उत्तर प्रदेश सरकार 2017 के विधानसभा चुनाव में बिजली को बड़ा मुद्दा बनाएगी. इसकी तैयारियां चल रही हैं, भूमिका बन रही है और कोयले के कोटे में कटौती के नाम पर केंद्र को लगातार घेरने की कोशिशें हो रही हैं. राज्य का ऊर्जा सेक्टर भीषण संकट में है. मुख्य वजह है, आकंठ भ्रष्टाचार और हर माह करोड़ों रुपये की बिजली चोरी. अरबों रुपये का बकाया उत्तर प्रदेश के ऊर्जा सेक्टर को डुबो रहा है. बकाएदारों की सूची में बड़े उद्योगपति, व्यवसायिक प्रतिष्ठान, चीनी मिलें शामिल हैं. नेताओं, नौकरशाहों, न्यायाधीशों और पहुंच वालों पर भी बिजली का करोड़ों का बकाया है, लेकिन राज्य सरकार का ध्यान अपने किले के बड़े-बड़े छेद ढंकने की तरफ़ नहीं है. वह मध्यम वर्ग और निम्न-मध्यम वर्ग पर तमाम किस्म के दबाव रखकर वसूली कर रही है, लेकिन राजधानी लखनऊ से लेकर पूरे प्रदेश के उन तमाम नए-पुराने मुहल्लों में घुसने का साहस नहीं कर रही, जहां बिजली की चोरी खुलेआम होती है. राज्य सरकार बकाया वसूली में भी तुष्टिकरण की नीति अख्तियार कर रही है, जिसे लेकर लोगों में नाराज़गी है.
आधिकारिक दस्ताव़ेज बताते हैं कि केवल लखनऊ में ही उपभोक्ताओं पर तक़रीबन 600 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है. इनमें घरेलू, व्यवसायिक एवं औद्योगिक उपभोक्ता शामिल हैं. बकाएदारों में अमीनाबाद, चौक, अपट्रॉन और ऐशबाग डिवीजनों के उपभोक्ता अधिक हैं. लेकिन, इनमें वह बड़ी जमात शामिल नहीं है, जो डंके की चोट पर कटिया-कनेक्शन से बिजली जलाती है और चोरी की बिजली से ही अपने उद्योग-धंधे भी चलाती है. उपभोक्ताओं से बकाया राशि न वसूल पाने के कारण बोझ बढ़ता जा रहा है. वसूली न हो पाने की एक बड़ी वजह ग़लत बिलिंग है और विभागीय इंजीनियरों एवं कर्मचारियों की मनमानी भी. बिजली विभाग के कर्मचारी ही लोगों से रिश्वत लेकर उन्हें ग़लत कनेक्शन जारी करते हैं. लखनऊ समेत प्रदेश भर में ऐसे उदाहरण भरे पड़े हैं. अभी हाल में आलमबाग क्षेत्र में कई ऐसे उपभोक्ताओं के नाम उजागर हुए, जिन पर लाखों का बकाया होने के बावजूद दूसरे नाम से कनेक्शन जारी कर दिए गए. ऐसे मामले लखनऊ के अमीनाबाद, चौक, नक्खास, चौपटिया, ठाकुरगंज, हुसैनगंज, ऐशबाग, कानपुर रोड जैसे इलाकों में ज़्यादा पाए गए.
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, लखनऊ के अमीनाबाद डिवीजन में 7,458 लाख, चौक डिवीजन में 8,783 लाख, अपट्रॉन डिवीजन में 2,228 लाख रुपये का बिजली बिल बकाया है. इसी तरह ऐशबाग डिवीजन में 3,703 लाख, सेस प्रथम में 7,935 लाख, सेस द्वितीय में 6,446 लाख, सेस तृतीय में 1,916 लाख रुपये बकाया हैं. हुसैनगंज डिवीजन में 7,360 लाख, राजभवन डिवीजन में 420 लाख, चिनहट डिवीजन में 1,637 लाख, गोमती नगर में 519 लाख, राजाजीपुरम डिवीजन में 305 लाख, महानगर डिवीजन में 997 लाख, लखनऊ विश्वविद्यालय उपकेंद्र डिवीजन में 647 लाख, कानपुर रोड डिवीजन में 590 लाख, वृंदावन डिवीजन में 465 लाख, रेजीडेंसी डिवीजन में 8,411 लाख, ठाकुरगंज डिवीजन में 5,259 लाख, इंदिरानगर डिवीजन में 61 लाख, मुंशी पुलिया डिवीजन में 555 लाख, बख्शी का तालाब में 981 लाख, डालीगंज डिवीजन में 316 लाख, रहीम नगर डिवीजन में 725 लाख रुपये का बिजली बिल बकाया है.
