सत्ता की नशा की बिमारी जो गलिसे लेकर विश्व स्तर पर सदियों पुरानी है.

पहले कबीले एक दूसरे पर अधिपत्य बनाने शुरू किए, फिर तथाकथित देश बनने लगे तो उन्हेंने एक दूसरे को दखल करने से लेकर गोरे, काले,पिले और राष्ट्र के नाम देने की शुरुआत हुई. राष्ट्रो का एक दुसरे पर अधिपत्य बनना शुरू हुआ. और इंग्लैंड जिसे ग्रेट ब्रिटेन कहा जाने लगा उसने एक जमाने में वर्तमान अमेरिका से लेकर पूरे रेगिस्तानी इलाके, मैदानमे के एशिया और घने जंगल वाले अफ्रीकी प्रदेश से लेकर लगभग विश्व के सबसे बड़े हिस्से पर राज करने के लिए विशेष रूप से बीसवीं सदी के अंतिम दशक तक कामयाब रहे हैं.


फ्रांस,जर्मनी,डच,पोर्तूगिज, अमेरिका ,और 20 वी शताब्दी से सोवियत संघ और अब नए दादा देश अमेरिका और चीन साम्राज्यवादी गुंडों की भुमिका निभा रहे है. उन्होंने अपने अगल बगल के सभी देशों में जबसे तथाकथित क्रांति हुई है. तबसे लगातार एक तो उनमेसे कई देशों को अपने कब्जे में ले लिया है. तिब्बत उसकी मिसाल है. और नेपाल और अब मॅनमार को लेकर उसका साम्राज्यवादी रवैया साफ दिखाई दे रहा है.


जिस तरह से किसी आदमी के पास पैसा आने के बाद उस आदमी को गरूर हो जाता है. वैसे ही आदमियों का समूह मिलकर तथाकथित राष्ट्र के भी मनसूबे बदलने लगते है. और इनका पाखंड देखिए यह सब गुनाहों को यह सबसे ज्यादा मानवाधिकार और जनतंत्र तथा न्याय के नाम पर करते हैं . और वहाकी जनता की मुक्ति का दावा भी करते हैं .


जैसे कुछ समय पहले रशियामे विरोधी दल के नेता अॅलेक्सी नॅव्हल्नी और उनके डेढ हजार समर्थकों को चौदह साल के लिए जेल में डाल दिया है. और पुतिन ने अपने आप को आजीवन राष्ट्रपति घोषित कर लिया है. और एडरगाॅन नाम के तुर्किस्तान के राष्ट्रप्रमुख ने भी लगभग वही कर लिया है. सऊदी अरब और सभी खाड़ी के देशों में तो कभी जनतंत्र का झोका भी नहीं शुरू हुआ है.


आज डोनाल्ड ट्रंप को दुसरी बार राष्ट्रपति का पद भार सम्हालने को एक महीना ही होने आ रहा है . और पैरिस घोषणा को न मानने से लेकर, विश्व स्वास्थ्य संगठन से पल्ला झाडना और आंतरराष्ट्रीय क्रिमिनल कोर्ट ने नेथ्यानू को युद्ध अपराधी होने की घोषणा करने के बाद वह ट्रंप को मिलने के लिए जाता है .और ट्रंप उसे कुछ कहने के बजाय उल्टा आंतरराष्ट्रीय क्रिमिनल कोर्ट के लोगों के उपर कारवाई की घोषणा करता है.और सबसे हैरानी की बात जिस गाजापट्टि को नेथ्यानू ने बर्बाद कर के रख दिया है. और लाखों लोगों को मौत के घाट उतार दिया है . उसी गाजापट्टि के बचे हुए लोगों को ट्रंप बोल रहा है कि “आप सभी लोग गाजापट्टि को खाली कर के इजिप्त और जॉर्डन मे निकल जाओ, और मै वहां पर विश्व का सबसे बेहतरीन सी रिसॉर्ट बनाऊँगा .” मतलब ट्रंप कीस मट्टी का बना हुआ है ? ऐसा संवेदनहीन आदमी आज अमेरिका के राष्ट्रपति के पद पर विराजमान हो गया है . यह विश्व का इक्कीसवीं शताब्दी का नया तानाशाह बनने के लक्षण दिखाई दे रहे हैं . नेथ्यानू ने एक लाख से अधिक संख्या में लोगों को मौत के घाट उतार दिया इस बात का ट्रंप के उपर कुछ भी असर नहीं हुआ है. उल्टा बचे हुए लोगों को बेहिचक गाजापट्टि खाली करने के लिए बोल रहा है. और उस जगह पर रिवेरा बनाने की घोषणा कर रहा है. मतलब दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र के विषरूक्ष का दो सौ साल की प्रगति का यह फल है. जिसका नाम डोनाल्ड ट्रंप है.


25 जून 1975 के दिन श्रीमती इंदिरा गाँधी जी के द्वारा लगाया गया आपातकाल और दस साल से भी ज्यादा समय हो रहा है, भारत में नरेंद्र मोदीजी कि कार्यशैली किसी आपातकाल से कम है ? क्या सत्ता का नशा भारत से लेकर विश्व के काफी राजनेताओं को उन पदोपर चढने के बाद अक्सर देखा है. और उसमें माओ,लेनिन जैसी महान क्रांतिकारी हस्तियों की भी बातें अब बाहर आ रही है. माओ की पत्नी और उनकी चौकडी. लेनिन क्रांति के बाद जल्दी ही चले गए ( 1924 ) लेकिन 1925 से जोसेफ स्टालिन ने हिटलर को भी मात देने के रिकार्ड बनाये है. और वह भी रशियन देश की भलाई के नाम पर.

