भारतीय उपमहाद्वीप की महिला शिक्षा तथा, महिला सुधार के कारण सावित्रीबाई फुले तथा फातिमा शेख की कड़ी में, की पूर्व भारतीय प्रदेशके अविभाजित बंगाल तथा बिहार में ! महिलाओं के सक्षमीकरण के काम के कारण ! आज उनके 141 वे जयंती और 89 वे पुण्यतिथि बंगाल के दोनों हिस्सों में मनाई जा रही है !


बंगला देश के रंगपूर में 9 दिसम्बर 1880 में जन्म हुआ था और अठारह साल की उम्र में 38 साल के भागलपुर के खान बहादुर सखावत होसेन नाम के डेप्युटी मेंजिस्ट्रेट से शादी हुई थी ! (1898) खान बहादुर की पहली बीवी की मृत्यु होने के कारण यह शादी हुई थी ! और खान बहादुर प्रगतिशील विचारों के होने के कारण ! उन्होंने अठारह साल की रूकिया को शादी के बाद आगे की पढ़ाई करने के लिए प्रोत्साहित किया ! और रूकिया ने बंगाली, अंग्रेजी माध्यम से अपनी शिक्षा प्राप्त की ! और बंगला भाषा में लिखने के लिये भी खान साहब ने प्रोत्साहन देने के कारण 1902 में रूकिया ने पिपासा ( thirs) निबंध लिखा ! (1905) माटीचुर नाम से किताब लिखी और भी काफी लेखन किया है !
और सबसे महत्वपूर्ण बात बीसवीं शताब्दी के शुरुआत में, विज्ञान के अनुसार सौर ऊर्जा से लेकर हवाई जहाज तथा मौसम परिवर्तन से समाज की भलाई के लिए क्या किया जा सकता है ! जैसे वैज्ञानिक अनुसंधान को केंद्र में रखकर विज्ञान कथा और अन्य साहित्य लिखा है !


भागलपुर में अपने पति की मौत के बाद उनके स्मृति में शेखावत मेमोरियल गर्ल्स स्कूल की स्थापना की जो पारंपरिक उर्दु भाषा में पांच विद्यार्थियों के साथ शुरू किया था ! लेकिन पति के मृत्यु के पश्चात संपत्ति के विवाद के कारण 1911 में उन्होंने भागलपुर से कलकत्ता बंगाली भाषा के क्षेत्र में जाकर चौबीस साल तक उस स्कूल को चलाने का काम किया ! आज वह स्कूल सेक्सपिअर सरणी कोलकाता में बखुबी चल रहा है !
बीसवीं सदी के शुरूआत में एक महिला वह भी मुस्लिम समुदाय में पैदा होने के बावजूद ! भारतीय महिलाओं के शिक्षा से लेकर साहित्य के क्षेत्र में वैज्ञानिक सोच को केंद्र बनाकर लेखन वह भी कथा, कहानी, निबंध के माध्यम से अपना योगदान दिया है !
और मुस्लिम महिलाओं के लिए अंजुमन – ए-खवातीन नाम से महिलाओं के विकास के लिए चर्चा, परिसंवाद के लिए एक विशेष कार्यक्रम के लिए मंच की स्थापना करती है ! और उस मंच से महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए शिक्षा और वह भी वैज्ञानिक सोच के साथ ! आज से सौ साल पहले शुरूआत करने की बात देखकर लगता है कि आज की तुलना में शायद अंग्रेज़ होने के कारण यह संभव हुआ होगा !
उनकी मृत्यु भी 9 दिसंबर के दिन ही 1932 में उनके 52 वे जन्मदिन के दिन सोदपूर में हुई है ! जहां पर पानीहाटी गर्ल्स स्कूल के प्रांगण में उनकी मजार है !
बंगला देश में आज रूकिया दिवस मनाया जाता है ! तथा उनके नाम से विश्वविद्यालय, पाठशालाओं से लेकर सार्वजनिक इमारतों के नाम दिया जाता है ! और आज महिला विकास, शिक्षा इत्यादि महिलाओं के लिए काम करने वाले लोगों को पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है !

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