बंगाल में बिरभूम जिला मुख्यालय के शिवडी नाम के शहर में डाॅ. बाबा साहब अंबेडकरजी के नाम से उद्यान !
अब महाराष्ट्र के लोगों के लिए यह बहुत ही गैरमामुली बात लग सकती है ! लेकिन तथाकथित पुनर्जागरण के बंगाल में ! भलेही आजादी के पहले बाबा साहब संविधान सभा में बंगाल से चुनाव जीते थे ! लेकिन वह मतदाता संघ अब वर्तमान बंगला देश में की घटना है ! बंगाल में अठारह और उन्नीसवीं शताब्दियों में राजा राममोहन राय (1772 – 1833), इश्वर चंद्र विद्यासागर (1820-1891) जैसे बंगाल के समाजसुधारक हो गये हैं ! लेकिन भद्र बंगाली समाज तक इनका प्रभाव से कुछ कदमों का सामाजिक सुधार जरुर हुआ है ! लेकिन महाराष्ट्र में ज्योतिबा फुले (1827-1890)और ज्योतिबा के निधन के डेढ़ सौ दिनों के भीतर ! डॉ. भिमराव आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 और महानिर्वाण 6 दिसंबर 1956 के दिन हुआ है ! लेकिन उनके बारे में बंगाल में बहुत मामूली जानकारी रही है !
यह बात भारत के संसदीय इतिहास में पहली बार ! नक्सली नेता विधानसभा चुनाव में जितने वाले ! संतोष राणा नाम के मेरे एक मित्र ने ! मुझे नब्बे के दशक में ! महात्मा ज्योतिबा फुले की जीवनी के उपर बने ! मराठी फिल्म ‘महात्मा’ का उनके निधन के शताब्दी के उपलक्ष्य में, दूरदर्शन पर ! अंग्रेजी सबटाइटल्स के साथ दिखाई गई ! फिल्म के बाद, मुझे संतोष राणा का फोन आया ! और उन्होंने कहा “कि सुरेश कार्ल मार्क्स – एंगेल्स और ज्योतिबा फुले का समय एक ही है !” और जिस साल कार्ल मार्क्स ने ‘ कम्युनिस्ट मेनिफास्टो’ लिखा है ! और उसी समय ज्योतिबा फुले ने ‘गुलामगिरी’ नामक किताब लिखी है ! और स्रि-शुद्रो के लिए शिक्षा हेतु, भारतके पहले स्कूल की शुरुआत सावित्रीबाई के अगुआई में करने का प्रयास विलक्षण क्रांतिकारी घटना है ! लेकिन मुझे खुद को आज पहली बार यह फिल्म देखने के बाद पता चला ! तो आपके पास फुले – आंबेडकर के कुछ अंग्रेजी साहित्य हो तो पढ़ने के लिए दिजीए !
अनायास डॉ. बाबा साहब अंबेडकरजी की शताब्दी के समय 1991 में ! महाराष्ट्र सरकारने समग्र आंबेडकर साहित्य, मराठी और अंग्रेजी में छापने की शुरुआत की थी ! और मेरे पास शुरू के 10-12 खंड अंग्रेजी के थे ! तो मैंने संतोष राणा, प्रोफेसर अम्लान दत्त, गौरकिशोर घोष तथा शिवनारायण राय इन सभी मित्रों को ! अलटपलटकर नब्बे के दशक में पढ़ने के लिए दिए थे !
और उन्होंने मुख्यतः प्रोफेसर अम्लान दत्त ने ! स्टेट्समन जैसे प्रतिष्ठित अंग्रेजी अखबार में लिखा है ! और मुझे कबुल करते हुए कहा “कि सुरेश धन्यवाद आपका ! अन्यथा हमारे अपने ही देश की जाती व्यवस्था के बारे में, इतना बड़ा अकादमीक काम किया हुआ ! डॉ. बाबा साहब अंबेडकरजी के साहित्य का हमनें अभितक दर्शन भी नहीं किया था ! तो महाराष्ट्र में आजसे दो सौ साल पहले ! सामाजिक क्रांति की शुरुआत हुई ! लेकिन बाहरी दुनिया को लगभग मालूम होने के लिए ! भी दो सौ साल लगे ! और सामाजिक बदलाव की बात तो काफी दूर है ! और कितना समय लगेगा ?
