नई दिल्ली में सोमवार को यूरोपियन संसद के सदस्यों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल से मुलाकात की. इस मुलाकात में जम्मू-कश्मीर के मसले पर खुलकर बात हुई और मौजूदा हालात के बारे में बात की गई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और NSA अजित डोभाल से ये चर्चा कर EU का प्रतिनिधिमंडल संतुष्ट दिखा.

 

यूरोपियन संसद का प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को जम्मू-कश्मीर का भी दौरा करेगा. 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद किसी विदेशी प्रतिनिधिमंडल का ये पहला कश्मीर दौरा होगा.

अनुच्छेद 370 हटने के बाद दुनियाभर में जम्मू-कश्मीर का मसला छाया हुआ था, पाकिस्तान की ओर से इस मसले को उठाया जा रहा था. ऐसे में इस चर्चा के बीच यूरोपियन प्रतिनिधिमंडल का ये दौरा काफी अहम है. जम्मू-कश्मीर जाने वाले यूरोपियन संसद के प्रतिनिधिमंडल में कुल 28 सदस्य होंगे. अभी तक भारत की ओर से किसी भी विदेशी प्रतिनिधिमंडल को जम्मू-कश्मीर जाने की इजाजत नहीं दी गई थी.

PMO की ओर से आया ये बयान

मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय से बयान भी जारी किया गया. पीएमओ की ओर से कहा गया कि यूरोपीय सांसदों का भारत के कल्चर को जानना काफी खुशी का विषय है. PM मोदी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि जम्मू-कश्मीर समेत भारत के कई हिस्सों में दल का दौरा काफी सफल होगा, इस दौरान उन्हें भारत के कल्चर, यहां चल रहे विकास कार्यों के बारे में जानने का मौका मिलेगा.

इन सदस्यों को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल को न्योता दिया गया था. इस पूरी विजिट को एक यूरोपियन NGO द्वारा आयोजित किया जा रहा है. इसमें अधिकतर इटालियन मेंबर हैं.

अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद भारत ने दुनिया के बड़े देशों को अपना पक्ष रखा था, जिसमें सभी नियमों, पाकिस्तान के द्वारा उठाए जा रहे मुद्दों को समझाया गया था. इस दौरान कई देशों को इस बारे में प्रेजेंटेशन दी गई, जिसमें पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद को भी उजागर किया गया.

हालांकि, यूरोपियन संसद के सदस्यों का जम्मू-कश्मीर आना इस स्टेज का अगला हिस्सा है जो खुद कश्मीर जाकर वहां के हालात को देखना चाहते हैं. पाकिस्तान की ओर से संयुक्त राष्ट्र, यूरोपियन संसद में इस मसले को उठाया गया था, जहां भारत ने दो टूक जवाब दिया था.

गौरतलब है कि यूरोपियन यूनियन (EU) में कुल 28 देश हैं, इन्हीं देशों के सदस्यों को मिलाकर एक संसद बनाई गई है जो कि यूरोपियन संसद है. इसी संसद का एक प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को जम्मू-कश्मीर का दौरा करेगा.

अनुच्छेद 370 हटाने पर लगी थी कुछ पाबंदियां

आपको बता दें कि भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर से 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 को पंगु कर दिया था. इसके बाद से जम्मू-कश्मीर को मिलने वाले सभी विशेषाधिकार वापस ले लिए गए थे. अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से ही जम्मू-कश्मीर में कई तरह की पाबंदियां लगाई गई थीं, जैसे कि हजारों की संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती, स्थानीय नेताओं को नज़रबंद रखना, फोन-इंटरनेट की सुविधा को बंद कर देना.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खड़े हुए थे कई सवाल

इन्हीं कारणों को लेकर अंतरराष्ट्रीय मीडिया और स्तर पर कई बार जम्मू-कश्मीर को लेकर सवाल खड़े किए गए. पाकिस्तान की ओर से भी भारत पर मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगाए गए.

हालांकि, भारत की ओर से हर अंतरराष्ट्रीय मंच, विदेशी राष्ट्रप्रमुखों को जम्मू-कश्मीर के बारे में ब्रीफ किया गया. भारत ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने को आंतरिक मसला बताया और साथ ही पाबंदियों को सिर्फ एहतियात के तौर पर बताया गया.

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