अहिंसा को अपना हथियार बना चुके समाजसेवी अन्ना हजारे ने पिछले 7 दिनों से चल रहे अपने अनशन को आखिरकार समाप्त कर दिया है. बता दें कि लगभग आधा दर्जन मांगों के साथ अनशन कर रहे अन्ना हज़ारे ने बड़ी ही आसानी से अनशन ख़त्म कर दिया है, लेकिन इस अनशन पर अब सवाल उठने लगे हैं क्योंकि अपनी मांगें मनवाने के लिए जो शख्स खाना-पीना छोड़ सकता है वो महज एक आश्वासन के बाद अपना अनशन ख़त्म कर लेगा इस बात का अंदाज़ा किसी को भी नहीं था.
सोशल मीडिया पर अन्ना को लेकर कई तरह की बातें सामने आ रही हैं. कुछ लोग तो यह भी कह रहे हैं कि अन्ना हज़ारे ने भारतीय जनता पार्टी से हाथ मिला लिया है और उनका ये अनशन बीजेपी की तरफ से ही करवाया गया था जिसका मकसद जनता का मूड जानना था. अगर अन्ना के अनशन में जमकर भीड़ आती तो इससे बीजेपी को अपने ऊपर मंडरा रहे खतरे का अंदाज़ा हो जाता जिससे 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी अपनी स्थिति सुधार लेती.
बता दें कि अन्ना के अनशन को लेकर ऐसी बातें इसलिए भी सामने आ रही हैं क्योंकि अन्ना ने बड़ी ही आसानी से एक आश्वासन के बाद अपना अनशन समाप्त कर दिया था, और ख़ास बात तो यह है कि बीजेपी के नेताओं ने अनशन ख़त्म करवाया.
2011 के अन्ना आंदोलन के दौरान तत्कालीन यूपीए सरकार लगातार अन्ना और उनके आंदोलन की कमेटी से बातचीत कर रही थी. उस समय लगातार केंद्र सरकार का प्रयास था कि अन्ना आंदोलन तोड़ दें. यूपीए के कई मंत्री लगातार अन्ना से बात कर रहे थे और आंदोलन पर नजर बनाए हुए थे. साथ ही यूपीए सरकार को अन्ना की कई मांगों के सामने झुकना भी पड़ा था. हालांकि इस बार ऐसा कोई नजारा नहीं दिखा.
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पीएमओ की ओर से अन्ना के आंदोलन को खत्म करने को लेकर कुछ प्रयास जरूर हुए, लेकिन कोई भी मंत्री या नेता अन्ना के इस आंदोलन पर न पहुंचा और न ही कोई बयान देता दिखाई दिया. अन्ना का आंदोलन खत्म कराने भी उनके गृह राज्य महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पहुंचे.