इसलिए रविंद्रनाथ टागौर की कर्मभूमि ! शांतिनिकेतन के जिला मुख्यालय, शिवडी में डाॅ. बाबा साहब अंबेडकरजी के नाम से ! किसी सार्वजनिक उद्दान का होना ! मेरे लिए बहुत बडा मायने रखती है ! हमारे देश में एक दूसरे के बारे में ही ढंग से जानकारी नहीं है ! लेकिन उसी बंगाल में लॅटिन अमेरिका, ब्लॅक लिटरेचर की जानकारी है ! लेकिन हमारे अपने ही देश के पिछड़ेपन के शिकार ! दलित – आदिवासीयो के साहित्य की नही है ! और भद्र बंगाली भाषा के साहित्यिक ! फिर वह रविंद्रनाथ क्यो न हो ! दलित – शोषित समाज के उपर कुछ भी नहीं है ! और होगा तो भी कैसे ? आपको उस समाज की जानकारी ही नहीं है ! उसके साथ कोई भी सरोकार नहीं है ! तो (उनसे अपने लिए श्रम का छोड़कर ! ) मराठी कहावत के जैसा! “जावे त्याच्या वंशा तेव्हा कळे” (जबतक उसके जाति में पैदा नहीं होंगे तबतक नही समझ सकते !)
सही मायने में बंगाल में अब कहीं ! बंगला सांस्कृतिक मंच के द्वारा ! सांस्कृतिक, सामाजिक तथा आर्थिक क्रांतिकारी बदलाव की कोशिश जारी है !
साथियों यह फोटो, पस्चिम बंगाल के विरभूम जिला मुख्यालय, शिवडी नाम के जगह पर ! बंगला सांस्कृतिक मंच के पहल पर ! एक नऐ सार्वजनिक उद्दान को डॉ. बाबा साहब अंबेडकरजी का नाम दिया गया उस जगह की है ! बंगला सांस्कृतिक मंच, बंगाल में जाति – धर्मनिरपेक्ष और समतामूलक समाज के लिए, विशेष रूप से सक्रिय सामाजिक संघटना है !
वजह गत कुछ दिनों से ! और बहुत ही संघटीत तरिकेसे आर. एस. एस. और उसकी राजनीतिक ईकाई बीजेपी ! बहुत ही शिद्दत से, बंगाल को गुजरात जैसे उग्रहिंदूराष्ट्र की प्रयोगशाला बनाने के लिए ! विशेष रूप से कोशिश कर रहा है ! पैतिस सालों तक, बंगाल पर राज करने वाली लेफ्ट फ्रंट ! के मुख्य घटक दल, सीपीएम ने, बीजेपी के सामने घुटने टेक दिए हैं ! ( 2011 का विधानसभा चुनाव हारने के बाद तुरंत ही ! ज्यादातर सीपीएम का कैडर बीजेपी में शामिल हो गया हैं ! )और कांग्रेस ने तो अपने घुटने, 1977 के बाद ही ! सीपीएम के सामने टेक दिए थे ! बचीखुची कांग्रेस ने अब बीजेपी के सामने अपने घुटने टेक दिए हैं ! 100 साल कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना को 1925 में होने जा रहें हैं ! लेकिन कहा गया ? हमारा जाती – धर्मनिरपेक्ष तथा समतामूलक समाज का सपना ? बंगाल में 1977 से एकमुश्त, पैतिस साल की सत्ता के बावजूद कम्युनिस्ट की जगह कम्यूनल ?
और तथाकथित अन्य सेक्युलर, तथा अपने आप को परिवर्तन वादी कहने वाले लोग ! कोलकाता में कॉफी हाउस में बीड़ी सिगरेट और साथ – साथ चाय – कॉफी पिते हुए ! बाल की खाल निकालने के अलावा ! और कोई सार्थक पहल नहीं कर रहे हैं !
ममता बॅनर्जी वन वुमेन शो के अलावा और कुछ नहीं है ! जिस दिन उन्हें कुछ हो जाएगा ! ( प्रार्थना करता हूँ कि वह सहीसलामत रहे ! क्योंकि कुछ भी हो, लेकिन पोलिटिकल भाषा में ! लेसर ईविल के रूप में ! उन्होंने बीजेपी को रोकने का ऐतिहासिक काम, करने की कोशिश की है ! ) उस के बाद व्यक्तिकेंद्रित पार्टी होने के कारण ! पत्ते के महल जैसे, उनकी भी राजनीति धराशायी होने में एक क्षण भी नहीं लगने वाला ! जैसे महाराष्ट्र में आज शिवसेना के साथ हो रहा है !
हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में ! उनका मतो का 32% और बीजेपी 30% सिर्फ दो प्रतिशत का अंतर रह गया है ! यह दो प्रतिशत को हासिल करना ! राम मंदिर, बंगला देश से होने वाली घुसपैठ, और लव्ह जेहाद, गोमाता तथा स्थानिक स्तर पर भी सवाल आस्था का है ! कानून का नही वाले मुद्दों की कमी नहीं है !
