इस संकट के समय जब भारत की अर्थ व्यवस्था खस्ता हाल है। घनघोर गरीबी और बेरोजगारी के कारण सारे देश में हा हा कार मचा हुआ है । इसके बावजूद सिर्फ एक साल में मुकेश अंबानी की कुल संपत्ति 2.6 से बढ़कर 6.2 लाख करोड़ रूपए से अधिक हो गई ।गौतम अडानी की भी संपत्ति सिर्फ 58 हजार करोड़ से बढ़कर 3.7 लाख करोड़ रूपए हो गई ।इसके साथ ही भारत में डॉलर अरब पतियों की संख्या भी दो गुनी हो गई ।
यह आंकड़े और स्थितियां चौकाने वाली हैं ।एक बड़ा सवाल है कि यह सब कैसे हुआ ? क्यों हुआ ? इस बड़ा सवाल का उत्तर खोजें तो इसके उत्तर से केंद्र सरकार का असली पूंजीवादी चेहरा बेनकाब होगा ।सबका साथ , सबका विकास के नाम पर सिर्फ कुछ लोगों का अथाह विकास हुआ है और बाकी जनता के साथ अत्याचार हुआ है ।यह बहुत बड़ी त्रासदी है।
इस बड़े सवाल से जनता का ध्यान हटाने के लिए इस संकट के समय में भी सत्ता के संरक्षण में नफ़रत की राजनीति का धंधा जारी है ।इतिहास और संस्कृति को लेकर भ्रामक दुष्प्रचार किया जा रहा है ।जनता को इस समय निःशुल्क चिकित्सा और आर्थिक सुरक्षा चाहिए ।इसके बावजूद इस समय भी नफ़रत की राजनीति क्यों ? यह भी एक बड़ा सवाल है।