इस बार बेगूसराय नगर निगम का चुनाव हाइटेक होगा. किंग मेकर और किंग में मेयर की कुर्सी प्राप्त करने के लिए जंग के आसार दिख रहे हैं. विकास और बदलाव के पक्षधर आमने-सामने होंगे. नगर निगम के 45 निवर्तमान पार्षदों में से दो-तिहाई की वापसी नहीं होने की प्रबल संभावना दिख रही है. विकास और बदलाव के टक्कर में अधिकांश मतदाता बदलाव के पक्ष मे मन बना रहे हैं. अच्छे छवि वाले नए चेहरे को इस बार जनता तरजीह देगी. नगर निगम में शामिल पंचायतों का विकास नहीं होना इस का मुख्य कारण माना जा रहा है. वहीं नगरवासी शुद्ध पेयजल एवं रोशनी के लिए लालायित हैं. सड़क, नाला, जलनिकासी की समुचित व्यवस्था नहीं होने से मतदाताओं में आक्रोश नजर आता है.
जल जमाव, ढ़क्कन रहित नाला, खराब चापाकल, सड़क किनारे मल त्याग, रोशनी के लिए लगाए गए अधिकांश बल्ब खराब, सड़क का अतिक्रमण, यातायात जाम, जर्जर स्टेडियम आदि नगर निगम की पहचान बन चुकी है. निवर्तमान पार्षदों के भविष्य पर इसका सीधा प्रभाव पड़ना निश्चित है. पिछले पांच वर्षों के कार्यकाल के दौरान कंबल खरीद, चापाकल, बल्ब खरीद, सड़क एवं नाला निर्माण आदि में व्याप्त भ्रष्टाचार के आरोप एवं सरकारी राशि के घोटाले का मामला पार्षदों द्वारा अनेक बार सदन में उठाया गया और जांच की मांग की गई. लेकिन इस मामले की जांच नहीं कराई गयी.
पांच वर्ष पूर्व जिले के वरवीघी गांव में पहली बार बिहार मंत्रिमंडल की बैठक सचिवालय से बाहर हुई और तत्कालीन नगर विकास एवं आवास मंत्री डॉ भोला सिंह वर्तमान में बेगूसराय के सांसद की पहल से बेगूसराय को नगर निगम का तोहफा प्राप्त हुआ. आलोक कुमार अग्रवाल पहले मेयर चुने गए. लेकिन दबंग पार्षदों के दबाव से ऊब कर उन्होंने पद से त्यागपत्र दे दिया था. उसके बाद संजय कुमार मेयर निर्वाचित हुए. बताया जाता है कि संजय कुमार को मेयर की कुर्सी तक पहुंचाने में समाजसेवी उपेन्द्र प्रसाद सिंह का पूरा समर्थन प्राप्त था. मेयर की कुर्सी संभालते ही संजय कुमार ने घोषणा की थी कि तीन महीने के अन्दर बेगूसराय नगर निगम क्षेत्र को चकाचक बना देंगे. लेकिन वह कहीं दिखाई नहीं पड़ा.
कई माह तक नगर आयुक्त एवं मेयर के बीच उत्पन्न विवाद के कारण विकास का कार्य ठप रहा और आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी रहा. नए नगर आयुक्त के योगदान के बाद भी विकास नहीं हो सका. नगर का सौन्दर्यीकरण, पार्क का निर्माण, बस पड़ाव का विकास, जल निकासी का कार्य नहीं हो सका. नगर निगम अपनी ज़मीन को भी अतिक्रमण से मुक्त नहीं करा पाई. शहर की सड़कों पर अतिक्रमण के कारण यातायात जाम की भयावह स्थिति बरकरार है. शहर के नवनिर्मित कॉलोनियों में भीं सड़क, नाला, रोशनी नहीं पहुंच पायी है.
उपरोक्त कुव्यवस्था का दंश झेल रहे पीड़ित एवं विकास को लालायित बुद्धिजीवियों ने उपेन्द्र प्रसाद सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है. निशाना मेयर की कुर्सी है. दानशीलता, खेल-खिलाड़ियों, कलाकारों को प्रोत्साहित करने, पीड़ितों की मदद करने और स्वच्छ छवि के कारण उपेन्द्र प्रसाद सिंह को जिले में सम्मानजनक स्थान प्राप्त है. निवर्तमान मेयर संजय कुमार को विकास कार्य करने के लिए कम समय मिला फिर भी जितना संभव हुआ विकास कार्यों को आगे बढाया.
उपेन्द्र प्रसाद सिंह एवं संजय कुमार दोनों अलग-अलग वार्ड से चुनाव मैदान में हैं. दोनों के जीतने की प्रबल संभावना है. दोनों की अग्निपरीक्षा मेयर के चुनाव में होगी. दोनों की नजर मेयर की कुर्सी पर है. दोनों में से किसके सिर पर होगा मेयर का ताज यह तो आने वाला समय तय करेगा. चुनाव की सारी तैयारियां पूरी कर चुकी हैं. नगर निगम के 45 वार्ड के 100417 पुरूष एवं 87839 महिला मतदाता 124 मतदान केन्द्रों पर 28 फरवरी को अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करेंगे. मतदान ई.वी.एम. से होगा. मतगणना 3 मार्च को होगी.