साथियों आज वडोदरा के बेस्ट बेकरी कांड की एकमात्र बचीं हुई जाहिरा शेख की जुबानी, बेस्ट बेकरी, हनुमान टेकडी, वडोदरा ! की कहानी दे रहा हूँ ! गुजरात के दंगों को, 27 फरवरी को 21 साल होने वाले हैं ! और इस समय हमारे देश के ज्यादातर युवा पीढ़ी के लोग ! जो 2002 के बाद, और उसके दस साल पहले के भी ! पकडकर शायद चालीस से पचास करोड़ की आबादी ! जो दुनिया के सबसे अधिक जनसंख्या की युवा पीढ़ी हैं ! उन्हें अपने देश के आजादी के बाद के ! पचहत्तर साल के भीतर, आजसे इक्कीस साल पहले, क्या – क्या घटीत हुआ है ? यह मालूम होना आवश्यक है ! इसलिए मैंने यह सिरिज लिखने और बोलने का निर्णय लिया है ! आप लोग बताएं कि इस लेख को पढ़ने के बाद आपको कैसे लगा ? मेरे साथ मतभेद भी शेयर किजीये ! क्योंकि आप की पीढी के लोगों को ही इस देश और दुनिया को आगे बढ़ाना है ! तो इस तरह के सांप्रदायिकता के ध्रुवीकरण की राजनीति करते-करते हमारे देश का भविष्य कैसा रहेगा ? क्योंकि इसी तरह की हरकतों के कारण ही हमारे देश का ! आजादी के साथ-साथ बटवारे की नौबत आ पड़ी थी ! और अब हम आजादी के पचहत्तर साल के बाद ! अमृतकाल के तरफ ! मतलब आनेवाले पच्चिस साल के बाद ! 2047 में देश की आजादी की शताब्दी मनाने जा रहें हैं ! हो सकता उस समय, हमारे मेसे कौन जीवित रहेगा और कौन नहीं पता नहीं ! लेकिन आप जरूर रहोगे ! और शायद आपमेसेही कोई इस देश की बागडोर सम्हाल रहा होगा ! इस लिए मै आप लोगों को सोचने – समझने के लिए, विशेष रूप से यह प्रयास कर रहा हूँ !


1 मार्च 2002 के दिन दभोई रोडपर, वडोदरा के बाहरी इलाके में स्थित यह जगह है ! जहां पर ज्यादातर निम्न मध्यवित्त आय के, और हिंदु बहुल इलाका है ! उसमे कुछ गरीब मुस्लिम परिवार के लोग भी रह रहे थे ! थे इसलिए कि अब समस्त देश में ही गत तिस – पैतिस साल की सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति के कारण हिंदू और मुसलमान एक साथ मिलकर रहने के उदहारण नहीं के बराबर हो जा रहे हैं ! और 2002 के गुजरात दंगों के बाद तो गुजरात में शायद ही किसी जगह ! हिंदू-मुस्लिम एक बस्ती में रहने वाले होंगे ? इसलिए मैंने हिंदू-मुस्लिम एक साथ मिलकर इस बस्ती में रह रहे थे ! ऐसा लिखा है ! बस्ती छोटे – छोटे घर और तंग गलीयो वाली है ! ज्यादातर लोगों के मकानों की छत टीन की है ! और चंद मकान पक्के और दो मंजिला है ! और उसी में से एक ‘बेस्ट बेकरी’ छ महिना पहले ही ! एक मुस्लिम परिवार ने शुरू की थी ! ज्यादातर मुस्लिम परिवार 27 फरवरी को गोधरा की घटना की खबर सुनकर ! अपने मकान छोड़ कर किसी अन्य जगहों पर चलें गए थे ! लेकिन एक स्थानीय प्रभावशाली मोहल्ले के दादा, जयंतीभाई चायवाले नाम के आदमी ने ! बेस्ट बेकरी के लोगों को आश्वस्त किया ! “कि आप लोग आराम से रहिए ! कोई कुछ नहीं करेगा !”


लेकिन मार्च की एक तारीख को सुबह के आठ बजे ! जयंती चायवाले के साथ महेश मुन्ना पेंटर, ठक्कर के दो लड़कों के साथ 500 – 700 के जमाव ने मिलकर ! हाथों में पेट्रोल के कॅन और पेट्रोल बॉम्ब! तथा पारंपरिक हथियारों के साथ ! जोर – जोर से चिल्ला कर कह रहे थे ! कि वह बेकरी को लुटकर हम लोगों को भी जिंदा जला डालेंगे ! यह कथन उस कांड में से बचीं एक मात्र जाहिरा शेख नाम की लड़की के हवाले से यह सब मजमून लिख रहा हूँ ! “हमारे बेकरी के काम के लिए तीन ट्रक लकडी भी हमारे घर के आंगन में रखी हुई थी ! यह सब देखकर हमने 100 नंबर पर ‘पानी गेट पुलिस स्टेशन’ में फोन कर के ! यह सब कुछ बताने के बाद उन्होंने कहा कि हम आ रहे है ! लगभग डेढ़ घंटे के बाद, पुलिस की गाडी बेस्ट बेकरी के सामने आकर थोड़ी देर के लिए खड़ी हुई ! और कुछ भी नहीं करते हुए निकल गई ! जो कि शेकडो की संख्या में भिड ने बेस्ट बेकरी को घेर कर रखा था ! लेकिन पुलिस ने कोई भी कार्यवाही नहीं की ! और हमारे घर के सामने से निकल गई !