हालांकी दुनिया के किसी भी तानाशाह का दावा देश की भलाई के लिए विशेष रूप से अपने आप को यह सब कुछ करने के लिए कहते हुए ही देखा है. और आज भारत के परिदृश्य में जितना देश और देशद्रोह यह दो शब्द सुनने में आ रहे हैं. उतना शायद भारत के आजादी के आंदोलन मे भी नहीं होगा. पर्यावरण संरक्षण के लिए इतनी कम उम्र में जागरण करने वाली ग्रेटा थनबर्ग और अमेरिकी पाॅप गायिका रिहाना ने किसानों के आंदोलन के समर्थन में कुछ कहा तो भारत सरकार के गृहमंत्री ने इसे भारत के एकता-अखंडता के लिए खतरा बताया है. और उसके बाद भी वही गायीका करोडो रुपये की फिस लेकर अंबानी के बेटे की शादी में गाना गाने के लिए आकर जाती है. तो क्या वह भारत की एकता और अखंडता को मजबूत करने के लिए ?


यही एकता और अखंडता के लिए खतरा बताने वाले ने एन आर सी नाम के कानून के माध्यम से भारत की एकता और अखंडता को कितना खतरा पहुंचाया है ? और लगभग तिस साल से भी ज्यादा समय हो रहा है मंदिर-मस्जिद की राजनीति के कारण भारत की एकता और अखंडता को कितना खतरा पहुंचाया है ? और लगभग आधा भारत असुरक्षित महसूस कर रहा है. और यह आदमी दो छोटी लडकीयोके किसानों के आंदोलन के समर्थन को भारत की एकता और अखंडता को कितना खतरा है. यह बात कह रहे हैं. और जब नरेंद्र मोदी जी को भी मेडिसन स्क्वेर और हावडी मोदी,अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम में करोड़ों रूपये का चुना लगाकर कोविद के सायेमे लाखों लोगों को इकट्ठा करने की करतूत को कौन-सी देश भक्ति की बात है ?


कि आप लोग दंगे करो, हजारों बेगुनाहलोगों को जेलोंमें बंद करो, देश के सभी सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को बेचने से लेकर, देश की अर्थव्यवस्था ठीक नहीं है,तो भी हजारों करोड़ का विमान ,उससे भी ज्यादा खर्च कर के नये संसद भवन का निर्माण और तथाकथित बुलेट ट्रेन से लेकर देश की रेल,विमान,जहाजरानी के और सबसे संगीन बात रक्षा जैसे देश के सबसे महत्वपूर्ण विभाग में विदेशी निवेश के लिए खोलने की बात कौनसे राष्ट्रभक्तों का लक्षण है ?
क्योंकि आप लोगों ने सडकों को बनाने के ढोल पिटे और अब उन्ही सडकों को रात के अंधेरे में बुलडोजर चला कर खंदक खोदकर बची हुई सडकों पर लोहे के तार और लोहे की मोटी मोटी किले ठोकने का काम कर रहे हैं. मुझे फिलिस्तीन मुक्ति का भारत के चॅप्टर के अध्यक्ष होने के नाते दो बार वहाँ जाने का मौका मिला है. और मेरी राय बनते जा रही है कि यह दिमाग मोसाद और उसके आका इस्राइल के देखा देखी मे किया गया है. गाजापट्टी,वेस्ट बैंक में जिस तरह से घेराबंदी की है. वही माडल मुझे दिल्ली के चारों तरफ की सीमा पर लग रहा है. क्योंकि वर्तमान सरकारका आजकल इस्राइल की एजेंसियों से और मुख्यतः इस्त्राइल की सबसे ज्यादा मदद और सलाह से कारोबार चल रहा है. क्योंकि संघ परिवार की निर्मिती भले हिटलर और मुसोलिनी की प्रेरणा और उनके एस एस और बलाला के तर्ज पर हुई है.

लेकिन 1948 मे इस्राइल की चारो तरफ इस्लामिक देश होने के बावजूद वह कुछ लाख यहूदी जनसंख्या होने के बावजूद सबको नाको तले चने चबाने के लिए विशेष रूप से अमेरिकी मदद से भारी पड रहा है. और उसी इस्राइल की मुसलमानों के खिलाफ द्वेष के कारण मदद मिल रही है. लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात भूल रहे हैं भारत में दुनिया के दो नंबर जनसंख्या मुसलमानों की है. और कितना भी गुजरात कर लो लेकिन 30-40 करोड़ आबादी के भारत के मुसलमानों को एन आर सी के बाद भी कितने को बाहर निकाल सकते हैं ? और निकला तो भी उन्हें लेने के लिए कौन तैयार बैठा है ?


जब इटली-जर्मनी और रशियन तानाशाह यह सब करतूतों को अंजाम दे रहे थे. और उनके साथ तबका मिडियाने भी इसी तरह के लोगों को महिमामंडित करने के कागज आज भी उपलब्ध है. और उनके कारनामों को उजागर करने वाले भी कागजातों की संख्या उनसे ज्यादा है. और आज वह हीरों के लिए विशेष रूप से जाने जाते हैं या विलेन ? तो डोनाल्ड ट्रंप से लेकर नरेंद्र मोदी जी को भी यही तर्क लागू है. और आने वाले समय में वह किस रूप में जाने जांय यह बात अभिभी उनके हाथ में है.
आखिरी बात डॉ. बाबा साहब अंबेडकर जी ने कहा है कि “इतिहास में की गई गलतियों से जो नहीं सिखता है, उसे वर्तमान और सबसे ज्यादा भविष्य में कभी भी माफ नहीं किया जाता है. “

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