एक तरफ केंद्र सरकार संसद में तीन तलाक को लेकर बिल पेश करने जा रही है, वहीं दूसरी तरफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसका विरोध शुरू कर दिया है. बोर्ड ने केंद्र सरकार से मांग की है कि यह बिल संसद में नहीं पेश नहीं किया जाय. रविवार को लखनऊ में मुस्लिम लॉ बोर्ड की बैठक हुई और इस बैठक में प्रस्तावित बिल को लेकर चर्चा की गई. बोर्ड की तरफ से कहा गया कि यह मुस्लिम महिलाओं की परेशानियां बढ़ाने वाला बिल है.
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि तीन तलाक को लेकर पहले से मौजूद कानून काफी है. यह बिल सुप्रीम कोर्ट के दिए फैसले की भावना के खिलाफ है. यह बिल ड्राफ्ट करते समय मुस्लिम पक्ष को शामिल ना करने के मुद्दे पर भी बोर्ड ने सवाल उठाया है. बैठक के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी ने कहा कि इस बिल में 3 साल की सजा और जुर्माना दोनों का प्रावधान है, लेकिन जुर्माना सरकार की जगह तलाकशुदा महिला को दिया जाना चाहिए था. उन्होंने यह भी कहा कि इस कानून में बच्चों के हित को नजरअंदाज किया जा रहा है. हमारी शरीयत में इसका जिक्र है कि किसके साथ रहने में बच्चे का भला है.
मुआवजे के मुद्दे पर उन्होंने इसे लेकर सवाल उठाया कि अगर महिला का शौहर गिरफ्तार हो जाएगा, फिर उसे मुआवजा कौन देगा और कौन उसकी आर्थिक मदद करेगा. उन्होंने कहा कि कोई तलाकशुदा महिला नहीं चाहती कि उसका शौहर जेल जाए. इसलिए हम चाहते हैं कि फिलहाल इस बिल को रोका जाए और मुस्लिम संगठनों से सलाह करके ही इसे लाया जाए.