जब भीड़ ने देखा कि पुलिस आई और चलीं गई ! तब उन्होंने हमे धमकीया देना शुरू किया ! कोई बलात्कार करने की धमकी दे रहा था ! तो कोई जान से मारने की धमकी देते हुए ! उन्होंने निचली मंजील के गोदाम में से, और हमारे बेकरी के कर्मचारियों का कुछ सामान को लुटकर ले जा रहे थे ! और उन्होंने निचले हिस्से को आग लगा दी ! जिसमें आठ लोगों को जिंदा जला दिया गया ! जिसमें मेरे मामा और मेरी बहन शबीरा और मेरे मामा के झैनब और शबनम नाम के दो जुडवा बच्चे ! और कर्मचारियों को मिलाकर दस लोगों को जलाकर मार डाला ! जिसमें तीन औरतें और चार बच्चे थे ! जिन्हें रात को जलाकर मारने का काम किया !
हम 20 लोग, जिसमें हमारी मां भी थी ! हम लोगों ने अपने आपको छत के उपर छुपा लिया था ! और मां हाथ जोड़कर प्रार्थना करते हुए कह रही थी ! “कि उसे अपने बच्चों के अलावा कोई सहारा नहीं है !” लेकिन हमारे तीन हिंदु कर्मचारियों के पेट फाड़कर ! और मेरे दोनों भाईयों को जिंदा जला दिया ! दो और भाईयों को दोर से बांधकर उन्हें भी आग के हवाले कर दिया ! वह अस्पताल में अपने जीवन के साथ जुझ रहे हैं ! और हमरी मां झैरून्निसा, और दो भाई नफुल्ला और नसिउल्लाह, और मेरी बहन गंभीर रूप से घायल हो कर अस्पताल में भर्ती है ! 14 लोगों को जिंदा जला दिया गया ! जिसमें मेरी दो बहनें ! मेरी भाभी और चाचा, और उनके परिवार के सभी सदस्यों को जिंदा जला दिया गया ! हमारे पालें हुए पशु जिसमें बकरे को भी जला दिया ! और सभी हमलावर हमारे अपने ही मोहल्ले के रहने वाले लोग थे !


मैने पुलिस स्टेशन में उन सभी लोगों के नाम लिखे है ! लेकिन पुलिस ने उसकी कॉपी मुझे नहीं दी है ! मैंने कंप्लेन की कॉपी मांगी थी ! लेकिन पुलिस ने मुझे कॉपी नहीं दी है ! काश पुलिस ने अपनी ड्यूटी का पालन किया होता ! तो यह घटना होने की संभावना नहीं थी ! क्योंकि हमने अपने तरफसे पुलिस को समय रहते हुए 100 नंबर पर सूचना देने के बावजूद ! डेढ़ घंटे के बाद पुलिस हमारे घर के सामने आती है ! और कुछ समय रुकने के बाद चली जाती है ! जो कि पांच से सात हजार से अधिक की संख्या में ! भीड़ ने हमारे घर को घेरा हुआ नजारा देखने के बावजूद ! पुलिस आती है ! और चली जाती है ! लगभग संपूर्ण गुजरात के दंगों की कहानी यही है ! नरेंद्र मोदी ने 27 फरवरी को केबीनेट की मिटिंग में जो कहा था ! “कि कल से हिंदूओं को कोई भी रोकेगा नही ! उनकी जो भी स्वाभाविक प्रतिक्रिया होगी उसे होने देना है !” यह बात संजीव भट्ट, हरेन पंड्या, आर बी श्रीकुमार जैसे पुलिस अफसरों ने साफ – साफ लिखा है ! और क्राइम अगेंस्ट ह्यूमानिटी जैसे ! जस्टिस कृष्ण अय्यर के नेतृत्व वाली कमिटी के रिपोर्ट ! तथा मनोज मित्ता, आशिष खैतान राणा आयुब, सिध्दार्थ वरदराजन, लेफ्टनंट जनरल जमीरूद्दीन शाह ! जैसे लोगों की किताबों ! तथा समय – समय पर दिए गए इंटरव्यू में, यह बात कही गई है ! फिर अहमदाबाद शहर के गुलमर्ग सोसायटी की घटना हो ! या नरोदा पटिया की दो सौ से अधिक लोगों को मार डालने की घटना में ! सभी जगहों पर पुलिस और प्रशासन का निष्क्रिय रहना किस बात का संकेत है ? पूर्व डी आई जी आर बी श्रीकुमार जैसे जांबाज अफसर ने खुद अपनी “गुजरात बिहांइंड द कार्टन” नाम की किताब में गुजरात सरकारने गठित की गई जांच कमेटी जिसके प्रमुख जस्टिस नानावटी और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित एस आईटी के प्रमुख डॉ आर के राघवन तथा गुजरात के दंगों के बाद केंद्रीय गृहमंत्रालय द्वारा भेजे गए मुख्यमंत्री के सलाहकार के पी एस गिल के साथ मुलाकात कर ! उन्हें अपनी तरफ से वास्तविक स्थिति से अवगत कराया ! लेकिन इस सब के बावजूद गुजरात की पुलिस और प्रशासन की भूमिका को लेकर कोई खास असर हुआ नहीं ! उल्टा आर बी श्रीकुमार, संजीव भट्ट और शर्मा जैसे अफसरों को क्या – क्या प्रताडना सहनी पड रही है ! यह पूरी दुनिया जानती है !