पिछले कुछ दिनों से बंगाल में कुछ जगहों पर ! संघ के द्वारा, रामनवमी और हनुमान जयंती के अवसर पर, छोटे – छोटे बच्चों के हाथ में चाकू – छूरे, तलवार – भालो को लेकर, जुलुस निकालने का सिलसिला शुरू किया गया है ! जो कि बंगाल में काली – दुर्गा के अलावा अन्य किसी भी प्रकार की पूजा का चलन नहीं था ! लेकिन सुना है कि आर. एस. एस. पिछले कुछ सालों मे बंगाल के सिमावर्ति जिलों में ! और कोलकाता के हिंदी भाषी लोगों को पकडकर पैसे देकर गणेश पूजा,गुढीपाडवा, रामनवमी , हनुमान जयंती जैसे उत्सव मनाने के लिए ! विशेष रूप से प्रोत्साहित करने के प्रयास जारी हैं !
और हमारे कुछ साथियों को लगता है कि, इससे क्या होगा ? वह अपने गलतफहमी के कारण ! इन गतिविधि को कम आंकने के कारण ही ! जिस बीजेपी की, कुछ समय पहले ! बंगाल में दो प्रतिशत भी वोट प्राप्त करने की क्षमता नहीं थी ! वह आज दो नंबर की पार्टी बन बैठी है ! और कांग्रेस, लेफ्ट के वोट बीजेपी के नब्बे वाले दशक के वोटों के बराबर चले गए हैं ! और कांग्रेस, लेफ्ट पुराने बीजेपी के वोट पर्सेन्ट पर आज है!
इस तरह के राजनीतिक- सामाजिक, सांस्कृतिक शून्य की स्थिति में ! बंगला सांस्कृतिक मंच के तरफसे जो पहल की जा रही है ! वह कई मायनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही ! बंगाल में बिरभूम जिले में, आर. एस. एस. और उसकी राजनीतिक ईकाई बीजेपी ने हिंदुत्ववादी राजनीति का एपीसेंटर के रूप में ! इस क्षेत्र को सबसे पहले, और सबसे अधिक ! अपनी शाखाओं से लेकर, दलितों के घरों में बैठकर सहभोजन जैसे ! गतिविधियों में, अमित शाह, नड्डा जैसे राष्ट्रीय स्तर के नेताओं का शामिल होना ! किसी को यह बहुत ही मामूली बात लग सकती है !
लेकिन राजाराम मोहन राय और ईश्वर चंद्र विद्यासागर, केशव चंद्र सेन, देवेन्द्रनाथ ठाकुर, स्वामी विवेकानंद और नेताजी सुभाषचंद्र बोस ! सबके सब भद्र बंगाली समाज के नेता ! बंगाल में जाती के सवाल पर जो काम होना चाहिए था ! वह नहीं हुआ है ! इसलिए नामशुद्र जाती जो बंगाल की दलितों की जाती है ! जो सदियों से उपेक्षित होने के कारण ! और इनका प्रतिशत 25-30 होने के कारण जबरदस्त आक्रोश इस समाज में है ! और पहली बार कोई राजनीतिक दल दखल ले रहा है ! तो वह भारतीय जनता पार्टी ! और हम उन्हें ब्राम्हणो का दल बोलते रह जा रहे हैं !
इसलिये सबसे गंभीर गतिविधि ! बिरभूम के पाडा – पाडा में ! संघ की शाखा चल रही है ! क्योंकि बिरभूम संथाली से लेकर नमशुद्रो के जनसंख्या में ! बंगाल के अन्य जगहों की तुलना में अधिक है ! यह सोशल इंजिनिअरिंग संघने श्री. बालासाहब देवरस संघप्रमुख बनने के बाद श्री. माधव सदाशिव गोलवलकर के निधन के बाद से ही शुरू की है ! (1973)
और अब अमित शाह को, हमेशा एक खुराफाती आदमी के तौर पर प्रचारित किया जाता है ! लेकिन समस्त भारत में डाॅ. राम मनोहर लोहिया के अगडे – पीछडे सिध्दांत के तहत ! अमित शाह वॉर्ड लेव्हल पर मतदाताओं की लिस्ट हाथो में लेकर ! जगह – जगह के जातीय समिकरण देखते हुए ! चुनाव की रणनीति तैयार करने में, सब से ज्यादा माहीर है ! और उसी तरह के पिछडी जातियों के लोगों के पास खुद जाकर ! उन्हें पुचकारते हुए ! अपने दल में शामिल करने की कृती का सब से बड़ा उदाहरण ! त्रिपुरा में, पहाड़ी क्षेत्रों के, आदिवासियों में ! सुधिर देवधर जैसा मराठी ब्राम्हण, के माध्यम से! और झारखंड में अशोक भगत तथा गुजरात के डांग – अहवा में आसिमानंद के माध्यम से ! आदिवासीयो के भीतर हिंदुत्व का प्रचार- प्रसार करने का प्रयास जारी है !
