वायदों और विवादों से भरा अखिलेशवादी-समाजवादी घोषणा पत्र चेहरे के साथ प्राथमिकताएं भी बदल गईं अखिलेश के कार्यकाल में अल्पसंख्यकों को ‘धार्मिक स्वतंत्रता’ नहीं थी? घोषणा पत्र से उठा सवाल

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के पहले जो सियासी चर्चाएं सरगर्म हैं, उनमें बड़ा मुद्दा समाजवादी पार्टी का घोषणापत्र भी है. घोषणापत्र के जरिए मतदाताओं को रिश्वत देने की जो रवायत दक्षिणी राज्यों में रही है, अखिलेश यादव ने उसी परम्परा को उत्तर में लागू करने का जतन किया है. वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी का घोषणा पत्र मुलायम सिंह यादव के दिशा-निर्देशन में तैयार हुआ था. 2017 में अखिलेश यादव ने अपने दिशा-निर्देशन में घोषणा पत्र तैयार कराया. स्वाभाविक तौर पर प्राथमिकताएं बदलीं, पर अस्वाभाविक तौर पर चेहरे बदले. इस बार घोषणा पत्र जारी करने के लिए मुलायम नहीं आए. शिवपाल भी नहीं थे. अखिलेश ने ही

घोषणा पत्र जारी किया. महज पांच साल पहले मुलायम के घोषणा पत्र में भूमि अधिग्रहण, भ्रष्टाचार, साम्प्रदायिकता, भूख और जीवन रक्षा जैसे अहम मसले शामिल थे, लेकिन अखिलेश के घोषणा पत्र से ये मसले गायब हैं. समाज के आखिरी छोर पर खड़े व्यक्ति की प्राण रक्षा और भूख से मुक्ति के उपाय पिछले घोषणा पत्र में शुमार थे, इस बार नहीं हैं. भ्रष्टाचार का मसला मुलायम के घोषणा पत्र में अहमियत के साथ शामिल किया गया था, लेकिन अखिलेश ने इसे कोई अहमियत नहीं दी. जबकि सत्ता में आने के पहले अखिलेश यादव यह बार-बार कहते थे कि बसपा के कार्यकाल में स्मारकों, पत्थरों और पार्कों के निर्माण पर अरबों रुपये के जो घोटाले हुए उसकी पुख्ता जांच होगी और दोषी जेल में होंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. लाजिमी है कि अखिलेश के घोषणा पत्र से भ्रष्टाचार के मसले को हटना ही था. अखिलेश यादव ने एक तरफ अपने घोषणा पत्र से साम्प्रदायिकता के मुद्दे को निकाल बाहर किया और दूसरी तरफ अल्पसंख्यकों की ‘धार्मिक स्वतंत्रता’ सुनिश्चित किए जाने के आश्वासन की लाइन जोड़ कर नए सिरे से विवाद पैदा कर दिया. अब राजनीतिक विश्लेषकों से लेकर सामाजिक चिंतक तक इस लाइन को समझने में लगे हैं कि उत्तर प्रदेश में अल्पसंख्यकों की ‘धार्मिक स्वतंत्रता’ सुनिश्चित किए जाने का क्या तात्पर्य है. क्या उत्तर प्रदेश में अब तक अल्पसंख्यकों को ‘धार्मिक स्वतंत्रता’ नहीं थी? इसके लिए कौन दोषी है? और यदि अखिलेश सरकार के पांच साल के कार्यकाल में अल्पसंख्यकों को ‘धार्मिक स्वतंत्रता’ थी तो फिर इसे नए सिरे से घोषणा पत्र में लिखने की क्या जरूरत थी? अखिलेश यादव को इन दो सवालों में से किसी एक का उत्तर तो देना ही चाहिए.

