगे को रोकने में कामयाबी हासिल की है ! ज्यादा तर दंगे होने के बाद ! फायरब्रिगेड के जैसे जाने वाले लोगों की संख्या ज्यादा है ! लेकिन दंगे के बीच में हस्तक्षेप कर के ! वहां शांति – सद्भावना कायम करने की कृती बहुत अपवादस्वरूप देखने में आती है ! जो बंगला सांस्कृतिक मंच ने आजसे छ साल पहले एक मिसाल कायम की है !
यह मंच भुलागढ जिला हावरा 2017 में दंगे की स्थिति को देखकर प्रोफेसर समिरूल इस्लाम (समिरूल आई आईआईटी की शिक्षा के बाद, विदेश की अपनी आवश्यकता से अधिक पैसे देने वाली नौकरी को छोड़कर, अपने देश की वर्तमान स्थिति को देखते हुए वापस लौटने के बाद!) और उनके कुछ युवा मित्रों ने, मिलकर हस्तक्षेप कीया था ! और दंगाइयों के बीच मे जाकर बीच – बचाव करने के कारण ! दंगे को रोकने में कामयाबी हासिल की है ! अमूमन दंगों के बाद कई संगठनों का जन्म होता है ! या किया जाता है ! लेकिन बंगला सांस्कृतिक मंच के, भूलागढ दंगे को रोकने में कामयाबी हासिल करने के बाद ! शायद सभी साथियों को लगा कि यह प्रक्रिया आगे भी जारी रहनी चाहिए ! तो बंगाल में शांति सद्भावना, और साथ – साथ सेवा के कामों को करते हुए, लगभग बंगाल के सभी जिलों में बंगला सांस्कृतिक मंच की ईकाईया स्थापन करने का प्रयास जारी हैं ! अब तक आधे से अधिक जिलों में बंगला सांस्कृतिक मंच की ईकाईया बन चुकी है !
बंगाल विधानसभा के पिछले साल के चुनाव में, नो बीजेपी अभियान चलाया है ! और बीजेपी को बंगाल में रोकने में ! बंगाल सांस्कृतिक मंच की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है ! और इसी तरह कोरोना के कारण, अचानक घोषित लॉकडॉऊन के समय, लोगों को मुखतः गरीब लोगों को, दो साल में ! दवा और अॉक्सिजन, तथा जीवनावश्यक वस्तूओ को, देने से लेकर, जिन बच्चों की शिक्षा, तथाकथित डिजिटल तकनीक के अभाव में ! चलना असंभव थी ! ऐसे क्षेत्रों में, चलोमान पाठशालाओं की श्रृंखला ! बिरभूम और बर्धमान, मुर्शिदाबाद, आदि जिलों में यह गतिविधि आज भी जारी है ! जिसके बारे में मैंने पहले ही लिखा है !
इसके अलावा केंद्र के वर्तमान सत्ताधारी दल की, सांप्रदायिक राजनीति के कारण, शुरू किए गए ! तथाकथित एन आर सी के जैसे, विभाजनकारी कानून के खिलाफ ! बंगाल में जबरदस्त आंदोलन किया है ! और सबसे महत्वपूर्ण बात ! बंगाल के सीपीएम के नेता, अखिल भारत किसान सभा के नेता रहने के बावजूद ! बंगाल में किसानों का आंदोलन, उस दौरान नही खडा हो सका था ! लेकिन बिरभूम जिले में, बंगला सांस्कृतिक मंच के द्वारा ! ट्रॅक्टर रॅली तथा केंद्र सरकारने जो किसान विरोधी कानून पारित किये थे ! उसके खिलाफ आंदोलन भी किया था !
बंगाल में आजादी के बाद से सिर्फ राजनीतिक दलों के ही नेतृत्व में ! सब कुछ होने की ! परंपरा को छेद देते हुए, बंगला सांस्कृतिक मंच के तरफसे ! चलाए जा रहे विभिन्न गतिविधियों को देखते हुए लगता है कि “शायद यह पहला ही प्रयास है !” जिसमें दलितों से लेकर, आदिवासी, महिला और अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों का ! बहुत बडे पैमाने पर सहभागिता देखने के बाद लगता है ! ” कि बंगला सांस्कृतिक मंच सही मायने में समस्त बंगाल के नागरिकों का एक नया ऊर्जावान गैरराजनितिक मंच है !”और उसमे उन्होंने कहा कि “हमारे साथ बीजेपी छोड़कर सभी सेक्युलर साथियों के साथ मिलकर आनेवाले लोकसभा चुनाव के दौरान हर हाल में बीजेपी को रोकने के लिए सभी ने संयुक्त रूप से पर्यायी उम्मीदवार सर्वसंमतीसे खड़े कर के उन्हे ही चुनकर लाने के लिए पूरी कोशिश करेंगे ऐसा निर्णय लिया गया !
आखिर में रैली संपन्न होने के बाद एक प्रतिनिधि मंडल सभी तरह के सरकारी योजनाओं जो आर्थिक और सामाजिक तथा संस्कृतिक रूप से पिछड़े लोगों को सभी योजनाओं का शत प्रतिशत दिलाने की मांग की गई आदिवासियों को जंगल के ऊपर पांचवी अनुसूचि के अंतर्गत उन्हें भारतीय संविधान के द्वारा मिले हुए अधिकार का पालन किया जाए और पेसा कानून को लागू किया जाए और बेरोजगार लोगों को काम का प्रदान किया जाए और साम्प्रदायिक शक्तियां साम्प्रदायिकता फैलाने का काम कर रहे हैं और उन्हें प्रशासन ने उन्हें रोकने का काम करना चाहिए अन्यथा हमारे देश के एकता और अखंडता को खतरा पैदा हो रहा है इसलिए ऐसे देशविघातक शक्तियों को रवीन्द्रनाथ ठाकुर, बिरसा मुंडा, तिलका मांझी, डाॅ बाबासाहेब अम्बेडकर, मौलाना आजाद, महात्मा गांधी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे देश के नेताओ के सपनों के भारत को बिगाड़ने वाले शक्तियों को रोकने का काम अविलंब करना चाहिए इस तरह की मांग बंगला संस्कृति मंच कर रहा है! ये मांगपत्र जिला प्रशासन को सौपकर दिनभर चल रही रैली की समाप्ति घोषणा की गई..!
शायद पस्चिम बंगाल में बंगला संस्कृति मंच एकमात्र पहल हैं जो रचना और संघर्ष की सबसे बेहतरीन मिसाल है ! और सबसे बड़ी बात आज के बिरभूम जिला संमेलन में 95% तीस साल के निचले उम्र के युवा और युवतियों की संख्या सबसे ज्यादा थी ! जो आजकल काफी अभाव होता जा रहा है ! लेकिन आज के कार्यक्रम को देखते हुए मुझे अपनी खुद की बॅटरी चार्ज होने का एहसास हो रहा है !
रैली में शामिल हुये सभी साथियो को क्रांतिकारी अभिवादन!!!
डॉ सुरेश खैरनार, नागपुर, 23 फरवरी 2023