और यह नजारा आजसे सात – आठ साल पहले ! मैंने खुद मेरे वरिष्ठ पत्रकार मित्र और वर्तमान में राज्यसभा सांसद ! श्री. कुमार केतकर और उनकी जीवन संगीनी शारदा साठे ने मिलकर एक संयुक्त दौरे में ! 2016 के बर्धमान ब्लास्ट के जांच के बहाने ! लगभग पांच – छह जिलों में जिसमें, बिरभूम, बर्धमान, मुर्शिदाबाद, मेदिनीपुर, बहरामपूर जिलों के गांव – गांव में जाकर परिस्थितियों का आकलन करने की कोशिश की है ! और हमने तत्काल बाद शांतिनिकेतन में ! पूर्व लोकसभा अध्यक्ष, बैरिस्टर सोमनाथ चटर्जी के साथ ! दो घंटों से अधिक समय इस विषय पर, बातचीत करने के बाद ! सोमनाथ चटर्जी ने स्वीकार किया था कि यह वास्तव है !
एक रिपोर्ट भी अंग्रेज़ी में, बर्धमान ब्लास्ट के शिर्षक से तैयार किया है ! वैसे तो मैं 1982-97 तक गिनकर पंद्रह साल ! बंगलावासी रहने के कारण ! और उस समय, मुख्य रूप से भागलपुर के सांप्रदायिक हिंसा के कारण ! बंगाल से वरिष्ठ पत्रकार गौरकिशोर घोष ! तथा बंगाल के चिंतक और अर्थशास्त्री अम्लान दत्त तथा रॉइस्ट शिवनारायण राय और 1994 के बाद एनएपीएम की विधिवत स्थापना करने के बाद ! काफी गति से बंगाल के विभिन्न सवालों को लेकर काम शुरू किया था ! लेकिन हमारे बंगाल के साथियों के आपसी मतभेदों से ! वह फोरम ढीलेपन का शिकार हो गया है !
लेकिन बर्धमान ब्लास्ट के बाद! उस समय मुझे सोहबत करने वाले समिरूल इस्लाम ! और उनके सहयोगियों के कारण ! वर्तमान समय में बंगला सांस्कृतिक मंच की स्थापना करने के बाद ! सबसे मुख्य अभियान, नो बीजेपी ! जो अब कहाँ ? राष्ट्रीय स्तर पर ! कुछ लोगों ने मिलकर “लोकतांत्रिक राष्ट्रनिर्माण अभियान” के नाम से शुरू की गई पहल है ! लेकिन इससे चार – पांच साल पहले ! समिरूल और उसके साथ के नौजवानों के कारण ! पिछले बंगाल के विधानसभा चुनाव में ! बाकायदा नो बीजेपी के बैनर लगाकर ! और वैशिष्ट्यपूर्ण रथ बनाकर ! बिरभूम, बर्धमान तथा मुर्शिदाबाद के क्षेत्र को में ! जबरदस्त अभियान चलाया है ! और उसमे सफलता प्राप्त की है ! वैसे ही कोरोना के समय, बहुत ही अच्छा काम किया है ! लोगों को इलाज मुहैया कराने से लेकर ! रोजगार के अभाव में राशन पहुचाने तक ! तेल नमक चावल – दाल, आलू की पूर्ति करने के लिए ! सभी साथियों ने युद्ध स्तर पर काम किया है !
और सांस्कृतिक स्तर पर, संघ के निष्ठावान अनुयाइयों में से एक को विश्वभारती विश्वविद्यालय ( ज्यो 2014 के बाद भारत की सभी सेंट्रल यूनिवर्सिटीयो में ऐसे नमूनों को चुन – चुनकर भेजा गया है ! ) के कुलपति नियुक्त करने के बाद ! रविंद्रनाथ टागौर की विरासत को एक साजिश के तहत खत्म करने की कोशिश वर्तमान कुलपति कर रहे हैं ! रविंद्रनाथ टागौर ने शुरू कि हुई गतिविधियों को बंद करना उसका हिस्सा है !