विभागीय अधिकारी बिजली चोरी को लाइन लॉस की शब्दावली में फंसाकर मामला दबा देते हैं. कथित लाइन लॉस के मामले में चौक, अमीनाबाद, ठाकुरगंज, अपट्रॉन डिवीजन अव्वल हैं. विभाग के आंकड़े बताते हैं कि हुसैनगंज डिवीजन में 68 फ़ीसद, राजभवन डिवीजन में 43 फ़ीसद और अमीनाबाद में 20 फ़ीसद बिजली लाइन लॉस में बर्बाद हो जाती है. चिनहट में 49 फ़ीसद बिजली लाइन लॉस में दिखाई जाती है. सरकार खुद बताती है कि राज्य में हर महीने 400 करोड़ रुपये से अधिक की बिजली चोरी होती है. यानी बिजली चोरी के चलते विद्युत निगम को 400 करोड़ रुपये का नुक़सान हर महीने हो रहा है. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के गृह जनपद इटावा में 71.32 फ़ीसद, कबीना मंत्री आजम खां के गृह ज़िले रामपुर में 52.44 फ़ीसद, बुंदेलखंड के जालौन में 60.34 फ़ीसद बिजली चोरी हो रही है. गौतम बुद्ध नगर अकेला ऐसा ज़िला है, जहां बिजली चोरी सबसे कम 7.85 फ़ीसद है. प्रदेश सरकार बिजली चोरों पर शिकंजा कसने में नाकाम है.
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, लखनऊ में 31.61, उन्नाव में 27.16, सीतापुर में 26.46, हरदोई में 25.11, लखीमपुर खीरी में 30.10, फैजाबाद में 41.84, अंबेडकर नगर में 36.62, सुल्तानपुर में 27.68, बाराबंकी में 29.81, छत्रपति शाहूजी नगर में 22.06, गोंडा में 53.08, बहराइच में 30.64, श्रावस्ती में 38.62, वाराणसी में 31.75, गाजीपुर में 47.40, जौनपुर में 39.03, चंदोली में 36.86, मिर्जापुर में 39.35, संत रविदास नगर (भदोही) में 58.64, सोनभद्र में 37.53, आजमगढ़ में 67.11, मऊ में 43.80, बलिया में 21.69, गोरखपुर में 34.46, महाराजगंज में 2.81, देवरिया में 36.06, कुशीनगर में 45.94, बस्ती में 38.55, संत कबीर नगर में 40.79, सिद्धार्थ नगर में 40.62, सहारनपुर में 44.30, मुजफ्फर नगर में 33.78, शामली में 59.78, मेरठ में 32.20, बागपत में 45.23, गाज़ियाबाद में 19.15, पंचशील नगर में 44.17, गौतम बुद्ध नगर में 7.85, बुलंद शहर में 40.92, बिजनौर में 32.87, मुरादाबाद में 32.72, संभल में 61.46, रामपुर में 52.44, ज्योति बा फूलेनगर में 51.30, मथुरा में 36.77, आगरा में 33.59, फिरोजाबाद में 42.82, मैनपुरी में 62.10, अलीगढ़ में 31.16, महामाया नगर में 53.24, एटा में 32.79, कांशीराम नगर में 23.19, बरेली में 37.45, बदायूं में 34.28, शाहजहांपुर में 44.16, पीलीभीत में 35.65, फर्रुखाबाद में 58.32, औरैया में 38.53, कानपुर नगर में 28.93, कानपुर देहात में 36.08, प्रतापगढ़ में 34.45, फतेहपुर में 33.99, कौशांबी में 35.23, इलाहाबाद में 32.68 और कन्नौज में 63.08 फ़ीसद बिजली चोरी हो रही है. बुंदेलखंड के झांसी में 43.33 फ़ीसद बिजली चोरी हो रही है. जबकि ललितपुर में 55.55, हमीरपुर में 26.44, जालौन में 60.34, महोबा में 50.15, बांदा में 32.76 और चित्रकूट में 48.59 फ़ीसद बिजली चोरी की जा रही है. हमीरपुर ज़िले के मौदहा में सबसे ज़्यादा 34 फ़ीसद बिजली चोरी हो रही है. पूरे उत्तर प्रदेश में 33.98 फ़ीसद लाइन लॉस का सीधा मतलब है कि बिजली चोर राज्य सरकार को हर महीने 400 करोड़ रुपये से अधिक का ऩुकसान पहुंचा रहे हैं.
