7 फरवरी का दिन देश की राजधानी दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए निर्धारित किया गया है. तारीख़ की घोषणा होते ही सभी राजनीतिक पार्टियां सक्रिय हो गई हैं. हर पार्टी की ओर से जनता को लुभाने के लिए बड़े-बड़े दावे किए रहे हैं. इस बार शिक्षित युवा और नए मतदाताओं के रुझान में बड़ा परिवर्तन नज़र आ रहा है. बहुत से ऐसे घर हैं जहां पारंपरिक रूप से कांग्रेस को वोट दिया जाता था, अब उन्हीं परिवारों के युवा परंपरा से हटकर कांग्रेस से दूर और आम आदमी पार्टी के क़रीब हो रहे हैं. हालांकि इनमें एक छोटा वर्ग ऐसा भी है, जिसका झुकाव भाजपा की ओर है लेकिन सामूहिक रूप से मुस्लिम विद्यार्थी और नए मतदाताओं में से अधिकतर का वोट कांग्रेस और आम आदमी के बीच विभाजित होने की संभावना है, मगर इसी के साथ-साथ यह भी सच है कि मत विभाजन में कांग्रेस हाशिये पर दिखाई देती है. इस सिलसिले में ‘चौथी दुनिया’ ने दिल्ली के कॉलेज/ विश्वविद्यालय और मोहल्लों में जाकर शिक्षित मुस्लिम युवाओं का सर्वे किया तो अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग राय सामने आई.
‘आप’ के समर्थन में बोलने वाले युवा केजरीवाल को एक अच्छे मुख्यमंत्री की नज़र से देखते हैं, क्योंकि उनकी सरकार में भ्रष्टाचार और अवैध गतिविधियों पर लगाम लग सकती है. वह अपने हर बयान में बिजली, पानी और रेह़डी वालों की बात करते हैं और इस पर काम करने की क्षमता भी रखते हैं. इस सिलसिले में बल्लीमारान पुरानी दिल्ली की एक 25 वर्षीय लड़की निदा आरिफ़ से ‘चौथी दुनिया’ ने बात की तो उसने कहा कि इस क्षेत्र का विधायक 1993 से कांग्रेस के टिकट पर जीतकर आता है. इतना लंबा समय किसी भी क्षेत्र को विकसित करने के लिए काफ़ी होता है लेकिन इस क्षेत्र की बदतर स्थिति सबके सामने है. टूटी हुई सड़कें और गंदगी का ढेर सबके सामने है. इसलिए अब हालात में बदलाव का दावा करने वाली पार्टी ‘आप’ को अवसर दिया जाना चाहिए. इसी प्रकार पटेल नगर में रहने वाले 20 वर्षीय आतिफ़ ख़ां ने कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव में मैंने पहली बार वोट दिया था और मेरा वोट आम आदमी पार्टी को गया था और अब आगामी विधानसभा चुनावों में भी झाड़ू पर ही मुहर लगाउंगा, क्योंकि इसने पूरी दिल्ली में वाईफ़ाई मुफ्त करने का वादा किया है. इसी प्रकार जामिया मिलिया इस्लामिया में एमए कॉमर्स के विद्यार्थी आलिम कौसर अली ने कहा कि एक पार्टी के रूप में आम आदमी पार्टी आकर्षित करती है, क्योंकि इसमें जनता के लिए कुछ करने का हौसला है. ज़ाफ़राबाद के 24 वर्षीय मोहम्मद अनीस पत्राचार कोर्स कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के मतदाताओं ने कांग्रेंस विधायक को बहुत देख लिया अब आम आदमी पार्टी को देखना चाहिए. शास्त्री पार्क, शाहदरा के मोहम्मद शमीम ने कहा कि पहले कांग्रेस के उम्मीदवार इस क्षेत्र से बड़ी संख्या से जीत प्राप्त करते थे लेकिन इस बार उसे ‘आप’ का ज़बरदस्त झटका लगा क्योंकि नया वोटर कांग्रेंस से नाराज़ है.
