2019 के क्राईम ब्यूरो के आकडों के हिसाब से भारत में हर दिन 88 महिलाओं के साथ अत्याचार किए जाते हैं ! और उसमे भी दलित और आदिवासियों के महिलाओं की संख्या अधिक होती है ! जिसमें सबसे अधिक मात्रा में उत्तर भारत के सभी राज्यों के नाम है ! कोलकाता की घटना के बाद, पडोसी बिहार के मुजफ्फरपुर में एक दलित नाबालिग लड़की के साथ सामुहिक बलात्कार हुआ है ! और बिहार में भारतीय जनता पार्टी अपने आप को पार्टी वुईथ डिफरंस का दावा करने वाली जनता दल युनाइटेड के साथ सत्ताधारी पार्टी है ! लेकिन मुझे कही भी दिखाई नहीं दिया कि मुजफ्फरपुर की दलित बच्चि की चिख भाजपा को सुनाई दी ! और वही भाजपा बंगाल में संदेशखाली हो या आर जी कार मेडिकल कॉलेज की ट्रेनि डॉक्टर के साथ की घटना को लेकर बढ़चढ़कर राजनीति करते हुए पूरा देश देख रहा है ! मुझे विश्व के किसी भी कोने में महिलाओं के साथ अत्याचार का उतना ही दुख होता है ! जितना कि हमारे घर में हो रही घटनाओं का ! लेकिन उत्तर प्रदेश में भाजपा सत्ताधारी पार्टी बनने के चंद दिनों के भीतर सहारनपुर में दलित समुदाय के महिलाओं के साथ जो जधन्य कांड किया गया ! जिसमें से नया दलित युवा नेता चंद्रशेखर रावण का राजनीतिक जन्म जरुर हुआ ! उसके बाद बलरामपुर, वुलगढी – हाथरस तथा दर्जनों उदाहरण है ! जिसमें सत्ताधारी पार्टी के लोकप्रतिनिधीं तक संलिप्त पाए गए हैं ! लेकिन वही सत्ताधारी भाजपा किसी और जगह के कांड में विरोधी दलों की सरकार होने को लेकर कितना हंगामा कर रहे हैं !


उसके पहले मणिपुर तथा उत्तर प्रदेश के हाथरस, बलरामपुर, सहारनपुर, तथा मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, ओरिसा, गुजरात तथा हरियाणा और उत्तराखंड में भी महिलाओं के साथ किए गए अत्याचारों की घटनाएं हुईं हैं ! जहां पर भाजपा का शासन चल रहा है ! और वहां के राज्यपाल से लेकर मुख्यमंत्री ने कौन सी तत्परता दिखा कर गुनाहगारों को शिक्षा देने का काम किया है ? और भाजपा ने अपने ही दल द्वारा शासित राज्यों में महिलाओं के अत्याचारों के खिलाफ कार्रवाई करने का उदाहरण नहीं हैं ! उल्टा बिल्किस बानो के साथ सामुहिक बलात्कार करने वाले गुनाहगारों को गुजरात सरकार ने आजादी के पचहत्तर साल के आड में सभी गुनाहगारों को मुक्त कराने का असंवेदनशील काम किया था जिसके लिए हमारे सर्वोच्च न्यायालय को सज्ञान लेते हुए उन गुनाहगारों को वापस जेल भेजना पड़ा क्या यह पूरे मामले में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व से लेकर गुजरात के स्थानीय नेतृत्व की भूमिका महिलाओं अत्याचारों को लेकर कीतनी अमानवीय भूमिका रही है ! उन गुनाहगारों को जेल से बाहर लाने के बाद, स्वागत-सत्कार के कार्यक्रम पार्टी वुईथ डिफरंसही कर सकती है !


