ऐसा लगता है कि आम आदमी पार्टी और विवादों का जन्म-जन्मान्तर का रिश्ता है. अभी दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस पार्टी को अप्रत्याशित जीत दिलाने वाले मतदाताओं की उंगलियों से मतदान के वक्त लगाई जाने वाली सियाही मधिम भी नहीं पड़ी थी कि पार्टी एक बार फिर अन्तःकलह और कई गंभीर आरोपों के घेरे में आ गई. भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन से उपजी और दूसरी अन्य पार्टीयों से अलग राजनीति करने का दावा करने वाली पार्टी अब खुद भी वैसे ही आरोपों के घेरे में नज़र आ रही है, जो आरोप यह दूसरी पार्टियों पर लगाती थी. हालांकि मौजूदा विवाद के संकेत लोकसभा चुनाव में पार्टी को मिली करारी हार के बाद ही दिखाई देने लगे थे, लेकिन हाल ही में योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को पार्टी की संसदीय मामलों कि समिति (पीएसी) से छुट्टी के बाद अब यह मामला पार्टी से बहार आ गया है. पार्टी अभी योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण की पीएसी से हटाए जाने से उत्पन्न हालात से निपट ही रही थी कि इस विवाद की अगली कड़ी के रूप में आम आदमी पार्टी के पूर्व विधायक राजेश गर्ग का स्टिंग सामने आ गया. उसके बाद तो जैसे स्टिंग का सिलसिला चल निकला और पार्टी के खिलाफ दो और स्टिंग की बात की गई.
बहरहाल, आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारणी की 4 मार्च की मीटिंग के बाद योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण को पीएसी से हटा दिया गया. इन दोनों पार्टी के संस्थापक सदस्यों पर यह इलज़ाम लगाया गया कि उन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनाव में पार्टी को हराने की कोशिश की. चंदा देने वालों को चंदा देने से रोका. बाहर से आने वाले वॉलनटीयर्स को दिल्ली आने से मना किया, अरविंद केजरीवाल की छवि को ख़राब करने के लिए योगेन्द्र यादव ने अखबारों में नेगेटिव ख़बरें छपवाईं. उदाहरण के लिए अगस्त 2014 में दी हिन्दू अख़बार में छपी खबर, जिसमें अरविंद और पार्टी की एक नकारातमक तस्वीर पेश किया गया. अवाम नामी संस्था के प्रशांत भूषण और शांति भूषण द्वारा खुलकर खुल कर समर्थन देने की बात की गई. यह वही संस्था थी, जिसने आम आदमी पार्टी पर गलत तरीके से चंदा इकट्ठा करने का आरोप लगाया था. शांति भूषण के उस बयान को, जिसमें उन्होंने भाजपा के मुख्यमंत्री के उम्मीदवार किरण बेदी को केजरीवाल से बेहतर उम्मीदवार बताया था, एक कारण बताया गया. बहरहाल, प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव के पीएसी से हटाए जाने पर मयंक गांधी ने एक ब्लॉग लिख कर राष्ट्रीय कार्यकारणी के फैसले पर अपनी आपत्ति जताई. बाद में प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव ने कहा कि सच्चाई लोगों के सामने आ जाएगी. उसके बाद पार्टी नेता मनीष सिसोदिया, गोपाल राय, पंकज गुप्ता और संजय सिंह ने अधिकारिक तौर पर इन दोनों लोगों पर आठ आरोपों की एक सूचि जारी की, जिसे फेसबुक, ट्विटर पर प्रकाशित किया गया. जवाब में योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण ने आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं के नाम एक खुली चिट्ठी में इन आरोपों पर अपनी सफाई पेश की.
बहरहाल, जहां तक राजेश गर्ग के ऑडियो टेप का मामला है, तो इसके तार ऊपर के घटना से मिले हुए मालूम होते हैं, क्योंकि अगर राजेश गर्ग पार्टी को इस ऑडियो स्टिंग के ज़रिये नुकसान पहुंचाना चाहते तो वह उससे चुनावों के दौरान आम करके पार्टी को अधिक नुकसान पहुंचा सकते थे. इसलिए पार्टी द्वारा उन पर यह आरोप लगाना कि टिकट नहीं मिलने से आहत होकर उन्होंने इस स्टिंग को आम किया है, कुछ तर्कसंगत नहीं लगता है. राजेश गर्ग ने अपना पक्ष रखते हुए एक टीवी न्यूज़ शो में यह साफ किया कि वह ऑडियो लेकर मीडिया के पास नहीं गए थे, बल्कि उन्होंने इस टेप को कुमार विश्वास को ईमेल किया था, ताकि वह इससे पीएसी या पार्टी लोकपाल की कार्रवाई के लिए आगे बढ़ाएं. अगर गर्ग की बातों को सच मान लिया जाए तो यह टेप पार्टी के किसी ज़िम्मेदार ने ही लीक किया है. और दूसरी तरफ योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण जो यह कह रहे थे कि सच्चाई सबके सामने आ जाएगी, तो कहीं वे इसी सच्चाई की बात तो नहीं कर रहे थे? क्योंकि इस स्टिंग के बाद दो और स्टिंग की बात चली, जिसमें से एक का सम्बन्ध खुद को आम आदमी पार्टी की अल्पसंख्यक इकाई का सेक्रेटरी कहने वाले शहीद आज़ाद से है. आज़ाद ने यह दावा किया है कि उनके पास एक ऑडियो है, जिसमें केजरीवाल कथित रूप से चुनाव में मुसलमानों को टिकट नहीं दिए जाने की बात करते सुनाई दे रहे हैं. उधर, कांग्रेस नेता और ओखला के पूर्व विधायक आसिफ मोहम्मद खान यह दावा कर रहे हैं कि उनके पास भी आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह का स्टिंग है, जिसमें संजय ने दिल्ली में सरकार बनाने के लिए समर्थन के बदले उन्हें मंत्री पद का लालच दिया था. दरअसल, कुछ और तथ्य भी हैं, जो इन स्टिंग को संदेह के घेरे में डालते हैं. उनमें से एक है प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव का कार्यकर्ताओं के नाम लिखा ख़त, जिसमें केजरीवाल द्वारा कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली में दोबारा सरकार बनाने की कोशिश करने की बात की गई है.
