यूपी की राजधानी लखनऊ में एप्‍पल कंपनी के अधिकारी विवेक तिवारी की हत्‍या के मामले में परिवार को बड़ा झटका लगा है। न्याय की लड़ाई लड़ रहा परिवार तब सन्न रह गया, जब अदालत ने सुबूत के अभाव में यूपी पुलिस के एक कांस्टेबल संदीप कुमार को ज़मानत दे दी है। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के जस्टिस डीके सिंह ने मंगलवार को संदीप कुमार को जमानत दे दी।

अब मामले इस आरोपी को मिली ज़मानत के बाद यूपी पुलिस की जांच पर भी सवाल उठ रहे हैं। परिवार का आरोप है की पुलिस अपने लोगों को बचाने के लिए मज़बूती से कड़ी नहीं रही जिसका फायदा उठाकर आरोपी ने ज़मानत ले ली।

विवेक तिवारी (38) को बीते साल 29 सितंबर को लखनऊ के गोमती नगर में उस वक्‍त गोली मार दी गई थी, जब वह अपनी एक पूर्व सहकर्मी के साथ एसयूवी से जा रहे थे। आरोप है कि प्रशांत चौधरी ने उन्‍हें गोली मारी थी, जिसमें वह बुरी तरह घायल हो गए और फिर दम तोड़ दिया।

इस घटना को लेकर यूपी पुलिस पर कई सवाल खड़े हुए थे और लोगों में भारी नाराजगी थी। मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था, जिसमें यह पाया गया कि आरोपी कांस्‍टेबल ने बिना किसी उकसावे के विवेक तिवारी पर गोली चलाई। उस समय उनके साथ रहे कांस्‍टेबल संदीप कुमार को 22 मार्च को हिरासत में लिया गया था। उन पर तिवारी के साथ गाड़ी में बैठीं उनकी पूर्व सहकर्मी को नुकसान पहुंचाने का आरोप था।

इस मामले में आरोपी दोनों कांस्‍टेबल का आरोप है कि उन्‍होंने रूटीन जांच के दौरान तिवारी को रुकने के लिए बोला, लेकिन गाड़ी रोकने की बजाय वह और स्‍पीड में भाग निकले, जिसके कारण उन्‍होंने गोली चलाई। पुलिस ने इस मामले में विवेक तिवारी के परिजनों की शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर जांच शुरू की।

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