अभी मुंबई के बगल में 12 अगस्त के दिन बदलापूर में तो केजी स्कूल की एक तीन साल की और दुसरी छ साल से भी कम उम्र की दो बच्चीयो के साथ किए गए अत्याचार की घटना का भाजपा के लोगों द्वारा चलाए जा रहे स्कूल का जधन्य मामला सामने आया है ! बच्चियों के अभिभावकों में एक बच्ची की मां गर्भवती होने के बावजूद बदलापूर पुलिस ने उन्हें बारह घंटे पुलिस स्टेशन में बैठाकर रखा लेकिन घटना का सज्ञान लेने की जगह शायद अपने वरिष्ठों से बातचीत कर रहे होंगे ! उस वजह से स्थानीय पुलिस ने मामला दर्ज करने में आनाकानी की ! तब स्थानीय लोगों का गुस्सा फुट पड़ा, और उन्होंने मुंबई – पुणे के रेल मार्ग को कई घंटे बंद करने का आंदोलन किया ! तब कहीं सरकार के तरफसे लिपापोती शुरू की गई ! और मुख्यमंत्री विरोधी दलों को इस विषय पर राजनीति न करने की सलाह दे रहे हैं ! और वही दल बंगाल में अपने साथ राज्यपाल को लेकर बखुबी राजनीति कर रहा है ! और बदलापूर की पुलिस ने इस मामले में कोताही बरतने का आरोप भाजपा के बी टीम के कप्तान राज ठाकरे ने ही किया है ! तथा पूर्व डीआईजी सुरेश खोपडे ने अपने सोशल नेटवर्क के द्वारा लिखा है कि थानेदार सत्ताधारी दल के द्वारा चलाए जा रहे स्कूल के मामले में हाथ डालने में घबरा रहे थे! पार्टी वुईथ डिफरंस का इस तरह पुलिस प्रशासन में आतंक है कि कोई भी सरकारी विभागों में स्वतंत्र रूप से निर्णय लेकर काम करने के लिए अलिखित संकेत दिए गए होने की वजह से निचले स्तर के अधिकारियों ने बदलापूर के इतने संवेदनशील मामले में बारह घंटे तक अभिभावकों को बैठाकर रखने की बात भाजपा के कार्यशैली का भाग बन गया है ! और यही गुजरात मॉडल है उत्तर प्रदेश के महिलाओं के अत्याचारों के उपर किए गए सत्ताधारी पार्टी के लोगों द्वारा किए गए मामलों में सहारनपुर, बलरामपुर, वुलगढी – हाथरस के मामले में तो हाथरस जिले के वरिष्ठ अधिकारियों के उपस्थिति में पिडित बच्चि के शव को उसके माता-पिता के सामने पुलिस – प्रशासन ने मिलकर आग लगा कर जला दिया है ! क्या यही पार्टी वुईथ डिफरंस है ?


वैसे ही उत्तर प्रदेश में बलरामपुर, हाथरस, सहारनपुर के महिलाओं के साथ किए गए अत्याचारों में कहीं – कहीं तो भाजपा के विधायक तक शामिल रहे हैं ! और उन्होंने हिंदी सीनेमा के जैसे, सिर्फ अत्याचारीत लडकी की ही नहीं, पूरे परिवार के साथ उनके वकीलों की भी कूचलकर हत्या करने के उदाहरण होते हुए ! उत्तर प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी और केंद्र की सत्ताधारी पार्टी भाजपा का उन अत्याचारों के घटनाओं में कौन-सी भूमिका रही है ? क्या इस पार्टी को गैर भाजपा राज्यों में हो रही घटनाओं में धरना प्रदर्शन करने का रत्तीभर भी नैतिक अधिकार है ?

मणिपुर की घटनाओं को तो तीन साल से अधिक समय हो रहा है ! उसके बावजूद मणिपुर में भाजपा की सरकार के बाल को भी धक्का नही लगा ! जो कि गैरभाजपा दलों की सरकारों के चलते कुछ घटनाओं को लेकर भाजपा का स्थानीय केडर से लेकर, केंद्रीय नेतृत्व तथा राज्यपाल लोगों के रवैये को देखते हुए लगता है, कि राज्यपाल न होकर भाजपाल बने हुए हैं ! सवाल भाजपा शासित राज्यों में भी महिलाओं के साथ किए जा रहे अत्याचारों, को लेकर भाजपा की भूमिका, और गैर भाजपा के राज्यों में की जा रही भूमिका में इतना बड़ा फर्क क्यों ? क्या भाजपा के शासन में हो रहे अत्याचार, अत्याचार नही है ? मणिपुर में तो सिर्फ अत्याचार नही है ! अत्याचारों के बाद उन महिलाओं का विवस्र जुलूस निकाला गया है ! जो लगभग संपूर्ण विश्व ने देखा है ! लेकिन हमारे देश के प्रधानमंत्री को अभितक नही मणिपुर में जाने की फुर्सत मिली है ! और न ही उसपर बोलने की !