अखिलेशवादी घोषणा पत्र में समाजवादी पार्टी ने वोट के बदले में मुफ्त अनाज, घी और प्रेशर कुकर देने का लिखित वादा देकर वोट के बदले घूस को आधिकारिक मान्यता दे दी. इसके अलावा भी तमाम ऐसे वायदे हैं, जिसे घोषणा पत्र में शामिल करने के पहले पूर्ववर्ती वायदों के पूरा होने की स्थिति की समीक्षा कर ली जानी चाहिए थी. पिछले चुनावों के तमाम वायदे पूरे नहीं हुए और नए वायदों का बोझ बढ़ा लिया गया. 32 पेजी घोषणापत्र किस्म-किस्म के वायदों का आकर्षक पैकेज है, जिसमें लैपटॉप, कन्या विद्याधन, चार लेन सड़कें, अस्पताल, शिक्षा, तकनीकि योजनाएं, मेट्रो रेल सेवा विस्तार और एक्सप्रेस-वे योजना के फैलाव का वायदा शामिल है. गरीब परिवारों को मुफ्त में गेहूं, चावल, घी और महिलाओं को प्रेशर कुकर देने का ऐलान उत्तर प्रदेश के तमिलनाडु या आंध्र प्रदेश के रास्ते चलने की सनद दे रहा है. अखिलेश यादव ने महिलाओं को राज्य की सरकारी बसों में आधे किराये की छूट देने की योजना का भी वादा किया है. कक्षा नौ से 12वीं तक की छात्राओं को साइकिल, मेधावी छात्राओं को सोलर टैबल लैंप, किसानों को सस्ते दर पर कर्ज, किसान बीमा योजना की राशि बढ़ाने, किसान क्रेडिट कार्ड पर सब्सिडी, पशुओं के इलाज के लिए भी एंबुलेंस सेवा चलाने, उच्च शिक्षण संस्थानों में वाई-फाई की सुविधा देने, विशेष बस सेवा देने और स्कॉलरशिप देने का चुनावी लॉलीपॉप भी दिखाया गया है. समाजवादी पार्टी ने दोबारा सरकार बनने पर स्मार्टफोन देने का वादा पहले से कर रखा है. समाजवादी स्मार्टफोन योजना में अब तक एक करोड़ से अधिक पंजीकरण हो चुका है.

घोषणापत्र में अल्पसंख्यक कल्याण की कई योजनाएं शामिल कर अखिलेश ने मुलायम के उस तोहमत से बचने की कोशिश की है, जिसमें नेताजी ने अखिलेश को मुस्लिम विरोधी बताया था. हालांकि अखिलेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद तीन दर्जन से अधिक विभागों की विभिन्न योजनाओं में अल्पसंख्यकों को शरीक करने की घोषणा की गई थी. लेकिन यह योजना जमीनी स्तर पर कार्यान्वित नहीं हो पाई, अधिकारी केवल मीटिंग ही करते रह गए. अखिलेश ने इस बार अल्पसंख्यकों के लिए एक लाख सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम व्यवसाय सुनिश्चित करने की बात कही है. बुजुर्गों के लिए ओल्ड एज होम सहित मुफ्त यात्रा सुविधा सहित मोहल्ला क्लीनिक व डेढ़ लाख से अधिक वार्षिक आय वालों को मुफ्त में इलाज देने की सुविधा का भी वादा किया गया है.

समाजवादी पार्टी के इस घोषणा पत्र को बसपा सुप्रीमो मायावती ने प्रचार के उद्देश्य से की जाने वाली नाटकबाजी करार दिया है. मायावती ने कहा कि जातिवादी नीतियों, कार्यक्रमों और कार्यकलापों से प्रदेश को पिछले पांच वर्षों तक लगातार अराजक, आपराधिक, साम्प्रदायिक दंगे, तनाव और भ्रष्टाचार का जंगलराज देकर समाजवादी पार्टी ने अपने पिछले घोषणापत्र का जिस प्रकार से मज़ाक बनाया है उससे इन्हें दोबारा घोषणा-पत्र जारी करके नए वायदे करने का नैतिक अधिकार ही नहीं है. सपा ने फिर भी जनता को धोखा देने के लिए ऐसा दुस्साहस किया है, यह अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण है. सपा को घोषणा-पत्र जारी करने के पहले अपने गिरेबान में झांक कर देख लेना चाहिए था कि उसने अपने पिछले घोषणा-पत्र में प्रदेश की आम जनता से किए गए जनहित व जनकल्याण से सम्बन्धित चुनावी वायदों पर क्या अमल किया.

