आठ अगस्त को जंतर-मंतर पर ‘भारत जोड़ो आंदोलन’ के प्रदर्शन के दौरान कथित रूप से धर्म विशेष के खिलाफ नारेबाजी करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में ले लिया है।
नौ अगस्त की देर रात को ही दिल्ली पुलिस ने उन्हें कनॉट प्लेस थाने में बुलाया था, जिसके बाद से उनसे पूछताछ चल रही है। अगर इस मामले में उनकी भूमिका संदिग्ध पाई जाती है और पुलिस उन्हें इस मामले में आरोपी बनाती है तो उन्हें आज पटियाला कोर्ट में पेश किया जा सकता है।
अश्विनी उपाध्याय के पारिवारिक सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, सोमवार देर शाम दिल्ली पुलिस की तरफ से अश्विनी उपाध्याय को मामले में पूछताछ के लिए कनॉट प्लेस थाने में आने के लिए कहा था। इसके बाद वे थाने पहुंचे। तब से उनसे पूछताछ चल रही है। इस दौरान उन्हें उनके परिवार के लोगों के आलावा अन्य किसी से संपर्क नहीं करने दिया जा रहा है।
प्रदर्शन का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ
सोमवार को सोशल मीडिया पर इस विरोध प्रदर्शन का वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने एक्शन लिया। इस वीडियो में देखा जा सकता है कि दिल्ली के जंतर-मंतर पर जमा भीड़ ‘राम-राम’ और ‘हिन्दुस्तान में रहना होगा, जय श्री राम कहना होगा’ के नारे लगा रही है।
बिना पुलिस की अनुमति के हुई थी रैली
पुलिस ने बताया कि कोरोना के चलते उन्होंने इस रैली की अनुमति नहीं दी थी, फिर भी भीड़ वहां जमा हुई। इस दौरान कोई पुलिसवाला वहां मौजूद नहीं था। भड़काऊ भाषणों के लिए के लिए चर्चित पंडित नरसिंहानंद सरस्वती और टीवी अभिनेता और भाजपा नेता गजेंद्र चौहान भी इस प्रदर्शन का हिस्सा थे।
अश्विनी उपाध्याय ने आरोपों से इनकार किया
एक बयान में अश्विनी उपाध्याय ने कहा, ‘रैली सेव इंडिया फाउंडेशन ने की थी। इस संस्था से मेरा कोई संबंध नहीं है। मैं वहां पर आरवीएस मणि, फिरोज बख्त अहमद और गजेंद्र चौहान की तरह मेहमान के तौर पर गया था। हम वहां 11 बजे पहुंचे और 12 बजे निकल आए। नारे लगाने वालों से मैं नहीं मिला। मैं सुबह आपसे मिलकर अपना लिखित बयान देने को तैयार हूं।’
इससे पहले उन्होंने मीडिया से कहा था कि वे इन वीडियो के बारे में नहीं जानते हैं। यह सब जब हुआ तो न तो मैं वहां था, न मुझे इसकी जानकारी थी और न मैंने इन लोगों को बुलाया था। यह सब मेरे जाने के बाद हुआ होगा। वीडियो में नजर आने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। सिर्फ 5-6 लोगों ने ये नारे लगाए थे, वो भी जब तब रेली खत्म हो गई थी। हालांकि, ऐसे नारे नहीं लगने चाहिए थे।