उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे होने के कारण सासाराम लोकसभा क्षेत्र में बसपा का भी अपना प्रभाव है. उसके वोटर भी एकजुट हैं. हर चुनाव में अपने वोट बैंक का अहसास बसपा कराती रहती है. 2009 के लोकसभा चुनाव में बसपा प्रत्याशी को लगभग एक लाख वोट मिले थे. 2019 के चुनावी समर में एनडीए की ओर से प्रत्याशी भाजपा के छेदी पासवान ही होंगे, तो यूपीए की ओर से कांग्रेस की मीरा कुमार की उम्मीदवारी पक्की मानी जा रही है. बसपा भी अपना उम्मीदवार जरूर खड़ा करेगी. 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद मीरा कुमार यदा-कदा सासाराम आती रही हैं.
बिहार का सासाराम सुरक्षित लोकसभा क्षेत्र आजादी के बाद से ही चर्चित रहा है, क्योंकि कांग्रेस के बड़े दलित चेहरे जगजीवन राम वहां से सांसद होते रहे थे. 1986 में जगजीवन राम के निधन के बाद उनकी पुत्री मीरा कुमार ने सासाराम को ही अपना क्षेत्र बनाया और 1989 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा. लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. उन्होंने फिर 1991 में भी चुनाव लड़ा और पुन: छेदी पासवान से हार गईं. 1996, 1998 और 1999 में भी मीरा कुमार को हार मिली. लेकिन 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्हें सफलता मिली. 15वीं लोकसभा में कांग्रेस ने मीरा कुमार को लोकसभा अध्यक्ष बनाकर उनके कद को ऊंचाई प्रदान की. 2014 में भाजपा के छेदी पासवान मीरा कुमार को हराकर सांसद बने थे. इस चुनाव में भी दोनों प्रत्याशियों के पास कोई मुद्दे नहीं थे.
‘बाबूजी’ जगजीवन राम की राजनीतिक विरासत को संभालने के नाम पर ही मीरा कुमार ने लोगों से वोट मांगे थे, तो वहीं भाजपा प्रत्याशी छेदी पासवान ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के नाम पर जनता से वोट देने की अपील की थी. 2014 के लोकसभा चुनाव में सासाराम सुरक्षित क्षेत्र का राजनीतिक समीकरण बदला हुआ था. तब नीतीश कुमार और जद (यू) ने एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ा था. यहां से जद (यू) ने राज्य के चर्चित आईएएस अधिकारी केपी रमैया को लोकसभा का प्रत्याशी बनाया था, क्योंकि छेदी पासवान जद (यू) छोड़कर भाजपा का दामन थाम लोकसभा का टिकट लेने में सफल हो गए थे और उन्हें चुनाव में सफलता भी मिल गई थी. 2014 के लोकसभा चुनाव में छेदी पासवान को 3,66,087, कांग्रेस की मीरा कुमार को 3,02,760, जद (यू) के केपी रमैया को 93,310, बसपा के बालेश्वर भारती को 21,528 और आप की गीता आर्य को 11,005 मत मिले थे.
उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे होने के कारण सासाराम लोकसभा क्षेत्र में बसपा का भी अपना प्रभाव है. उसके वोटर भी एकजुट हैं. हर चुनाव में अपने वोट बैंक का अहसास बसपा कराती रहती है. 2009 के लोकसभा चुनाव में बसपा प्रत्याशी को लगभग एक लाख वोट मिले थे. 2019 के चुनावी समर र्ींमें एनडीए की ओर से प्रत्याशी भाजपा के छेदी पासवान ही होंगे, तो यूपीए की ओर से कांग्रेस की मीरा कुमार की उम्मीदवारी पक्की मानी जा रही है. बसपा भी अपना उम्मीदवार जरूर खड़ा करेगी. 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद मीरा कुमार यदा-कदा सासाराम आती रही हैं. लेकिन अब जब चुनाव निकट आ रहा है, तो मीरा कुमार अपने क्षेत्र का लगातार दौरा करने लगी हैं. ऐसे में मीरा कुमार अपने 10 साल के कार्यकाल में सासाराम में किए गए अपने छोटे-बड़े कार्यों को बताकर लोगों से वोट मांगने की तैयारी में हैं.
किन्तु सच बात तो यह है कि मीरा कुमार का कद और राजनीतिक व्यक्तिव देश-दुनिया में जितना भी बड़ा हो, लेकिन क्षेत्र में वे आज भी अपने पिता की राजनीतिक विरासत के सहारे ही चुनाव लड़ती हैं. चुनाव में उनका नारा रहता है- ‘जगजीवन की हीरा है, सासाराम की मीरा है’. वहीं दूसरी ओर भाजपा के छेदी पासवान पर 5-6 बार दल-बदल करने का आरोप लगा है. इस बार वे चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा पिछले पांच साल में किए गए कार्यों के भरोसे ही लोगों से वोट मिलने की बात करेंगे. क्षेत्र में उन्होंने लोगों का कितना काम किया, यह बात गौण ही रहेगी, क्योंकि सासाराम में भी बहुत लोग अपने सांसद के कार्यकलाप से खुश नहीं हैं.
सासाराम में पत्थर माफियाओं की भी बहुत चलती है. यहां करीब 40 हजार परिवारों की अजीविका पहाड़ उत्खन्न से होती है. इसमें अवैध व वैध दोनों तरह के उत्खन्न शामिल हैं. समय-समय पर सरकारी अधिकारियों तथा पत्थर माफियाओं के बीच टकराव की खबर भी आती है. जिसमें कई बड़ी घटनाएं भी हो चुकी हैं. चुनाव के समय भी ये लोग नेताओं को वारगेन करने में लग जाते हैं. विधानसभा क्षेत्र के हिसाब से देखें तो सासाराम के छह विधान सभा में से पांच पर एनडीए के विधायक हैं. सिर्फ राजद के अशोक सिंह सासाराम से विधायक हैं. मोहनियां से भाजपा के निरंजन राम, भाभुआ से भाजपा की रिंकी पांडे, चैनपुर से भाजपा के बृजकिशोर विन्द, करगहर से जद (यू) के वशिष्ठ सिंह तथा चेनारी से रालोसपा के ललन पासवान विधायक हैं.
लेकिन लोकसभा चुनाव में मुद्दे और राजनीतिक समीकरण भी राष्ट्रीय स्तर के होते हैंै. विधानसभा के चुनाव की स्थिति दूसरी रहती है. सासाराम सुरक्षित लोकसभा क्षेत्र में भी अगले साल होने वाला लोकसभा चुनाव भी मुद्दों नहीं, बल्कि एनडीए बनाम यूपीए के सवाल पर ही होगा. कांग्रेस प्रत्याशी मीरा कुमार अपने आलाकमान राहुल गांधी के निर्देश पर चुनाव में सीधे रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विभिन्न मुद्दों पर सवालों के घेरे में लेने का प्रयास करेंगी. जबकि, भाजपा कांग्रेस के पिछले 60 साल के कार्यों की तुलना एनडीए के 10 साल के कार्यकाल में हुए कार्यों से करेगी.