आज 22 अक्तुबर 2022 को बिरभूम जिला बंगला सांस्कृतिक मंच के बिरभूम जिला संमेलन को संबोधित करते हुए !
यह मंच भुलागढ जिला हावरा 2017 में दंगे की स्थिति को देखकर प्रोफेसर समिरूल इस्लाम (समिरूल आई आईआईटी की शिक्षा के बाद, विदेश की अपनी आवश्यकता से अधिक पैसे देने वाली नौकरी को छोड़कर, अपने देश की वर्तमान स्थिति को देखते हुए वापस लौटने के बाद!) और उनके कुछ युवा मित्रों ने, मिलकर हस्तक्षेप कीया था ! और दंगाइयों के बीच मे जाकर बीच – बचाव करने के कारण ! दंगे को रोकने में कामयाबी हासिल की है ! अमूमन दंगों के बाद कई संगठनों का जन्म होता है ! या किया जाता है ! लेकिन बंगला सांस्कृतिक मंच के, भूलागढ दंगे को रोकने में कामयाबी हासिल करने के बाद ! शायद सभी साथियों को लगा कि यह प्रक्रिया आगे भी जारी रहनी चाहिए ! तो बंगाल में शांति सद्भावना, और साथ – साथ सेवा के कामों को करते हुए, लगभग बंगाल के सभी जिलों में बंगला सांस्कृतिक मंच की ईकाईया स्थापन करने का प्रयास जारी हैं ! अब तक आधे से अधिक जिलों में बंगला सांस्कृतिक मंच की ईकाईया बन चुकी है !


बंगाल विधानसभा के पिछले साल के चुनाव में, नो बीजेपी अभियान चलाया है ! और बीजेपी को बंगाल में रोकने में ! बंगाल सांस्कृतिक मंच की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है ! और इसी तरह कोरोना के कारण, अचानक घोषित लॉकडॉऊन के समय, लोगों को मुखतः गरीब लोगों को, दो साल में ! दवा और अॉक्सिजन, तथा जीवनावश्यक वस्तूओ को, देने से लेकर, जिन बच्चों की शिक्षा, तथाकथित डिजिटल तकनीक के अभाव में ! चलना असंभव थी ! ऐसे क्षेत्रों में, चलोमान पाठशालाओं की श्रृंखला ! बिरभूम और बर्धमान, मुर्शिदाबाद, आदि जिलों में यह गतिविधि आज भी जारी है ! जिसके बारे में मैंने दो दिन पहले ही लिखा है !
इसके अलावा केंद्र के वर्तमान सत्ताधारी दल की, सांप्रदायिक राजनीति के कारण, शुरू किए गए ! तथाकथित एन आर सी के जैसे, विभाजनकारी कानून के खिलाफ ! बंगाल में जबरदस्त आंदोलन किया है ! और सबसे महत्वपूर्ण बात ! बंगाल के सीपीएम के नेता, अखिल भारत किसान सभा के नेता रहने के बावजूद ! बंगाल में किसानों का आंदोलन, उस दौरान नही खडा हो सका था ! लेकिन बिरभूम जिले में, बंगला सांस्कृतिक मंच के द्वारा ! ट्रॅक्टर रॅली तथा केंद्र सरकारने जो किसान विरोधी कानून पारित किये थे ! उसके खिलाफ आंदोलन भी किया था !


बंगाल में आजादी के बाद से सिर्फ राजनीतिक दलों के ही नेतृत्व में ! सब कुछ होने की ! परंपरा को छेद देते हुए, बंगला सांस्कृतिक मंच के तरफसे ! चलाए जा रहे विभिन्न गतिविधियों को देखते हुए लगता है कि “शायद यह पहला ही प्रयास है !” जिसमें दलितों से लेकर, आदिवासी, महिला और अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों का ! बहुत बडे पैमाने पर सहभागिता देखने के बाद लगता है ! ” कि बंगला सांस्कृतिक मंच सही मायने में समस्त बंगाल के नागरिकों का गैरराजनितिक मंच है !” आज के कार्यक्रम के बाद, भोजन के समय मैंने सभी साथियों के साथ बातचीत की ! और उसमे उन्होंने कहा कि “हमारे साथ बीजेपी छोड़कर सभी राजनीतिक दलों के लोग शामिल हैं ! लेकिन हम बंगला सांस्कृतिक मंच के पदाधिकारियों ने किसी भी राजनीतिक दल में शामिल नहीं होने का फैसला किया है !”


शायद पस्चिम बंगाल में रचना और संघर्ष की सबसे बेहतरीन मिसाल है ! और सबसे बड़ी बात आज के बिरभूम जिला संमेलन में 95% तीस साल के निचले उम्र के युवा और युवतियों की संख्या सबसे ज्यादा है ! जो आजकल काफी अभाव होता जा रहा है ! लेकिन आज के कार्यक्रम को देखते हुए मुझे अपनी खुद की बॅटरी चार्ज होने का एहसास हो रहा है !
जिसमें मैंने आगामी संसदीय चुनाव(2024) में नो बीजेपी अभियान कि घोषणा संपूर्ण सभागृह में उपस्थित श्रोताओं के हाथ उठाकर करवाईं है !
डॉ सुरेश खैरनार, 22 अक्तुबर 2022, मोहम्मदपूर बाजार जिला बिरभूम

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