उज्जैन हवाई पट्टी मामले में चालान पेश होते ही हो सकती है कार्यवाही,कार्यवाही की जकड़ में आए आईएएस अधिकारियों में दो फाड़ से बने हालात। कोई वल्लभ भवन में बड़ा साहब तो कोई किसी डायरेक्ट्रट का आला अफसर और कोई किसी जिले के सबसे बड़े साहब के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहा है। आमजन के लिए भगवान का रूप धारण कर बैठे इन अफसरों पर मुश्किल समय आता नजर आ रहा है। उज्जैन हवाई पट्टी मामले में लोकायुक्त के निर्देश पर हुई एफआईआर के बाद इनपर निलंबन की गाज गिरने के हालात बनने लगे हैं। एफआईआर के बाद होने वाली चालान की कार्यवाही के साथ ही प्रदेश के करीब आधा दर्जन से ज्यादा बड़े साहबों की मुश्किल बढ़ सकती है।
उज्जैन हवाई पट्टी निर्माण में हुई धांधली को लेकर शिकायत पर करीब 20 लोगों को अभियुक्त बनाया गया है। जिनमें 10 भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी और बाकी अधिकारी हैं। इनमें कुछ सेवानिवृत्त अधिकारी हैं तो कुछ उच्च पदों पर आसीन बड़े अधिकारी शामिल हैं।
इन अफसरों में प्रमुख रूप से शिवशेखर शुक्ला, कवीन्द्र कियावत, अजात शत्रु जैसे दिग्गज अधिकारी शामिल हैं, जा कभी न कभी उज्जैन में कलेक्ट्री कर चुके हैं। इन अधिकारियों में शामिल एक वरिष्ठ आईएएस वर्तमान में केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के ओएसडी के रूप में पदस्थ हैं। बताया जाता है कि मंत्रालय में बैठे एक आईएएस अधिकारी, जो जल्दी ही प्रमुख सचिव से अपर मुख्य सचिव के पद पर पदोन्नत होने वाले हैं, पर भी मामले की आंच आई है।
इसलिए बिगड़े हालात
सूत्रों का कहना है कि उज्जैन में पदस्थ मौजूदा कलेक्टर ने अपने तौर पर कार्यवाही करते हुए जहाज उड़ाने का प्रशिक्षण देने वाली कंपनी यश एयरवेज के दो प्रशिक्षण विमानों, जो पड़ोस के एक किसान की निजी भूमि पर रखे गए थे, बिना कुर्की कार्यवाही किए जब्ती बता दी। कलेक्टर की इस एक पक्षीय कार्यवाही से आरोपों से घिरे आईएएस अधिकारी दो धड़ों में बंट गए हैं। जहां सेवानिवृत्त आईएएस इस बात से निश्चिंत हैं कि चालानी कार्यवाही होने से उन्हें कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला है, वे न्यायालय की कार्यवाही का सामना कर लेंगे। इसके चलते वे इस मामले में चालानी कार्यवाही की पैरवी करते नजर आ रहे हैं। इस एफआईआर का शिकार हुए अधिकारियों में सेवानिवृत्ति पा चुके अफसर अजात शत्रु, शिव रमण और डीजीपी अरुण गुर्टू शामिल हैं। जबकि मौजूदा समय में पदों पर बने हुए अधिकारियों में शिवशेखर शुक्ला, कवीन्द्र कियावत आदि प्रमुख हैं।
कार्यवाही से बचे तो बदनामी तय
जानकारों का कहना है कि नियमानुसार आपराधिक प्रकरण दर्ज होने के बाद न्यायालय में चालान पेश हो जाने पर अधिकारी को निलंबन किया जाना अनिवार्य है। निलंबन न होने के हालात में भी उनके रिकार्ड में इसका उल्लेख करने का नियम है, जिससे उक्त अधिकारी की छवि धूमिल होने की संभावना बनी रहती है।
लापरवाही किसी की, सजा किसी को
जानकारी के मुताबिक पायलेटों को हवाई जहाज उड़ाने का प्रशिक्षण देने वाली एक कंपनी यश एयरवेज के साथ मप्र सरकार विमानन विभाग का द्वारा उज्जैन जिले के दताना हवाईपट्टी को किराए पर देने का करार हुआ था। वर्ष 2006 में हुए इस करार के मुताबिक यश एयर को डेढ़ लाख रुपए सालाना अदा करना था। 10 साल के लिए हुए इस करार के तहत यश एयर को सालाना 5 फीसदी की बढ़ोत्तरी करने की बाध्यता भी लगाई गई थी। करार के तहत इस बात का उल्लेख भी किया गया था कि प्रशिक्षण कंपनी को हवाई पट्टी का संधारण भी अपने खर्च से करना था।
इसी बीच मप्र शासन द्वारा प्रदेश की विभिन्न हवाई पट्टियों के उन्नयन का निर्णय लिया गया। जिसके तहत प्रदेश के सभी जिलों से कलेक्टरों के मार्फत हवाई पट्टी उन्नयन के इस्टीमेट बुलाए गए। जिसमें उज्जैन हवाई पट्टी को भी शामिल किया गया। गौरतलब है कि पायलट प्रशिक्षण में लाए जाने वाले विमान करीब एक हजार किलो से कम वजन के होते हैं, कंपनी उसी लिहाज से हवाई पट्टी का निर्माण कराया था, लेकिन इसी पट्टी पर मप्र शासन के 6 हजार किलो के जहाज भी उतरने की वजह से हवाई पट्टी के उन्नयन की जरूरत महसूस हुई थी। यह उन्नयन काम कलेक्टरों के माध्यम से करवाया गया था, लेकिन कई वर्षों बाद हवाई पट्टी के उन्नयन में हुए कथित घोटाले का जिन्न बोतल से बाहर आ गया है। जिसकी गाज 2006 से 2019 के बीच उज्जैन में पदस्थ रहे कलेक्टरों पर गिरी है।
इनपर नहीं सरकारी नजर
सूत्रों का कहना है कि इंदौर और भोपाल में भी एक निजी संस्था द्वारा मप्र फ्लाइंग क्लब के नाम से हवाई जहाज प्रशिक्षण कार्य वर्षों से किया जा रहा है। वर्ष 1970 से लगातार संचालित इस संस्था के वर्तमान संचालकों में पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के पुत्र मिलिंद और मंदार महाजन भी शामिल हैं। सूत्रों का कहना है कि इस संस्था ने शुरूआत से लेकर आज तक शासन को किराये के रूप में कोई रकम अदा नहीं की है। इस किराये की वसूली के लिए शासन की तरफ से बनाए जा रहे दबाव को एयरपोर्ट अथॉरिटी ने विमानन विभाग के सिर थोपकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली है।
खान अशु
भोपाल