भोपाल। घर में मर्ज और दर्द से छटपटाता मरीज… अपनों के लिए कुछ करने की जद्दोजहद… और मदद मुहैया कराने वाले जारी किए गए नंबर से मिलती भ्रामक, परेशान करने वाली तथा इलाज में देरी करने वाली जानकारी…! इलाज के लिए भटक रहे लोग अब कहां जाएं, किससे गुहार लगाएं वे समझ नहीं पा रहे हैं।
कोरोना के बिगड़े हालात के बीच लोगों को इलाज पाने की एक राह दिखाने वाले हेल्पलाइन भी लोगों को गुमराह करना शुरू कर दिया। शाहजहानाबाद क्षेत्र के एक मरीज के लिए अस्पताल में वेंटीलेटर वाले बेड के लिए तलाश शुरू हुई तो उनके हाथ महज निराशा ही लगी। हेल्पलाइन से दिए गए अस्पतालों के नामों में एक मंडीदीप का पाया गया तो दूसरा शहर के दूसरे छोर अशोका गार्डन का। उपलब्ध कराए गए इनके नंबर भी बंद या गलत पाए गए।

चर्चा के अंश :
कॉलर : हेलो…
हेल्पलाइन : जी बताइए…
कॉलर : सर हमें भोपाल में वेंटीलेटर बेड चाहिए…
हेल्पलाइन : अपना नाम बताइए
कॉलर : जी मैं फरहान खान बोल रहा हूं…
हेल्पलाइन : कॉन्टैक्ट नंबर बता दीजिए आपका…?
कॉलर : जी कॉन्टैक्ट नंबर लिखिए… 8770283615
हेल्पलाइन : कहां से बात कर रह रहे हैं…?
कॉलर : भोपाल…
हेल्पलाइन : भोपाल में कहां से?
कॉलर : शाहजहानाबाद…

(हेल्पलाइन कर्मचारी को मुश्किल से शाहजनाबाद समझ आ पाया..!)

हेल्पलाइन : वेंटीलेटर बेड चाहिए?
कॉलर : जी

(कुछ देर के लिए सन्नाटा छा गया)

… फिर हेल्पलाइन सचेत हुआ, बोला आरोग्य हॉस्पिटल… कॉलर के पूछने पर अस्पताल का कॉन्टेक्ट नंबर भी नोट करवा दिया गया… 9752432582…!
कहां पर है, पता करने पर जवाब मिला, पता शो नहीं हो रहा है…! दूसरे अस्पताल की जानकारी चाहने पर राजभोज अस्पताल का नाम और नंबर मुहैया करवा दिया गया…!

फिर शुरू हुआ मुश्किल का सिलसिला
हेल्पलाइन से मिली अस्पतालों की जानकारी और उनके मोबाइल नंबर ने परिजन का हौसला बढ़ाया। लगा उनके मरीज को वेंटीलेटर बेड मिलने का रास्ता आसान हो गया है। लेकिन उनका भ्रम कुछ ही देर में टूट गया, जब उन्होंने हेल्पलाइन से मिले नंबर पर कॉल किया। पता चला कि ये नंबर सेवा में ही नहीं है। दूसरे नंबर के भी बंद होने की सूचना मिली। अस्पताल का पता जानने के लिए गूगल का सहारा लिया गया तो पता चला कि आरोग्य हॉस्पिटल मंडीदीप में है तो राजभोज अस्पताल जाने के लिए शहर के दूसरे छोर अशोका गार्डन तक दौड़ लगाना पड़ेगी।

जारी नंबरों से भी मिल रही निराशा
शहर में बेड कहां मिलेगा, वेंटीलेटर बेड की उपलब्धता कहां है, ऑक्सिजन सिलेंडर कहां रिफिल होगा जैसे जरूरी नंबरों की जानकारी अखबारों, चैनलों, सोशल मीडिया के जरिए लोगों को दी जा रही है। लेकिन इनमें से अधिकांश नंबर या तो सेवा में नहीं हैं या अधिकांश समय व्यस्त या बंद पाए जाते हैं।

गलत जवाब… चली गई जान
लगा था राजधानी में बड़ी मेडिकल फेसिलिटीज हैं। आगर मालवा से भोपाल तक का सफर सिर्फ इलाज की उम्मीदों पर किया। अपने मरीज अब्दुल शफीक को लेकर शहर भर के अस्पतालों की खाक छानी, हेल्पलाइन का सहारा लिया, फिर गुमराह करने वाली जानकारी… और इलाज की देरी ने अब्दुल शफीक की जान ले ली…!

इनका कहना है
नागरिकों की सुविधा के लिए हेल्प डेस्क और जरूरी नंबरों की सूची जारी की गई है। इनसे कोई समस्या आ रही है तो इसकी जांच कराई जाएगी। लोगों को सहायता प्राप्त हो, इसके सतत प्रयास किए जा रहे हैं।
अविनाश लवानिया, कलेक्टर

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