दरअसल, इन सभी स्टिंग के केंद्र में दिल्ली चुनाव हैं. अब ज़रा ऑडियो टेप में कही गई बातों पर एक नज़र डालते हैं. राजेश गर्ग के टेप में केजरीवाल यह कहते सुनाई दे रहे हैं कि कांग्रेस पार्टी अगर समर्थन नहीं दे रही है तो वो 6 विधायक अपनी पार्टी तोड़ कर हमें बाहर से समर्थन दे दें. जैसा कि आम आदमी पार्टी के नेता आशीष खेतान ने कहा है कि उस समय उनकी पार्टी पॉलिटिकल रीअलाईन्मेंट (राजनीतक पुनर्गठन) का प्रयास कर रही थी. अब सवाल यह उठता है कि जो पार्टी दूसरी पार्टियों की इन्हीं गतिविधियों को बुनियाद बना कर वजूद में आई हो, वही ऐसा करने लगे तो इसको समर्थन देने वाले लोग खुद को ठगा हुआ नहीं महसूस करेंगे? हालांकि इस स्टिंग में पैसे की लेन-देन या खरीद-फरोख्त की बात नहीं की गई है, लेकिन कांग्रेस नेता आसिफ ने खरीद-फरोख्त का भी आरोप लगा दिया है. इन स्टिंग का एक दूसरा तथ्य यह भी है कि जब दिल्ली विधानसभा चुनाव में इमाम बुखारी ने आम आदमी पार्टी को समर्थन देने की घोषणा की तो केजरीवाल द्वारा यह कह कर मना कर दिया गया कि वे इस तरह की सियासत नहीं करते, जिसमें धर्म गुरुओं से समर्थन मांगा जाए, लेकिन खुद केजरीवाल एक ऑडियो में यह कहते हुए सुने गए कि मुसलमान विधायक भाजपा में नहीं जाएंगे और उन्हें ही समर्थन दे देंगे. इससे उनका दोहरा मापदंड उजागर होता है कि एक तरफ तो वह मौलाना बुखारी का समर्थन यह कह कर लेने से मना कर देते हैं कि उनकी पार्टी धर्म के नाम पर राजनीति नहीं करती. वहीं दूसरी तरफ वे मुसलमान विधायकों का समर्थन लेने के लिए तैयार हैं, क्योंकि वे मुसलमान होने की वजह से भाजपा को समर्थन नहीं दे सकते.
दरअसल, अभी तक आम आदमी पार्टी में शुरू हुआ यह घमासान समाप्त नहीं हुआ है. जहां एक तरफ केजरीवाल समर्थक खेमा योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण को पार्टी से निकाले जाने की जी-तोड़ कोशिश कर रहा है. वहीं, अब योगेन्द्र यादव का खेमा भी आस्तीने चढ़ा कर दो-दो हाथ करने की मुद्रा में आ गया है. अभी यह देखना बाकी है कि इस लड़ाई में बाजी इन दोनों पक्षों में से एक के हिस्से में आती है या कोई तीसरा पक्ष इन दोनों की लड़ाई का फायदा उठा लेता है, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम की जो सबसे बड़ी विडम्बना है, वह यह है कि कल तक अरविन्द केजरीवाल जनता से भ्रष्टाचार मिटाने के लिए स्टिंग करने और स्टिंग से बचने का प्रवचन दिया करते थे और आज वह खुद अपने ही एक सहयोगी द्वारा किए गए स्टिंग का शिकार हो गए. यानी उलझा है पांव यार के जुल्फ-ए-दराज़ में/लो आप अपने दाम (कैद) में सय्याद (शिकारी) आ गया.
स्टिंग वार : आम आदमी पार्टी में घमासान
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