इसतरह के सिलेक्टिव व्यवहार से भाजपा के महिलाओं के प्रति कितना भेद-भाव पूर्ण व्यवहार किया जा रहा है यह सभी देख रहे हैं !बंगाल में कोलकाता के आर जी कार मेडिकल कॉलेज अस्पताल में रात में ड्यूटी पर तैनात ट्रेनि महिला डाक्टर के साथ किए गए अत्याचार के जैसे ही कुछ सालों पहले मुंबई के जे जे अस्पताल में एक नर्स के साथ अस्पताल के ही स्टाफ में से किसी कर्मचारी ने अत्याचार करने के बाद वह नर्स कोमा में चली गई थी ! जिसकी हाल ही में मृत्यु हुई है ! और उस अस्पताल के अन्य कर्मचारियों ने एक तरह से प्रायश्चित्त के तौर पर उस नर्स की देखभाल उसी अस्पताल में अंतिम समय तक कि है ! जिस नर्स की अभी हाल ही में मृत्यु हुई है !


दिल्ली में निर्भया कांड के बाद जस्टिस जे. एस. वर्मा कमेटी के सुझावों के बाद अत्याचारी गुनाहगारों को फांसी तक कि सजा सुनाने का प्रावधान किया गया है ! तब से अभी तक जितने भी महिलाओं के साथ किए जा रहे अत्याचारों में गुनाहगार सिर्फ अत्याचार करके ही रूक नही रहे ! वह उस अत्याचारीत महिला की हत्या कर के सबुत नष्ट करने के उदाहरण सामने आ रहे हैं ! जस्टिस वर्मा के सुझावों से महिलाओं के साथ किए जा रहे अत्याचारों में रत्तीभर की कमी नहीं हुई ! उल्टा अत्याचारीत महिलाओं की जाने ली जा रही है ! क्या सिर्फ कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान करना यही एकमात्र उपाय है ?

मुख्य बात संपूर्ण विश्व में ही कम अधिक प्रमाण में महिलाओं के तरफ देखने के नजरिए का है ! युध्द हो या दंगे – फसाद सभी जगहों पर सदियों से महिलाओं के साथ अत्याचारों के उदाहरण मौजूद हैं ! जिन्हें देखते हुए मुझे डॉ. राम मनोहर लोहिया के योनि सूचिता के सिद्धांत की याद आ रही है ! लोहिया ने अपने विचारों में नारी स्वतंत्रता के प्रति विशेष आग्रह किया है ! उनका मानना है कि भारत में केवल चातुर्वर्ण्य ही नहीं है एक पांचवा वर्ण नारी का भी है, जो हजारों वर्षों से उत्पीडित होती आ रही है ! संसार में जितने भी प्रकार के अन्याय इस पृथ्वी को विषाक्त कर रहे हैं, उसमें से सबसे बड़ा अन्याय नर – नारी के भेद का है ! संसार की विशाल मानवता किसी न किसी रूप में नारी की स्वतंत्रता में बाधक रही है ! पूरा संसार किसी न किसी रूप में समता का इच्छुक तो है, लेकिन आधी से अधिक मानवता नारी की स्वतंत्रता के प्रति उदासीन है ! आज भी स्त्रियों को सामुहिक जीवन में पुरुषों के बराबर भाग लेने का अधिकार नहीं है ! कोलकाता के आर जी कार मेडिकल कॉलेज अस्पताल में रात को काम करने वाली महिला डाक्टर के उपर हुआ अत्याचार भी उसी मानसिकता का परिचायक है ! हालांकि पस्चिम बंगाल में भारत के अन्य प्रदेशों की तुलना में, महिलाओं को सार्वजनिक जीवन में सौ से अधिक वर्षों से सामाजिक सुधार आंदोलनों के वजह से भाग लेने की शुरुआत हुई हैं ! लेकिन पुरुष मानसिकता में संपूर्ण बदलाव नहीं होने की वजह से भी यह घटना हुई है !


