कांग्रेसी शासन में आधार से जुड़ी असुरक्षा को लेकर जो आशंकाएं नरेंद्र मोदी ने जाहिर की थी, दुर्भाग्यवश वो आज सच साबित होती दिख रही हैं. आए दिन आधार डेटा लीक होने की खबरें आ रही हैं. जियो द्वारा जुटाए गए अपने ग्राहकों के आधार डेटा के चोरी होने की खबरें अभी तैर ही रही थीं कि विकीलीक्स के इस खुलासे ने लोगों को चिंता में डाल दिया कि भारतीयों के आधार का डेटा अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के हाथ लग चुका है. देश के अलग-अलग राज्यों से भी आधार डेटा चोरी होने की खबरें आ रही हैं. ताजा मामला तेलंगाना का है, जहां 300 लोगों का आधार डेटा चोरी कर 40 लाख रुपए निकाल लिए गए. हैदराबाद के दशरथ चवन ने पुलिस में शिकायत की थी कि उनके मोबाइल पर वृद्धावस्था पेंशन की निकासी का मैसेज आया था, जबकि उन्होंने पैसा निकाला ही नहीं. इस मामले की जांच में एक ऐसे रैकेट का खुलासा हुआ, जो 2015 से ही लोगों का आधार डेटा चोरी कर अवैध तरीके से पैसे की निकासी कर रहा था. इस मामले में पुलिस ने ई-सेवा पर काम करने वाले 3 ऑपरेटरों को गिरफ्तार किया है.
सरकार के स्तर पर आधार डेटा लीक होने की यह पहली घटना नहीं है. इसी साल अप्रैल महीने में झारखंड के 10 लाख से अधिक लोगों का आधार डेटा लीक होने की खबर आई थी. ओल्ड एज पेंशन स्कीम का लाभ लेने वाले 10 लाख से अधिक सीनियर सिटीजन का डेटा चोरी हो गया था. दरअसल, झारखंड में 16 लाख के करीब लोग सीनियर सिटीजन पेंशन का लाभ लेते हैं. इन सभी की जानकारियां झारखंड सरकार के डायरेक्ट्रेट ऑफ सोशल सिक्योरिटी वेबसाइट पर उपलब्ध हैं. प्रोग्रामिंग एरर की वजह से इस वेबसाइट से तकरीबन 10 लाख से अधिक लोगों के आधार कार्ड की जानकारियां सार्वजनिक हो गई थीं. पेंशन स्कीम का लाभ लेने वाले लोगों के नाम, पता, आधार नंबर और बैंक अकाउंट नंबर जैसी कई पर्सनल जानकारियां यहां से लीक हो गईं. इस घटना के सामने आने के बाद सरकार की तरफ से कहा गया था कि हमारे प्रोग्रामर इस पर काम कर रहे हैं और इस मामले का जल्द ही हल निकाल लिया जाएगा. लेकिन इसपर क्या कार्रवाई हुई ये अब तक नहीं पता. इस घटना से चंद दिनों पहले ही मशहूर क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी का आधार डेटी लीक होने की भी खबर आई थी. उस समय इस मामले ने खूब तूल पकड़ा था. एक आधार सर्विस प्रोवाइडर ने क्रिकेटर एमएस धोनी का आधार नंबर लीक कर दिया था.
तब खुद केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इसे लेकर एक ट्वीट किया था जिसके जवाब में धोनी की पत्नी साक्षी धोनी ने रविशंकर प्रसाद से पूछा था कि आधार जैसे संवेदनशील डेटा को सार्वजनिक करना कितना जायज है? इसके बाद यूनिक आइडेंटीफिकेशन ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई) ने उस सर्विस प्रोवाइडर को 10 सालों के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया था.