भारतीय जनता पार्टी ने सपा के घोषणा पत्र को थोथे वायदों का पुलिंदा बताया. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि पहले बेरोजगारी भत्ता, लैपटॉप और टैबलेट का सब्जबाग दिखा कर सपा सत्ता पर काबिज हुई. अब स्मार्टफोन, प्रेशर कुकर और मुफ्त अनाज-घी के जरिए सत्ता पाने की जुगत में है. मौर्य कहते हैं कि प्रदेश का बेरोजगार युवा नौकरियों की नीलामी नहीं भूला है. राज्यलोक सेवा आयोग के भ्रष्ट अध्यक्ष अनिल यादव के बचाव में सरकार सुप्रीमकोर्ट तक गई. भ्रष्टाचारी यादव सिंह को बचाने के लिए क्या-क्या नहीं किया. अकूत भ्रष्टाचार के आरोपी मंत्री गायत्री प्रजापति के लिए तमाम नाटकबाजी की और फिर उसे टिकट भी दे दिया. मौर्य कहते हैं कि आम नागरिकों को झांसापट्टी की कोशिशें दिखती हैं, अब उन्हें धोखा नहीं दिया जा सकता. पांच साल पहले के घोषणा पत्र में हर किसान को बीज, खाद और सिंचाई के साथ फसल की खरीद की गारंटी देने वाली सपा सरकार गन्ना किसानों का बकाया भुगतान नहीं करा सकी. अरबों रुपये के पत्थर घोटाले का कुछ नहीं हुआ. अखिलेश राज में केवल माफियाओं, बलात्कारियों, भू-माफियाओं, कब्जाधारियों, नौकरी-उद्योग और ट्रांसफर उद्योग का ही विकास हुआ.

विपक्षी नेताओं के बयानों पर तीखी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए समाजवादी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी कहते हैं कि विपक्ष के पास अपनी कोई वैकल्पिक विकास योजना तो है नहीं, वे बस हवा-हवाई की बातें करके समाजवादी पार्टी के खिलाफ दुष्प्रचार करते रहते हैं. उत्तर प्रदेश की जनता उनको करारा जवाब देगी और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के वायदों पर भरोसा करके उन्हें फिर से एक और अवसर देगी. चौधरी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बड़ी-बड़ी योजनाएं लागू कीं लेकिन कहीं भ्रष्टाचार नहीं हुआ. सभी वायदे निभाए गए. चौधरी दावा करते हैं कि अखिलेश यादव बेदाग मुख्यमंत्री हैं जिनके नेतृत्व में प्रदेश में दुबारा समाजवादी सरकार बनेगी.

सपाई घोषणापत्र के हाईलाइट्स

किसानों के लिए योजनाएं- किसानों को सस्ती दर पर कर्ज. मंडियों का आधुनिकीकरण. सूखे की मार से अक्सर जूझने वाले बुंदेलखंड में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करना. सब्जियों और फलों के उत्पादन को अन्तरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाने के लिए ग्रीन हाउस के निर्माण को प्रोत्साहित करना. किसानों के लिये नई व्यावहारिक फसल बीमा योजना शुरू करना. किसान क्रेडिट कार्ड के ब्याज पर अनुदान देना. पशुओं के इलाज के लिए 102, 108 सेवा की तरह विशेष एम्बुलेंस सेवा शुरू करना. दुग्धशालाओं का आधुनिकीकरण.

