नई दिल्ली : बसपा प्रमुख मायावती के बाद अब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी एमसीडी चुनाव बैलेट पेपर से कराने की मांग की है. उन्होंने मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं कि वे चुनाव आयोग को इस संबंध में पत्र लिखकर यह मांग रखें. अप्रैल में एमसीडी चुनाव हो सकते हैं. चुनाव आयोग जल्द ही इनके तारीखों की घोषणा कर सकता है. यूपी चुनाव में सपा-कांग्रेस गठबंधन और बसपा की अप्रत्याशित हार के बाद ही इवीएम मशीनों को लेकर सवाल उठने लगे थे. आईटी एक्सपर्ट्स का भी मानना है कि इवीएम मशीन कंप्यूटर प्रोग्रामिंग पर काम करता है इसलिए इसके साथ आसानी से छेड़छाड़ की जा सकती है या हैक किया जा सकता है.
2010 में मिशिगन यूनिवर्सिटी के एक वैज्ञानिक ने भी इवीएम मशीनों को हैक करने का दावा किया था. यूपी चुनाव में देवबंद व मुस्लिम बहुल इलाकों में भी भाजपा प्रत्याशियों की जीत के बाद यह सवाल तेजी से उठा. इसके बाद से ही कुछ राजनीतिक दल अब बैलेट पेपर से ही चुनाव कराने की मांग करने लगे हैं. वहीं कुछ नेता बैलेट पेपर की मांग को यह कहकर खारिज कर रहे हैं कि यह फिर से बैलगाड़ी युग में लौटने जैसा होगा. तकनीकी विकास के दौर में बैलेट पेपर अप्रासंगिक हो चुके हैं और इसमें समय, पैसे और काउंटिंग में अधिक मैन पावर लगाने की जरूरत होती है.
इन असुविधाओं से बचने के लिए ही इवीएम मशीन को वोटिंग के लिए इस्तेमाल शुरू हुआ था. वहीं दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने अरविंद केजरीवाल की मंशा पर यह कहते हुए सवाल खड़े किए हैं कि जब वे दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत कर आते हैं, तब इवीएम मशीनों की विश्वसनीयता पर सवाल नहीं उठाते. तब क्या सभी इवीएम सही काम कर रहे थे. इस बार के निगम चुनाव में कांग्रेस-बीजेपी-आप के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होने की उम्मीद है.