साथियों यह विश्वभारती विश्वविद्यालय के वर्तमान पदाधिकारियों की संघ परिवार के इशारों से रवींद्रनाथ टैगोर की बौद्धिक,सामाजिक,सांस्कृतिक विरासत को खत्म करने की साजिश का काम कर रहे हैं और अलापिनी यह 104 साल पहले रवींद्रनाथ टैगोर की उपस्थिति में महिलाओं को विचार-विमर्श करने के लिए विशेष रूप से दि हुई जगह है और मेरा सौभाग्य है कि 1991 मे शामली खस्तगिर और वाणी सिन्हा इन दो बुजुर्ग महिला मित्रों के कारण मुझे अलापिनी की इस एतिहासिक जगह पर भागलपुर दंगे की बात रखने के लिए विशेष रूप से बुलाया गया था ! और मै मेरे उस समय के चर्चा और आई हुई महिलाओ द्वारा जो सवाल उठाए गए थे वह मुझे इस विषयपर भारत के अन्य जगहों पर भी ऐसा संवेदनशीलता का परिचय नहीं मिला जो की अलापिनी के मंचपर मिला है और शायद इसीलिए वर्तमान पदाधिकारियों की संघ परिवार को खुष करने की बात बढचढकर दिख रही है !

मै विश्वभारती विश्वविद्यालय के साथ प्रो अम्लान दत्त जब वीसी थे तबसे जुडा हूँ और उनसे प्रो शिव नारायण राय,आरती दी,नरेश गुहा,केजी सुब्रमण्यम,कृष्णा कृपलानी,मूर्तिकार रायचौधुरी प्रो अमात्य सेन की माताजी अमिया सेन और श्यामली खस्तगिर,बाणी सिन्हा,प्रो वीणा आलासे और सबसे बडी बात टैगोर सोसायटी के जनक और प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी पन्नलाल दासगुप्ता जैसे रवींद्रनाथ टैगोर की विरासत को आगे बढ़ाने वाले लोगों से मिलना और सबसे महत्वपूर्ण बात उनमेसे लगभग सभी लोगों का स्नेह प्राप्त करना का सौभाग्य मिला है और आज उनमेसे एक भी जीवित न रहने के कारण वर्तमान प्रसासन नरेंद्र मोदी को खुष करने की एकसे एक बेहूदा हरकतें कर रहा है जिसमें अमिया सेन और उनके परिवार को खुद रवींद्रनाथ टैगोर की तरफ से दि हुई जगह पर आज विवाद निर्माण करना और आज उनके नोबल पुरस्कार प्राप्त बेटा अमात्य सेन को उस विवाद में खीचने की वर्तमान प्रसासन नरेंद्र मोदी को खुष करने की इस चाटुकारिता के कदम की मै निंदा करता हूँ! अमात्य सेन,यू आर अनंतमूर्ती,गिरीश कर्नाड,विजय तेंदुलकर,नसरूद्दीन शाह यह गत कुछ वर्षों से भारत की साझी संस्कृति का गला घोंटकर उसे हिंदू संस्कृति के नाम पर एक बीभत्स रूप देने की बात के विरुद्ध अभियान रहे हैं ! और रवींद्रनाथ टैगोर,महात्मा गाँधी जी के सपनों का भारत की कल्पना को साकार करने के लिए विशेष रूप से अपने अपने तरीके से योगदान देने वाले लोगों को नरेंद्र मोदी के शासन काल में चुन-चुनकर लक्ष्य करके नालंदा विश्वविद्यालय से हटाने का निर्णय उसी टुच्ची हरकतोमेसे एक है ! इस तरह के निर्णय लिये जा रहे हैं और विश्वभारती विश्वविद्यालय के वर्तमान पदाधिकारियों की तरफ से अलापिनी की जगह को दखल करने से लेकर अमात्य सेन के शांति निकेतन के आवास पर विवाद निर्माण करना उसी टुच्ची हरकतोमेसे एक है ! मै खुद बंगाल में 1982 से 1997 तक यानी पंद्रह साल उम्र के तीस साल से लेकर पैंतालीस यानी मेरा जीवन का सबसे महत्वपूर्ण और जिसे अंग्रेजी में पीक पिरियड बोलते हैं वह गया है और मेरा सौभाग्य है कि गौर किशोर जैसे मशहूर लेखक पत्रकार के साथ अभिन्न मैत्री के कारण अम्लान दत्त,शिव नारायण राय,महश्वेता देवी,बादल सरकार,सुभाष मुखोपध्यय,सुनिल गांगुली,शक्ति चट्टोपाध्याय,चिदानंद दासगुप्ता,अपर्णा सेन,तपन सिन्हा,उस्ताद विलायत खाँ साहब और सबसे बड़ी बात अंदमान की जेल में पंद्रह साल से भी ज्यादा समय रहे बंगाल के प्रसिद्ध क्रांतिकारी पन्नलाल दासगुप्ता जैसे शख्सियतो के साथ मिलकर उन सभी महानुभावों का स्नेह प्राप्त करने का सौभाग्य मिला है और एक तरह से समस्त बंगाल की संस्कृति,समाज और बंगालीपन क्या होता है जिसका मुझे देखने समझने और जिने का आनंद मिला है और बंगाल को मै मेरे जीवन का बौद्धिक,सास्कृतिक और राजनीतिक-सामाजिक सरोकारों को विकसित करने के लिए विशेष रूप से उपयोगी भूमि रही है और इसीलिए मुझे बंगाल में घटित होने वाली घटनाओंकीप्रतिक्रिया महाराष्ट्र के बराबर ही होती है वैसे तो मै अन्याय घडो शेजारी कि दुनियेच्या बाजारी,धाऊन तिथेही जाऊ स्वातंत्र्य मंत्र हा गाऊ! (अन्याय हमारे पडोसमे हो या दुनिया के किसी भी कोने में मै वहाँ भी दौड़कर जाऊँ और स्वतंत्रता का मंत्र गाऊँगा) इस आशय की मराठी कविता मेरे जीवन का मूल मंत्र है !

