अफगानिस्तान से जाने के बाद पहली बार राष्ट्रपति अशरफ गनी  दुनिया के सामने आए और उन्होंने अपना देश छोड़ने की वजह बताई. अपना वीडियो संदेश जारी कर कहा कि मैं देश छोड़कर नहीं आता तो कत्लेआम हो जाता, खून-खराबा होता. मैं देश में ऐसा होते नहीं देख सकता था, इसलिए मुझे हटना पड़ा उन्होंने पैसे लेकर भागने के आरोपों को का भी खंडन किया. गनी ने कहा कि उनके पास अपने जूते बदलने का भी समय नहीं था और रविवार को राष्ट्रपति भवन में पहनी हुई सैंडल के साथ काबुल से निकल गए.

उन्होंने एक वीडियो संदेश में कहा, “मैं अब्दुल्ला अब्दुल्ला और पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई के साथ चल रही बातचीत की सरकार की पहल का समर्थन करता हूं. मैं इस प्रक्रिया की सफलता चाहता हूं,” रविवार को अफगानिस्तान छोड़ने के बाद फिलहाल वो संयुक्त अरब अमीरात में परिवार के साथ शरण लिए हुए हैं और तब के बाद से ये उनकी पहली उपस्थिति है.

आतंकवादियों के राजधानी काबुल के करीब आते ही गनी देश छोड़ कर भाग गए थे, जिसके बाद अफगानिस्तान में दो दशक बाद तालिबान का शासन लौट आया. बुधवार को संयुक्त अरब अमीरात ने कहा कि वह “मानवीय आधार पर” गनी और उनके परिवार की मेजबानी कर रहा है. देश छोड़ने के बाद यह उनके ठिकाने की पहली पुष्टि है.

बता दें कि ताजिकिस्तान में अफगानिस्तान के राजदूत मोहम्मद जहीर अगबर ने दावा किया है कि राष्ट्रपति अशरफ गनी  जब अफगानिस्तान से भागे थे, तो वह अपने साथ 16.9 करोड़ डॉलर ले गए थे. उन्होंने कहा कि गनी को गिरफ्तार किया जाना चाहिए और अफगान राष्ट्र की संपत्ति को बहाल किया जाना चाहिए.

 

तालिबान ने विरोधियों से बदला नहीं लेने और महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करने की कसम खाते हुए सुलह की प्रतिज्ञा की है – लेकिन तालिबान के क्रूर मानवाधिकार रिकॉर्ड के बारे में विश्व स्तर पर बड़ी चिंताएं हैं और दसियों हज़ार अफगान अभी भी भागने की कोशिश कर रहे हैं.

तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने पहले संवाददाता सम्मेलन में कहा, “विपरीत पक्ष के सभी लोगों को ए से जेड तक माफ कर दिया गया है.” “हम बदला नहीं लेंगे.

 

 

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