बिजली का बिल न अदा करने पर छोटे-मोटे उपभोक्ताओं पर कहर बरपाने वाली सरकार बड़े-बड़े बकाएदारों से वसूली में नाकाम है. क़रीब डेढ़ सौ ऐसे बड़े बकाएदारों के नाम सरकार के समक्ष पेश हो चुके हैं, जिन पर क़रीब डेढ़ हज़ार करोड़ रुपये का बकाया है. सरकार इनसे वसूली करने के बजाय इनके नाम छिपाने में अधिक रुचि लेती है. बड़े बकाएदारों की इस सूची में उद्योगपतियों, सरकारी संस्थानों, नेताओं, नौकरशाहों और न्यायाधीशों के नाम शामिल हैं. जो सरकारी संस्थान अपने यहां बिना अग्रिम भुगतान लिए घुसने तक नहीं देते, उन पर भी करोड़ों रुपये के बिजली बिल बकाया हैं. सत्तारूढ़ दल के राष्ट्रीय पदाधिकारी एवं उनके परिवारीजनों के नाम से संचालित होने वाली कंपनियों पर क़रीब 20 करोड़ रुपये की बकाएदारी है.कनेक्शन कटने के बाद भी उन्हें बिजली की आपूर्ति जारी है. बकाएदारों की सूची में लखनऊ स्थित ऐसे सरकारी भवन भी शामिल हैं, जो सीधे सरकार से जुड़े हैं. आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि मध्यांचल के 170.10 करोड़, पश्चिमांचल के 567.54 करोड़, पूर्वांचल के 90.63 करोड़, दक्षिणांचल के 139.81 करोड़ और केस्को के 38.93 करोड़ रुपये बकाया हैं. लखनऊ स्थित विधायक निवास (दारुलशफा) पर डेढ़ करोड़, बहुमंजिला मंत्री आवास पर 1.49 करोड़, तीनों वीवीआईपी गेस्ट हाउस पर लगभग चार करोड़, बहुमंजिला इंदिरा भवन पर 2.6 करोड़ और जवाहर भवन पर 1.69 करोड़ रुपये बकाया हैं.
चोरी की बिजली से सत्ता के घर रौशन
सत्ता के अलमबरदारों के राजनीतिक और पैतृक गढ़ों में बिजली चोरी सबसे अधिक है. यानी सत्ता के शीशे के घर चोरी की बिजली से रौशन हो रहे हैं. इस बिजली चोरी को सरकार लाइन लॉस की संज्ञा देती है. इटावा, कन्नौज, मैनपुरी और आजमगढ़ जैसे ज़िलों में सबसे ज़्यादा लाइन लॉस है. प्रदेश के 16 ज़िलों में 50 फ़ीसद और 14 ज़िलों में 40 फ़ीसद से ज़्यादा लाइन लॉस है. रामपुर, संभल, शामली और जेपी नगर में 50 फ़ीसद से ज़्यादा लाइन लॉस दर्ज किया जा रहा है. मैनपुरी बिजली चोरी में अव्वल है. कन्नौज दूसरे, इटावा तीसरे और फिरोजाबाद चौथे स्थान पर है. सत्ता और सपा प्रमुख के गृह क्षेत्र इटावा का वितरण खंड-दो पूरे दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम क्षेत्र में सबसे ज़्यादा यानी 58 फ़ीसद तक बिजली चोरी कर रहा है. आंकड़े बताते हैं कि दक्षिणांचल क्षेत्र में आगरा के बाद सबसे ज़्यादा बिजली इटावा को ही दी गई, लेकिन बिल सबसे कम वसूला जा सका.