शिक्षा क्षेत्र के लिए वायदे-विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में सरकार द्वारा ‘वाई-फाई’ की सेवा उपलब्ध कराना. विश्वविद्यालयों तथा बड़े कॉलेजों तक छात्र-छात्राओं को पहुंचाने के लिए विशेष बस सेवा. हर मंडल मुख्यालय पर नवोदय विद्यालय की तर्ज पर समाजवादी अभिनव विद्यालय स्थापित करना. मध्याह्न भोजन के तहत हर बच्चे को मुफ्त एक लीटर देसी घी और एक किलोग्राम मिल्क पाउडर देना. सूचना एवं प्रौद्योगिकी के माध्यम से उच्च गुणवत्ता की शिक्षा देना.

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सुविधाएं- गरीब और कमजोर वर्गों के लिए असाध्य रोगों के इलाज के वास्ते नई स्वास्थ्य बीमा योजना. हर जिले में ब्लड बैंक की स्थापना, हर जिले में कम से कम एक सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल का निर्माण. डेढ़ लाख रुपये से कम सालाना आमदनी वाले लोगों को मुफ्त सम्पूर्ण उपचार उपलब्ध कराना. विकास खंड स्तर पर कार्डियक एम्बुलेंस की सुविधा.

अल्पसंख्यक वर्ग के लिए घोषणाएं- अल्पसंख्यकों की सुरक्षा तथा ‘धार्मिक स्वतंत्रता’ सुनिश्चित की जाएगी. अल्पसंख्यक वर्ग के युवाओं के लिए आगामी पांच वर्षों में कम से कम एक लाख नये सूक्ष्म, लघु, मध्यम व्यवसायों का सृजन. अल्पसंख्यक वित्तीय विकास निगम को सुदृढ़ और अधिक प्रभावशाली बनाया जाएगा. अल्पसंख्यक समुदाय में मौजूद पुश्तैनी हुनर को विकसित करने के लिए चिन्हित कर क्षेत्रों में कौशल प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना. सुन्नी-शिया वक्फ बोर्ड को स्वावलम्बी बनाना. वाराणसी में हज हाउस का निर्माण कराना. अल्पसंख्यक वर्ग के स्वतंत्रता सेनानियों की याद में स्मारक बनवाना.

सड़क निर्माण की योजनाएं-राज्य सरकार द्वारा शुरू की जा चुकी सभी अवस्थापना योजनाओं को अधिकतम दो वर्ष में पूरा कराया जाना. समाजवादी पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का निर्माण रिकार्ड समय में पूरा कराना. बुंदेलखंड को तराई से जोड़ने और लखनऊ को नेपाल सीमा से जोड़ने के लिए दो नए ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे का निर्माण कराना. लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद और वाराणसी में आसपास के क्षेत्र को साइकिल हाईवे से जोड़े जाने की योजना.

बिजली की व्यवस्था-सभी गांवों-मजरों में बिजली पहुंचाना. ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराना. विद्युत उत्पादक योजनाओं का निर्माण कार्य पूरा करना. पुरानी विद्युत लाइनों का नवीनीकरण करना. ग्रामीण क्षेत्रों में सौर ऊर्जा प्रणाली से स्ट्रीट लाइट की योजना पर अमल करना.

शहरी क्षेत्रों का विकास-चुनिंदा स्थानों पर ग्रीन फील्ड टाउनशिप की स्थापना करना. सभी बड़े शहरों में ट्रैफिक की समस्या का स्थायी समाधान करना. इलाहाबाद, वाराणसी, बरेली, मुरादाबाद और आगरा में रिवर फ्रंट परियोजनाएं शुरू करना.

ग्राम्य विकास-लोहिया आवास के तहत लाभार्थियों की संख्या को दोगुना करना. अत्याधुनिक स्मार्ट गांवों को क्लस्टर के रूप में विकसित करना. ग्रामीण क्षेत्रों में खेलकूद को प्रोत्साहन देने के लिए इंडियन ग्रामीण क्रिकेट लीग की तरह अन्य खेलों की लीग शुरू करना.

