सूबे के बेसिक शिक्षा एवं पुष्टाहार राज्यमंत्री कैलाश चौरसिया की मुश्किलें बढ़ती नजर आने लगी हैं. उन्हें उनके ही घर में घेरने की तैयारी शुरू कर दी गई है. तीन बार से मीरजापुर सदर सीट से विधायक चुने जाने के साथ मंत्रिमंडल में स्थान पाने वाले कैलाश चौरसिया के खिलाफ विकास कार्यों की अनदेखी और विकास कार्यों के नाम पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए जनपद के प्रमुख चिकित्सक एवं भाजपा नेता डॉ. नीरज त्रिपाठी ने मोर्चा खोल दिया है.
मंत्री पर उनके गृह जनपद मीरजापुर में बेसिक शिक्षा विभाग में सह समन्वयकों की नियुक्ति शासनादेश एवं उच्च न्यायालय के आदेश को दरकिनार कर बड़े पैमाने पर धांधली का आरोप लगाया गया है. बेसिक शिक्षा विभाग में चल रहे निरंतर अनियमितताओं और घोटाले की शिकायत मुख्यमंत्री से करते हुए जांच कराये जाने की भी मांग की गई है. राज्यमंत्री कैलाश चौरसिया के विभाग बेसिक शिक्षा के अंतर्गत मीरजापुर में घूस लेकर नई नियुक्तियां की जा रही हैं. विभाग में मध्य सत्र में पुनः स्थानान्तरण एवं प्रमोशन का कार्य भी रिश्वत लेकर किया जा रहा है.
इस संबंध में आरटीआई के माध्यम से जानकारी मांगी गई लेकिन संबंधित अधिकारी सूचना देने से कतरा रहे हैं. पिछले दिनों प्रदेश के बेसिक शिक्षा एवं पुष्टाहार राज्यमंत्री कैलाश चौरसिया ने अपने जनसंपर्क कार्यालय पर प्रेस वार्ता के माध्यम से मीरजापुर और अपने सदर विधान सभा क्षेत्र में कराये गए विकास कार्यों की जानकारी देते हुए इंजीनियरिंग कॉलेज, गंगा नदी पर भटौली एवं चुनार में पुल, ट्रॉमा सेंटर आदि बनवाने का जिक्र किया था. जबकि सच्चाई इसके इतर है.
वास्तविकता यह है कि इनमें से एक भी कार्य अभी पूर्ण नहीं हो पाया है और न काम के पूर्ण होने की कोई तिथि तय है. काम की लागत में दिनोंदिन इजाफा जरूर होता जा रहा है. भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है और प्रोजेक्ट के पूरा होने के नाम पर लूट की खुली छूट मिली हुई है. जांच होने पर मामला पूरी तरह से साफ हो जाएगा. दशकों से इन प्रोजेक्ट्स के लटके पड़े होने से विकास कार्यों की लागत में बढ़ोत्तरी होती जा रही है और जनता को परेशानियों से राहत मिलने की कोई संभावना नहीं है.
मीरजापुर-रीवां, मध्य प्रदेश नेशनल हाईवे सहित संत रविदास नगर (भदोही) औराई-विंध्याचल मार्ग के फोरलेन एवं मीरजापुर जिले के सभी संपर्क मार्गों की हालत खस्ता है. इसे आम जनता भुगत रही है. पिछली समीक्षा बैठक में राज्यमंत्री ने विंध्याचल नवरात्र मेला से पूर्व सड़कों के सुधार का आश्वासन दिया था, लेकिन वह भी बेमानी साबित हुआ. चौरसिया पिछले तीन बार से मीरजापुर नगर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते चले आ रहे हैं. लिहाजा ऐसे आश्वासनों का अर्थ लोगों को समझ में आता है.
समाजवादी पार्टी की सरकार में राज्यमंत्री होने के बाद भी वे अपने विधानसभा क्षेत्र को विकास की दौड़ में शामिल करा पाने में नाकाम रहे हैं. इनके विकास के खोखले दावों की पोल खोलने के लिए ही भाजपा ने ‘पोलखोल यात्रा’ शुरू करने का एलान किया है. इस अभियान के माध्यम से जन समस्याओं की अनदेखी किए जाने का पूरा चिट्ठा खोला जाएगा. ‘पन्द्रह साल – नगर विधानसभा बदहाल’ के नारे के साथ भाजपाई जनता के बीच जाएंगे.
भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं जनपद के प्रमुख चिकित्सक डॉ. नीरज त्रिपाठी राज्यमंत्री के कामकाज पर सवाल उठाते हैं. वे कहते हैं कि जो काम राज्यमंत्री ने नहीं किया उसका भई श्रेय लेने की कोशिश करते हैं. चौरसिया केंद्र सरकार की विजयपुर गांव में प्रस्तावित सोलर पावर परियोजना का श्रेय भी अपने नाम करने का जतन करते दिखते हैं.
राज्यमंत्री का नाम उन शिलापट्टों पर भी अंकित हो गया, जिन कार्यों से राज्यमंत्री का कोई लेना देना भी नहीं था. राज्यमंत्री द्वारा अपने निजी आवास स्थित जनसंपर्क कार्यालय से सरकारी अनुदान एवं राजकीय नियुक्ति पत्र का वितरण किया जाना भी क्षेत्र में चर्चा का विषय है. विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही राज्यमंत्री ने लोगों को अपने साथ जोड़ने के लिए मिस्डकॉल नम्बर जारी किया. इसे लेकर भी लोगों में हास-परिहास जारी है.
