नई दिल्ली (ब्यूरो, चौथी दुनिया)। उत्तर प्रदेश के चुनावों में 5 चरण संपन्न हो चुके हैं। राजनीतिक दलों के खुफिया सूत्र जमीनों में दबी जानकारियों के आधार पर दावा कर रहे हैं कि इस चुनाव में उनकी सरकार ही बनेगी लेकिन वास्तिविकता ये है कि 5 चरणों के बाद हर सियासी दल बेचैन महसूस कर रहा है। पहला कारण है कि इस चुनाव में जबरदस्त त्रिशंकु मुकाबला देखने को मिल रहा है। दूसरा कारण ये है कि अनुमान के मुताबिक मतदाता अभी भी ईवीएम मशीन तक नहीं पहुंच रहा है। अनुमानित वोटिंग न होने से सबका खेल बिगड़ सकता है।
यूपी चुनाव: आखिरी दो चरणों के लिए ये है बीजेपी की रणनीति
आपकों 5वें चरण की गणित समझाते हैं। 5वें चरण में 11 जिलों की 51 सीटों पर मतदान 57.36 प्रतिशत हुआ। पिछले चार चरणों के मुकाबले ये प्रतिशत सबसे कम है। वोटिंग प्रतिशत 60 से नीचे होने पर अनुमान का खेल शुरू हो चुका है। हर पार्टी का कहना है कि उनके मतदाता ईवीएम मशीन तक पहुंच गए। बीजेपी का दावा है कि वोटिंग प्रतिशत उन इलाकों में कम रही, जहां मुस्लिम जनसंख्या ज्यादा है। इसके लिए वो संत कबीर नगर (52.30%), सिद्धार्थ नगर (51.82 %) और बलरामपुर (54.5 %) का उदाहरण दे रहे हैं।
तो वहीं एसपी-कांग्रेस गठबंधंन बीजेपी के इस दावे को गलत साबित करते हुए बहराइच का उदाहरण दे रहा है। जहां सबसे ज्यादा मतदान 59.60 फीसदी रहा। एसपी-कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी और बीएसपी के समर्थकों ने वोट नहीं दिया इसिलिए वो परेशान हैं। इन सबके बीच बीएसपी अलग थ्योरी दे रही है। बीएसपी का कहना है कि इस बार के चुनाव में शहरी मतदाताओं ने ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई। उनके मुताबिक शहरी मतदाताओं के मुकाबले ग्रामीण तबकें ने ज्यादा मतदान किया है।
कांग्रेस सपा गठबंधंन और बीएसपी का मानना है कि कम मतदान का होना साबित करता है कि बीजेपी का वोट प्रतिशत गिरा है इसिलिए वो परेशान है। तो बीजेपी भी कुछ ऐसा ही तर्क दे रही है। कुल मिलाकर हर पार्टी अंदर से बेचैन है लेकिन बाहरी तौर पर खुद को खुश दिखा रही है।
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