कुछ युवाओं ने कांग्रेस को सबसे बेहतर पार्टी बताया. हालांकि ऐसे युवाओं में बहुतों ने इस बात का भी इशारा दिया कि इस बार कांग्रेंस की सरकार बनना कठिन लगता है लेकिन यह पार्टी बहुत पुरानी है और इसके पास दिल्ली में सत्ता का अनुभव है. इसके साथ ही यह एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी मानी जाती है, इसलिए इसकी सरकार बने तो सब चैन से रहेंगे. इस सिलसिले में रंजीत नगर के पत्रकारिता के विद्यार्थी अज़ल जै़दी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि पिछली लोकसभा चुनावों में पहली बार वोट पोल किया था और अब दिल्ली विधानसभा के चुनावों के लिए भी पहली बार मताधिकार का प्रयोग करूंगा. मैं किसे वोट दूं, इस बारे में अभी तक कोई निर्णय नहीं कर सका हूं, लेकिन हालत यह है कि जब से दिल्ली से कांग्रेस की शीला सरकार की विदाई हुई है, तब से हमारी कॉलोनी रंजीत नगर में बिजली, पानी की हालत बहुत ख़राब हो गई है. पीने वाला पानी तो अब हमारी कॉलोनी में आता ही नहीं है, जबकि कांग्रेस की सरकार में 24 घंटे बिजली आती थी और पानी भी आता था. पिछले विधानसभा चुनावों में हमारे क्षेत्र से आम आदमी पार्टी की वीना आनंद जीती थीं, लेकिन उन्होंने हमारी कॉलोनी के लिए कोई काम नहीं किया. ऐसी परिस्थितियों में आप ही बताइये कि मैं किसे वोट दूं?. अतएव रास्ता केवल कांग्रेस का ही बचता है.
जामिया में एमएससी के विद्यार्थी मोहम्मद आमिर का कहना है कि भाजपा के पास योजनाएं तो हैं और उसके पास मज़बूत नेता भी हैं लेकिन इस पार्टी की परेशानी यह है कि इसकी सरकार बनने के बाद ही हिन्दुत्व की विचारधारा रखने वाले संगठनों के हौसले बुलंद हैं. इन परिस्थितियों को देखते हुए बेहतर यही है कि कांग्रेंस को ही दिल्ली में आना चाहिए ताकि आम आदमी कम से कम शांतिपूर्वक अपना काम तो कर सके लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि इस बार कांग्रेस कमज़ोर नज़र आ रही है, लेकिन इसके बावजूद हमारी कोशिश होगी कि कांग्रेस उम्मीदवार ही जीते ताकि विधानसभा में धर्मनिरपेक्ष पार्टी का मज़बूत प्रतिनिधित्व हो.
शिक्षित मुस्लिम युवाओं का एक छोटा सा वर्ग आने वाले चुनावों में दिल्ली में भाजपा की सरकार देखना चाहता है. इन युवाओं का कहना है कि दिल्ली की सरकार को केन्द्र से जुड़कर रहना चाहिए क्योंकि यहां की सरकार को वे सभी अधिकार प्राप्त नहीं हैं जो अन्य राज्यों को हैं. उदाहरणस्वरूप पुलिस विभाग को ही लीजिए. पुलिस दिल्ली सरकार के अन्तर्गत नहीं आती, इसलिए अगर दिल्ली में उस पार्टी की सरकार हो, जिसकी केन्द्र में है तो ऐसी स्थिति में तालमेल बैठाने और स्कीमों को लागू करने में आसानी होगी. दूसरी बात यह है कि भाजपा के पास शिक्षा और रोज़गार के लिए ठोस योजनाएं हैं. अगर इसकी सरकार बनती है तो ऐसी स्थिति में एक तो हमें उच्च शिक्षा के लिए सुविधा मिलेगी और दूसरा यह कि शिक्षा पूरी होने के बाद नौकरी हासिल करना आसान होगा. उधर बल्लीमारान के एक नौजवान मोहम्मद साज़िद का कहना है कि हमारे पिता पुराने कांग्रेसी हैं लेकिन हमनेे पिछली बार पंरपरा को तोड़ते हुए केजरीवाल को वोट दिया था, यह सोचकर कि यह कुछ परिवर्तन करेंगे लेकिन वह 49 दिन में ही भाग गए. इस बार भाजपा को वोट देंगे ताकि भाजपा का मुसलमानों पर विश्वास बहाल हो और दूसरी बात यह कि मोदी ज़मीन से जुड़ी हुई बातें करते हैं, जिससे लगता है कि वह काम करने वाले नेता हैं, तो इस बार भाजपा की सरकार बननी चाहिए.
युवाओं में एक वर्ग ऐसा भी नज़र आया जो केजरीवाल से केवल इसलिए नाराज़ है कि उनकी पार्टी ने पिछले 49 दिनों की सरकार में कोई ऐसा काम नहीं किया, जिससे पता चले कि वह मुसलमानों के हमदर्द हैं. इन युवाओं का कहना है कि जब‘आप’ भी भाजपा की तरह ही सोचती है तो फिर बेहतर यह है कि भाजपा को ही दिल्ली की सरकार दी जाए ताकि कम से कम केन्द्र से तालमेल तो बना रहे. दूसरी ओर इन्द्रलोक में रहने वाले मोहम्मद इमरान का कहना है कि कांग्रेस में सरकार बनाने का दम नहीं है और केजरीवाल पिछली बार सरकार छोड़कर भाग गऐ थे और जितने भी दिन रहे, मुसलमानों के लिए कोई काम नहीं किया, इसलिए इस बार राजधानी में मज़बूत सरकार लाने की आवश्यकता है और मज़बूत सरकार भाजपा ही दे सकती है. प