फ्रांस के राष्ट्रपति द्वारा इस्लाम के बारे में की गई टिप्पणी पर जमा हुए लोग, किया विरोध, दिया ज्ञापन
भोपाल। जब तक सूरज-चांद रहेगा, मोहम्मद का नाम रहेगा…के नारों से गूंजता राजधानी भोपाल का तारीखी इकबाल मैदान अपने प्यारे नबी के खिलाफ की गई टिप्पणी से नाराज भी दिखा और अपने इरादे पर तटस्थ कि जो इस्लाम और उसके पैगंबर से गुस्ताखी करेगा, उसके खिलाफ हर वह कदम उठाया जाएगा, जिससे उस तक लोगों की नाराजगी पहुंचाई जा सके। शहर के उलेमाओं, सामाजिक और सियासी लोगों ने मंच से ऐलान किया है कि फ्रांस से आने वाले किसी प्रोडक्ट को वे अपनी जरूरत का हिस्सा नहीं बनाएंगे और न ही उसे अपने घरों में जगह देंगे। हजारों लोगों के मजमे से खचाखच भरे इकबाल मैदान पर हुई विरोध सभा के बाद कलेक्टर के मार्फत फ्रांस दूतावास के नाम एक ज्ञापन प्रेषित किया गया है, जिसमें अपने कहे पर माफी मांगने और भविष्य में ऐसी हिमाकत न करने की मांग की गई है।
विधायक आरिफ मसूद के आह्वान पर गुरूवार को इकबाल मैदान पर यह मजमा इकट्ठा हुआ था। शहर के सभी उलेमाओं और बड़ी तादाद में मौजूद लोगों ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉम द्वारा की गई इस्लाम विरोधी टिप्पणियों और पैगंबर हजरत मोहम्मद को लेकर बनाए गए चार्ली हैब्दों द्वारा कार्टूनों को मुनासिब करार देने को लेकर लोगों ने अपनी नाराजगी जताई। उन्होंने जमकर नारे लगाए और हाथों में तख्तियां लहराकर इस गुस्ताखी को नाकाबिल-ए-बर्दाश्त करार दिया। करीब ढ़ाई बजे शुरू होने वाले कार्यक्रम के लिए लोगों का इकबाल मैदान पहुंचना दोपहर एक-डेढ़ बजे से ही शुरू हो गया था। बड़ी तादाद में मौजूद पुलिस जवान व्यवस्था को संभाले हुए थे और लगातार हालात पर नजर रख रहे थे। काजी-ए-शहर सैयद मुश्ताक अली नदवी, शहर मुफ्ती अबूल कलाम, विधायक आरिफ मसूद समेत उलेमाओं ने आह्वान किया है कि कोई भी मुसलमान फ्रांस से आयातित और निर्मित किसी सामान को अपने इस्तेमाल नहीं करेगा।
बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाव को आगे बढ़ाने वाले मोहम्मद
कार्यक्रम के दौरान मौजूद वक्ताओं ने कहा कि हजरत मोहम्मद किसी कौम खास के रहनुमा या पैगंबर नहीं, बल्कि उन्हें रहमत उल आलेमीन का दर्जा दिया गया है। दुनिया में उनकी आमद पूरी दुनिया की रहनुमाई के लिए हुई थी। उलेमाओं ने कहा कि आज जिस बेटी बचाव-बेटी पढ़ाओ के नारे को बुलंद किया जा रहा है और माना जा रहा है, असल में हजरत मोहम्मद पहले शख्स हैं, जिन्होंने इस कांसेप्ट को आगे बढ़ाया। उलेमाओं ने कहा कि हजरत मोहम्मद की रहनुमाई से पहले दुनिया में यह हालात थे कि बेटी के पैदा होने के साथ ही उसे दफना दिए जाने का रिवाज हुआ करता था, जिसको हजरत मोहम्मद ने रुकवाया। उन्होंने कहा कि मोहम्मद सिर्फ इंसानों के नहीं, बल्कि दुनिया में मौजूद सभी मखलूक के पैगंबर हैं और रहती दुनिया तक उनका यह रसूख बरकरार रहने वाला है।
हमारे बस में होता तो तेरा मुंह कुचल देते : मसूद
विधायक आरिफ मसूद ने अपनी जज्बाती तकरीर में कहा कि जिस व्यक्ति को अपने जन्म देने वाले का नाम भी ठीक से पता नहीं, वह हमारे पैगंबर को लेकर कुछ कहे, यह कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारे बस में होता तो हुजूर की शान में गुस्ताखी करने वाले का मुंह कुचल देते लेकिन हमारे रसूल ने हमें अमन का रास्ता दिखाया है। उन्होंने कहा कि मुसलमान इस मुल्क के कानून को मानने वाले हैं, इसलिए ऐसा कोई काम नहीं करना चाहते, जिससे कानून के खिलाफ कोई बात उसके हिस्से शामिल हो। उन्होंने कहा कि हम नियम के साथ अपने विरोध और नाराजगी को फ्रांस तक पहुंचाएंगे और इसका मकसद यही है कि फ्रांसी राष्ट्रपति अपनी गलती को स्वीकार करें और इंटरनेशल मीडिया के सामने इसको स्वीकार भी करें और इस गलती के लिए माफी भी मांगे। मसूद ने कहा कि फ्रांस के राष्ट्रपति को इस बात का ख्याल भी रखना होगा और इस बात का अहद भी करना होगा कि भविष्य में इस तरह की गलती दोबारा न हो। इस मौके पर शहर काजी मुश्ताक अली नदवी, शहर मुफ्ती अबुल कलाम, डॉ. औसाफ शाहमीरी खुर्रम, मुफ्ती
अली कदर, काजी अजमत शाह मक्की समेत कई उलेमाओं ने संबोधित किया। विरोध सभा के बाद कलेक्टर के मार्फत फ्रांस के डिप्टी काउंसलर और राजदूत के नाम ज्ञापन सौंपा गया।