उत्तर प्रदेश में आज (1 सितंबर) के बाद कहीं भी प्रतिबंधित प्लास्टिक बिकता पाया गया तो संबंधित क्षेत्र के थानेदार व नगर निगम के क्षेत्रीय अधिकारी इसके जिम्मेदार होंगे। आज से प्रदेश में 50 माइक्रान से पतली प्लास्टिक से कम के उत्पादों का इस्तेमाल करते पाया गया तो एक लाख रुपये तक जुर्माना और छह महीने की जेल की सजा का प्राविधान है।
26 अगस्त को जारी किया गया था निर्देश
तीन दिन के अंदर मांगी रिपोर्ट
सचिव ने सभी जिलाधिकारियों और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिये कि वे सम्बन्धित मजिस्ट्रेट/क्षेत्राधिकारी से उनके क्षेत्र में पॉलीथीन की बिक्री रोकने के लिये समुचित कार्रवाई करने और विक्रय पूरी तरह रोकने के बारे में तीन दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट दें। प्रमुख सचिव ने कहा था कि व्यापार मण्डल को लिखित रूप से प्लास्टिक पर प्रतिबंध के बारे में बताकर उनसे सहमति ले ली जाए। इसके अलावा, सम्बन्धित जन प्रतिनिधि को भी इस बारे में अवगत कराया जाए। उन्होंने कहा था कि वह खुद इन क्षेत्रों में जाकर देखेंगे कि पाबंदी का पालन किया जा रहा है या नहीं।
इस हेल्पलाइन नंबर पर करें सूचित
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाये जाने और ऐसा न होने पर अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी के बाद लखनऊ पुलिस ने एक हेल्पलाइन नंबर जारी करते हुये लोगों से कहा है कि प्लास्टिक की बिक्री और निर्माण करने वालो के बारे में इस नंबर पर सूचित करें।
लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कलानिधि नैथानी ने गुरूवार को कहा था, ”शहर के लोग आगे आये और शहर में प्लास्टिक निर्माण और बिक्री के बारे में एंटी क्राइम हेल्पलाइन नंबर 7839861314 पर सूचित करें। सूचना देने वालो की पहचान गुप्त रखी जायेगी ।”
यूपी विधान सभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने संसद की तर्ज पर यूपी विधानसभा के विधानभवन परिसर को पूर्ण रूप से प्लास्टिक मुक्त बनाने के निर्देश दिए हैं। दीक्षित ने बताया कि यह निर्देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्लास्टिक के इस्तेमाल को पूरी तरह से बंद करने के सुझाव पर दिए गए हैं।