और श्यामाप्रसाद मुखर्जी को लेकर, हर लैम्पपोस्ट पर उनके फोटो ! और अमित शाह से लेकर, विनय सहस्रबुद्धे जैसे तथाकथित बुद्धिजीवियों के द्वारा ! विश्वभारती विश्वविद्यालय में कार्यक्रम करना ! और रविंद्रनाथ टागौर ने शुरू किया हुआ पौष मेला ! जो ढेढ सौ साल पहले शुरूआत किया गया ! महर्षि देवेन्द्रनाथ ठाकुर ने 1863 में पहली बार शुरू किया हुआ ! पौष मेला को बंद करना ! कौनसी संस्कृति का परिचायक है ? इसिकारण बंगला सांस्कृतिक मंच की स्थापना की गई है ! और अब गत तीन साल से,पर्यायी पौषमेला जिला परिषद के गेस्ट हाउस के मैदान में ! आयोजित करने की शुरुआत की है ! 2022 का मेला अभि दस दिन पहले ही समाप्त हुआ है !
किसान आंदोलन के समय ! विरभूम जिला के रामपूरहाट में ! विशाल ट्रेक्टर रॅली निकाली थी ! तथा कोविद के समय बहुत जबरदस्त काम करने के कारण ! शेकडो लोगों की जान बचाने के लिए ! विशेष रूप ऐंबुलेंस व्हेंटिलेटर, अॉक्सिजन सिलेंडर तथा दवाईयों के वितरण का काम किया है !
और सबसे महत्वपूर्ण बात ! उस समय तथाकथित अॉनलाईन शिक्षा की शुरुआत करने जैसे ! अजिबोगरीब योजनाओं में आधे से अधिक बच्चों को ! आधुनिक तकनीक अनुपलब्ध होने के कारण ! अॉनलाईन पढ़ाई संभव नहीं थी ! तो बंगला सांस्कृतिक मंच के स्वयंसेवकों ने चलोमान पाठशालाओं की श्रृंखला शुरू की ! जो आज भी बिरभूम और बर्दवान जिले में कार्यरत हैं ! मैंने खुद अक्तुबर – नवंबर की बंगाल यात्रा में उन पाठशालाओं में जाने के बाद कुछ पोस्ट लिखी भी है !
अभी-अभी 23-28 दिसंबर तक महर्षि देवेन्द्रनाथ ठाकुर ने 1863 में यानी ढेढ सौ साल पहले शुरूआत किया गया पौष मेला ! जो वर्तमान शांतिनिकेतन के प्रशासन ने कोरोना के आड में बंद कर दिया है ! जिसमें मुख्य रूप से स्थानीय कारागिरो द्वारा बनाई गई वस्तुओं की प्रदर्शनी में बिक्री ! और स्थानीय कलाकारों के सांस्कृतिक कार्यक्रम और अन्य अमोद – प्रमोद का आनंद लेने के लिए ! विभिन्न प्रकार के मनोरंजन के विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है !
बंगला सांस्कृतिक मंच के बिरभूम जिला संमेलन मोहम्मदपूर बाजार में ! शेकडो की संख्या में लोगों को ! और विशेष रूप से, नब्बे प्रतिशत युवा लोगों की उपस्थिति में ! तथा बर्दवान जीला के संमेलनो में मैं अक्तुबर – नवंबर के बंगाल यात्रा के दौरान खुद हाजीर रहते हुए देखकर बहुत प्रभावित हूँ !और सबसे महत्वपूर्ण बात, वर्तमान समय में ! भारत के केंद्रीय सरकार चलाने वाले लोग ! घोर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करकेही सत्ता हथियाना चाहते हैं ! और बंगाल के उपर विशेष कोशिश लगातार करते हैं ! इसलिये बंगाल का सांप्रदायिक माहौल, बिगड़ना नही चहीए इस लिए ! बंगला सांस्कृतिक मंच के द्वारा जबरदस्त अभियान चलाया जा रहा है ! और सबसे महत्वपूर्ण बात ! पिछले बंगाल के विधानसभा चुनाव में ! नो बीजेपी के लिए बंगला सांस्कृतिक मंच गैर दलिय होने के बावजूद ! जबरदस्त प्रचार – प्रसार करने के लिए ! अपने सभी साथियों के साथ ! अपने आपको झोंक दिया था ! और मुझे भी इस प्रचार-प्रसार के लिए समय – समय पर बुलाया जाता है !
बंगला सांस्कृतिक मंच के सभी साथियों को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ! और डॉ. बाबा साहब अंबेडकरजी के नाम से शिवडी के उद्दान का नामकरण करने के लिए ‘जयभीम’ !
डॉ सुरेश खैरनार 7 जनवरी 2023, नागपुर