इस दंगे में मुख्य रूप से यह जाहिर होता है कि ! ( 1) मुस्लिम समुदाय के भीतर यह भावना पैठ कर बैठ गई है ! कि उन्हें हिंदू सांप्रदायिक शक्तियों के हरावल दस्तों के हवाले कर दिया है !
(2) पुलिस और प्रशासन के अधिकारीयों के भेद-भाव पूर्ण व्यवहार के कारण मुसलमानों का फौजदारी न्यायप्रणाली के उपर विश्वास उठ गया है ! उसके कारण (अ) किसी भी मुस्लिम द्वारा लिखित तक्रार को बदल कर के लिखा जाना!
(ब) एफआईआर में से हिंदू आरोपीयो के नाम शामिल नहीं करना !
(क) अगर कोई हिंदू आरोपी की बेल की अर्जी है तो सरकारी अधिकारियों के द्वारा उसका विरोध नहीं करना ! और उल्टा गोधरा कांड के आरोपियों में हिंदू समुदाय के लोगों को बेल मिल गई ! लेकिन मुस्लिम समुदाय के लोगों को केस का फैसला होने तक जेल में रहना पडा !
इस तरह के प्रशासन के रवैये को देखते हुए ! जाहिरा शेख जैसे परिवार के सभी सदस्यों को खोने के बावजूद ! उसके सामने ऐसी स्थिति उत्पन्न की गई कि ! उसे अपने केस को वापस लेने के अलावा और कोई रास्ता नहीं रखा गया ! उल्टा उसने उसे कानूनी और नैतिक मदद देने वाले लोगों के खिलाफ उल्टा-पुल्टा बोलने का दबाव बनाया गया !


अभी नागपुर में सीबीआई जज हरकिशन लोया के रहस्यमय परिस्थितियों में हुई मौत को लेकर ! खोजी पत्रकार निरंजन टकले ने अपने “हूँ किल्ड जज लोया” किताब लिखने के पहले ! लोया के परिवार के सदस्यों के बयानों को रेकॉर्ड करने के बाद ही ! बहुत मुश्किल से नौ महीने के कडी मेहनत और अपनी जान जोखिम में डाल कर ! तीनसौ से अधिक पन्नौकी किताब लिखी है ! लेकिन अब वही रिश्तोंदारोने टकले के साथ सबंध तोड लिए है ! फिर जाहीरा शेख से लेकर खुर्शीद अहमद या उनकी पत्नी समीना हुसैन या सोहराबुद्दीन के परिवार के सदस्यों ने अपनी केस को वापस लेने की बात हो ! आखिर सभी के अस्तित्व का सवाल है ! और जिस तरह से उनके परिवार के सदस्यों को अपनी जाने गंवानी पडी है ! यह सब देखते हुए किसी भी सर्वसामान्य आदमी या औरत की अपनी एक मर्यादाओं के कारण ! अपराधियों का मनोबल बढ़ाने में मदद मिल रही है ! आखिर हर बात की एक मर्यादा होती हैं ! अब इक्कीस साल के बाद भारत जैसे बहुधर्मिय- बहुजातिय बहुसांस्कृतिक देश में किसी भी ! तरह – तरह के धार्मिक पंथ, दल यह भारत के एकता और अखंडता के लिए खतरनाक है ! और ऐसे लोगों की जगह सार्वजनिक जीवन में कहीं भी नहीं होनी चाहिए ! यही सबसे बड़ा उपाय हो सकता है ! अन्यथा ऐसे गुजरात और भी होते रहेंगे ? अगर हमारे देश का अमृतकाल सचमुच शुरू हुआ है ! तो ऐसे विषैले विचारों के संगठनों का अस्तित्व अमृत को विष बनाने का ही काम करते रहेंगे ! इसलिए इन्हें रोकने के लिए सर्वसमावेशी जिसे गंगा – जमनी संस्कृति बोला जाता है ! उसी का निर्माण होना सबसे असरदार उपाय है !
डॉ सुरेश खैरनार, 23 फरवरी 2023, नागपुर

 

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