डॉ. राम मनोहर लोहिया ने कहा है कि सिर्फ अध्यात्मिक उंचाई और नारी अपमान ये दोनों साथ-साथ नही चल सकते ! भारत वर्ष के राजनितिक और अध्यात्मिक पतन का कारण यही है , कि हमारे देश में नारी को उसका उचित स्थान नहीं दिया गया है ! समाज पुरुष प्रधान होने के कारण नारी की प्रतिभा को हमेशा दबाने की कोशिश की गई है ! समाज के सामने दो ही विकल्प है – वह चाहे तो नारी को केवल घर में कैद रहने वाला जीव बनाकर, उसे अपनी वासना और सौंदर्य का परिचायक बनाये ! और चाहे तो उसकी मानसिक और शारीरिक क्षमताओं को विकसित करके उसे अपने समकक्ष बना ले ! अभी तक तो सामाजिक परम्परा कुछ ऐसी रही है, कि पुरुष वर्ग ने नारी को केवल गृह – शोभा का अंग बनाकर रखा है ! आधुनिक युग में उसे अपनी प्रतिभा को विकसित करने का अवसर तो मिल गया, लेकिन वह पर्याप्त नहीं है ! आर्थिक रूप से उसे पुरुष के अधीन ही रहना पड़ता है! आज भी भारत की अधिकांश स्त्रियों को केवल चुल्हा- चक्की, और गोबर पाथने तक ही सीमित रखा गया है !
महिलाएं अब पुलिस से लेकर सेना में भी शामिल हुईं हैं ! मतलब अब शायद ही कोई क्षेत्र होगा जिसमें महिलाओं की भागीदारी नहीं है ! लेकिन महिलाओं के प्रति देखने का नजरिया जबतक नही बदलेगा तबतक महिलाओं के साथ किए जा रहे अत्याचारों में कमी नहीं आ सकती है ! महिला को स्वतंत्र अस्तित्व है, यह मानना होगा अन्यथा “तू चिज बड़ी है, मस्त – मस्त ! ” मतलब वह महिला न होकर केवल एक कमोडिटी कोई चीज- वस्तु है, जिसका उपभोग लेना है ! और इसिलिये बलात्कार के उदाहरण दिन-प्रतिदिन कम होने की जगह बढते हुए दिखाई दे रहे हैं !


जिसमें बदलापूर जैसे छोटी नाबालिक लडकियों से लेकर कहा – कहा तो वृद्ध महिलाओं को साथ भी अत्याचार के उदाहरण सामने आ रहे हैं ! यह सिर्फ कड़े कानून बनाने से नहीं थमने वाले हैं ! इसके लिए मानसिक रूप से लोगों के प्रबोधन करने की आवश्यकता है ! और इसमें सिर्फ सरकारों के भरोसे नहीं चलेगा ! स्वयंसेवी संस्थाओं तथा विभिन्न आंदोलनकारियों को भी इस प्रबोधन के काम में शामिल होकर करने की आवश्यकता है ! हर 15 – 20 मिनट में एक महिला भारत में लैंगिक अत्याचार की शिकार होना ! यह भारत जैसे मातृशक्ति का पूजक देश के लिए शर्म की बात है ! और जबतक महिलाओं के उपर इस तरह के अत्याचार रोकें नही जा सकते, तबतक विश्वगुरु तो बहुत दूर की बात है! अपने आप को एक देश के रूप में भी कहना शर्मनाक है ! ऐसा मुझे एक नागरिक के रूप में सतत लग रहा है !

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