तो उसके अनुसार मै यह घोषणा कर रहा हूँ कि मेरे पचास साल के सार्वजनिक जीवन की यात्रा का शायद यह आखिरी पडाव भी हो सकता है लेकिन मै अपने आँखो के सामने भारत का पतनशीलता का यह दौर कदापि सहन नहीं कर सकता और इसीलिए मुझे जो भी कुछ करना संभव है वह मै आज महात्मा गाँधी जी के 73 वे शाहदत दिवस के बहाने घोषणा करता हूँ कि मैं मेरे पचास साल के सार्वजनिक जीवन में बने संपूर्ण देश के साथियों को सही मायने मे भारत को बचाने के लिए विशेष रूप से गुजारिश है कि हम सभी लोगों को वर्तमान बंगाल में संघ परिवार के लोगों द्वारा जो फासीवाद का नंगा नाच चल रहा है और बेतहाशा पैसे खर्च कर के बंगाल का गुजरात बनाने की कोशिश कर रहे हैं उसे हर हालत में बचाने हेतु संघटित प्रयत्न करने के लिए विशेष रूप से मै अपिल कर रहा हूँ और मै खुद मार्च के अंतिम सप्ताह से बंगाल चुनाव तक बंगाल में समय देने के लिए तैयार होकर 23 मार्च शहीद भगत सिंह के शहादत दिवस और डॉ राम मनोहर लोहिया के जयंती के अवसर पर पहले तेनुआ घाट और बंगाल की यात्रा शुरू कर रहा हूँ !

महाराष्ट्र,कर्नाटक,केरल,कश्मीर,समस्त उत्तरपूर्व तथा गुजरात,राजस्थान,तमिलनाडु,पंजाब,हरियाणा से लेकर भारत के कोने कोने से भी लोग आ सकते हैं और मै खुद डोल उत्सव के समय से तंबू गाडने का एलान आज करते हुए यह पोस्ट कर रहा हूँ !


डॉ सुरेश खैरनार,31,जनवरी 2021,नागपुर

Adv from Sponsors