बिना टेंडर के वितरित हो गए यूनिफॉर्म
उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग में वर्तमान में लूट की खुली छूट है. इसकी बानगी यूनिफॉर्म वितरण में देखने को मिल रही है, जिसमें शासनादेश की धज्जियां उड़ाते हुए जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है. इस भ्रष्टाचार में बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री कैलाश चौरसिया का जनपद भी शामिल है. राज्यमंत्री के गृह जनपद मीरजापुर में विभागीय योजनाओं की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं.
बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा स्कूली बच्चों को वितरित होने वाले यूनिफॉर्म को लेकर आरोप है कि बिना टेंडर निकाले ही करीब पांच दर्जन विद्यालयों में यूनिफॉर्म बांट दिए गए. अधिकांश जगहों पर रेडीमेड यूनिफॉर्म का वितरण किया गया है, जबकि शासन का स्पष्ट निर्देश है कि यूनिफॉर्म को सिलवाकर वितरित किया जाए. शासन का निर्देश है कि जिस विद्यालय में ढाई सौ से अधिक छात्र हैं, वहां पर नियमानुसार टेंडर कराकर ही यूनिफॉर्म का वितरण किया जाए.
मीरजापुर जनपद में इस श्रेणी के पांच दर्जन से अधिक विद्यालय हैं. इन स्थानों पर ढाई सौ छात्रों से अधिक अथवा एक लाख से अधिक की धनराशि के यूनिफॉर्म का वितरण होना था, लेकिन कहीं भी इन निर्देशों और मानकों का पालन नहीं किया गया है. शासन का आदेश है कि अच्छी क्वालिटी का कपड़ा लेकर उसे छात्रों के नाप के अनुसार दर्जी से सिलवाकर ही उन्हें दिया जाए.
इसके लिए शासन ने एक सेट यूनिफॉर्म की कीमत दौ सौ रुपए तय कर रखी है. हर छात्र को दो सेट यूनिफॉर्म दिए जाने का निर्देश है. लेकिन हो रहा है इसका ठीक उल्टा. अभिभावकों का आरोप है कि उन्हें बाध्य किया जा रहा है कि वे रेडीमेड यूनिफॉर्म ही लें. इसके अलावा दूसरे कपड़ों की क्वालिटी को लेकर भी उंगलियां उठ रही हैं. अभिभावकों ने इसकी जांच कराए जाने की मांग की है.
इस बारे में पूछने पर बीएसए मनभरन राम राजभर कहते हैं कि विद्यालयों में नियमानुसार यूनिफॉर्म का वितरण किया जा रहा है. वह बताते हैं कि कुछ ऐसे भी विद्यालय हैं जहां नामांकन तो है, लेकिन वे छात्र स्कूल नहीं आते, ऐसे में यूनिफॉर्म तो उन्हीं छात्रों को मिलेगा जो वास्तविक हैं और जो नियमित विद्यालय आते हैं. उल्लेखनीय है कि मीरजापुर जिले के परिषदीय विद्यालयों में ढाई लाख छात्रों को यूनिफॉर्म वितरण के लिए नामांकित किया गया था. पूरे जनपद में इस योजना के तहत 03 लाख 10 हजार 377 छात्र-छात्राएं हैं.
नक्सल क्षेत्र में बेपटरी है पठन-पाठन
शिक्षा विभाग द्वारा सूबे के नक्सल प्रभावित गांवों में लोगों को शिक्षा से जोड़ने की दिशा में बेहतर कदम उठाए जाने के दावे तो खूब किए जाते हैं, लेकिन हकीकत इसके विपरीत है. मीरजापुर नक्सल प्रभावित राजगढ़ क्षेत्र की बदहाल शिक्षा व्यवस्था देख कर आम लोगों को भी रोना आता है. क्षेत्रीय निवासी रमाशंकर सिंह पटेल कहते हैं कि राजगढ़ क्षेत्र के अधिकांश प्राइमरी विद्यालय बंद रहते हैं.
विद्यालय बंद होने से पठन-पाठन ठप्प रहता है. स्थानीय लोग राजगढ़ के सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित कराने के साथ एमडीएम की गुणवत्ता जांच कराए जाने की मांग कर रहे हैं, ताकि सरकारी धन का बेजा उपयोग रुके और बच्चों को सुलभ शिक्षा का लाभ मिल सके.
पूर्वांचल में सक्रिय हो रही शिवसेना
उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में शिवसेना भी मैदान में उतर रही है. शिवसेना ने पूर्वांचल के कई जनपदों में अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है. जौनपुर जिले में शिवसेना ने उत्तर भारतीय संघ के नेता गुलाब दुबे को मैदान में उतारने का मन बनाया है. वाराणसी से शिवसेना के दिग्गज नेता अरुण पाठक के नाम की चर्चा जोरों पर है. गुलाब दुबे जौनपुर के मड़ियाहू क्षेत्र के रामपुर गांव के रहने वाले हैं. वाराणसी निवासी अरुण पाठक की पहचान काशी में वाटर फिल्म के विरोध से बनी थी. वाराणसी के ही शिवसेना महानगर अध्यक्ष अजय चौबे सहित कई अन्य नामों की चर्चा है.
मीरजापुर, आजमगढ़, भदोही, गाजीपुर, मऊ और बलिया की विधानसभा सीटों पर शिवसेना अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है. शिवसेना उत्तर प्रदेश के युवा प्रभारी अरुण पाठक बताते हैं कि विधानसभा चुनाव में शिवसेना पूरी दमदारी के साथ उतरेगी. उम्मीदवारों के नामों की घोषणा भी शीघ्र की जा सकती है.