चंडीगढ़ ज़िला प्रशासन की वेबसाइट से भी आधार कार्ड का डेटा लीक होने की खबर आई थी. चंडीगढ़ में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लाभार्थियों की संख्या 4.9 लाख है, जिनका डेटा खाद्य आपूर्ति विभाग की वेबसाइट पर सार्वजनिक हो गया था. यही नहीं स्वच्छ भारत अभियान की वेबसाइट पर भी इसके लाभार्थियों के आधार का ब्यौरा लीक हो गया था. गोपनीयता के उल्लंघन की ऐसी घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं. जियो के 10 करोड़ ग्राहकों के आधार डेटा लीक होने के मामले में अब तक कोई स्पष्टीकरण सामने नहीं आया है. डेटा लीक की खबर सामने आने के बाद रिलायंस जियो की तरफ से कहा गया था कि कंपनी इस बात की जांच कर रही है कि क्या उसके ग्राहकों की निजी जानकारी मैजिकपैक डॉटकॉम वेबसाइट पर लीक हुई है या नहीं. इधर हाल ही में सुब्रमण्म स्वामी ने भी आधार को लेकर सवाल उठाया है. एक ट्वीट में उन्होंने कहा कि मैं प्रधानमंत्री को जल्द एक पत्र लिखने वाला हूं, जिसमें आधार देश की सुरक्षा के लिए कैसे खतरा है ये बताउंगा. मुझे विश्र्वास है कि सुप्रीम कोर्ट इसे गैर-जरूरी करने के लिए कदम उठाएगा.
गौर करने वाली बात यह है कि आधार डेटा लीक होने से सम्बन्धित एक मामले की कोर्ट में हो रही सुनवाई में सरकार ने भी स्वीकार किया था कि आधार डेटा लीक हो रहे हैं. 3 मई 2017 को सुप्रीम कोर्ट में सरकार की तरफ से कहा गया था कि आधार डेटा यूआईडीएआई से नहीं, दूसरे सरकारी विभागों से लीक हुआ है और इसे एक साथ पारदर्शी और सुरक्षित रखने में दिक्कत आ रही है. अब सोचने वाली बात यह है कि जब सरकार ही कह रही है कि आधार डेटा को पारदर्शी और सुरक्षित रखने में दिक्कत आ रही है, तो फिर सरकार लोगों पर जबरदस्ती आधार क्यों थोप रही है. आधार एक्ट के सेक्शन 29(04) के तहत आधार नंबर लीक करना अपराध है. सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार से पूछा था कि आधार को अनिवार्य क्यों बनाया जा रहा है जबकि कोर्ट ने इसे वैकल्पिक रखने को कहा था.
मेघालय में शुरू हुआ आधार नम्बर छोड़ने का अभियान
आधार को लेकर उठ रहे सवालों के बीच इससे जुड़ा एक नया मामला सामने आया है. करीब 300 लोग आधार नंबर छोड़ने के लिए एक अभियान में शामिल हुए हैं. इस अभियान का नेतृत्व कर रहे मेघालय पीपुल कमेटी (एमपीसीए) का कहना है कि 12 अंकों की यह पहचान संख्या गैर मूल निवासियों को मतदान का अधिकार दिला सकती है. उनका यह भी कहना है कि आधार हमारी निजता का उल्लंघन है. एमपीसीए खासी छात्र संघ (केएसयू) का एक शीर्ष संगठन है, जिसके करीब 5000 सदस्य हैं. इन सभी ने स्वेच्छा से आधार के लिए पंजीकरण नहीं कराया है और ये लोग अन्य लोगों को भी इसके लिए राजी कर रहे हैं. उन्होंने यूआईडीएआई से उनके नाम आधार से हटाने का अनुरोध किया है. मेघालय में जून में आधार का पंजीकरण शुरू हुआ था. तब से ही राज्य में आधार पंजीकरण प्रक्रिया को सख्त प्रतिरोध का सामना करना पड़ा है. एमपीसीए सचिव अगस्त जायरवा का कहना है कि आधार के खिलाफ हमारा अभियान जारी है. उन्होंने कहा कि 2 नवम्बर तक हमारे पास 286 लोगों के पत्र पहुंच चुके हैं, जिसमें उन्होंने आधार नम्बर छोड़ने के अभियान का समर्थन किया है.प