समाज कल्याण के लिए कार्यक्रम-असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए एक आयोग गठित करना. समाजवादी पेंशन योजना तथा अन्य पेंशन योजनाओं के तहत एक करोड़ परिवारों को एक हजार रुपए की मासिक पेंशन देना. अन्त्योदय अन्न योजना तथा ‘प्रायोरिटी हाउसहोल्ड’ को मुफ्त गेहूं तथा चावल का वितरण करना. न्यूनतम मजदूरी का निर्धारण करके उसका कठोरता से अनुपालन कराना. विधवा निराश्रित महिलाओं, विकलांगों, वृद्धजनों को राज्य सड़क परिवहन निगम की बसों में मुफ्त यात्रा. सामाजिक समस्याओं और असमानताओं की समाप्ति के लिए ‘उत्तर प्रदेश सामाजिक न्याय आयोग’ का गठन करना. वरिष्ठ नागरिकों के लिए ‘ओल्ड एज होम’ की व्यवस्था.

महिलाओं के उत्थान-सभी महिलाओं को रोडवेज बसों में यात्रा करने पर आधे किराए की छूट देना. कामकाजी महिलाओं के लिए शहरों में छात्रावासों का निर्माण कराना. महिला उत्पीड़न तथा दुष्कर्म के प्रकरणों के जल्द निस्तारण के लिए हर जिले में फास्ट ट्रैक अदालतों की स्थापना. महिलाओं के लिए मुफ्त ई-रिक्शा की व्यवस्था.

कानून एवं व्यवस्था-हर पुलिसकर्मी को सेवाकाल में तीन प्रोन्नतियों के अवसर. यूपी-100 योजना को प्रदेश के सभी 75 जिलों में लागू करना. पुलिस का जनता के प्रति व्यवहार सुधारने के लिए कार्ययोजना लागू करना. महिलाओं की सुरक्षा के लिये विशेष सतर्कता योजना बनाना.

व्यापार तथा उद्योग को बढ़ावा-‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को धरातल पर उतारना. उद्यमियों को कारोबार के लिए ऑनलाइन स्वीकृतियों की व्यवस्था करना. इंस्पेक्टर राज समाप्त करना. उद्यमियों के लिए पूर्ण रूप से एकल खिड़की प्रणाली लागू करना. तहसील तथा विकास खण्ड स्तर पर ‘फैमिली बाजारों’ की स्थापना करना. वाराणसी में साड़ी डिजायन केंद्र खोलना.

सूचना प्रौद्योगिकी-मेधावी छात्र, छात्राओं के लिए मुफ्त लैपटॉप वितरण योजना को जारी रखना. आम जनता को सरकार की योजनाओं से जोड़ने के लिए मुफ्त समाजवादी स्मार्टफोन उपलब्ध कराना.

युवा कल्याणकारी योजनाएं एवं कौशल विकास-युवाओं को स्वरोजगार उपलब्ध कराने के लिये ‘इंटरप्रन्योरशिप डेवलपमेंट’ और ‘स्टार्ट-अप’ की व्यापक योजनाएं बनाना. खेलकूद के क्षेत्र में मेधावी छात्रों को प्रोत्साहित, प्रशिक्षित करने के लिये आवासीय पद्धति पर ‘समाजवादी स्पोर्ट्स स्कूल’ की स्थापना करना.

अधिवक्ता कल्याण- युवा अधिवक्ताओं को मासिक आर्थिक सहायता देना. 60 वर्ष से कम उम्र के वकीलों की मृत्यु पर उनके आश्रित परिवार के सदस्य को 10 लाख रुपए की सहायता देना. वकीलों के आवास के लिए ग्रुप हाउसिंग योजना चलाना.

अन्य वर्गों के लिए-चौकीदारों, होमगार्ड्स तथा प्रान्तीय रक्षा दल के जवानों के मानदेय में वृद्धि. क्षेत्रीय ग्राम स्तरीय कर्मचारियों की प्रोन्नति का मार्ग प्रशस्त करना. सभी रिक्त सरकारी पदों पर आवश्यकतानुसार भर्ती. देश की सुरक्षा में तैनात सैनिकों के मूल निवास पर उनके परिवार की सुविधा तथा सुरक्षा के लिए विशेष प्रबन्ध करना.

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