देश आजाद होने के बाद खीरी लोकसभा सीट पर अधिकांश समय तक कांग्रेस का कब्जा रहा है, लेकिन सूबे का सबसे बड़ा जनपद खीरी आज भी विकास के दृष्टिकोण से प्रदेश में सबसे नीचे पायदान पर खड़ा है. आजादी के बाद 1952 में हुए लोकसभा चुनाव में कांगे्रसी नेता रामेश्वर प्रसाद नेवटिया अपने प्रतिद्वंद्वी प्रजातांत्रिक सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी कैप्टन शिव सहाय शर्मा को हराकर खीरी के प्रथम सांसद बनने का गौरव प्राप्त हुआ. अब तक 16 लोकसभाओं के गठन में खीरी लोकसभा सीट कांग्रेस के झोली में गई, जबकि एक-एक प्रजातांत्रिक सोशलिस्ट पार्टी और जनता पार्टी तथा दो बार भाजपा और तीन बार सपा का कब्जा रहा, लेकिन बात करें विकास की, तो 7680 वर्ग किलोमीटर में दूसरे जनपद का मुख्यालय आज भी बड़ी रेलवे लाइन से नहीं जुड़ सका है, जबकि प्रतिवर्ष होने वाली बाढ़-कटान की तबाही का मंजर समय के साथ और खौफनाक होता रहा है. पहाड़ों से आने वाली नदियां मई, जून, जुलाई, अगस्त माह में जमकर तांडव करती हैं. इस त्रासदी में प्रति वर्ष लाखों एकड़ फसलें बर्बाद हो जाती हैं, जबकि सैकड़ों एकड़ भूमि व कई गांव प्रति वर्ष देश के नक्शे से गायब हो जाते हैं. रही बात बिजली, पानी, सड़कों की, तो इनका हाल इतना बुरा है कि जिले में सैकड़ों गांव आज भी बिजली की रोशनी की चमक से कोसों दूर रहे हैं, जबकि सड़कों पर बने बड़े गड्ढे खीरी की कहानी स्वयं बयां कर रहे हैं. वहीं इंडो-नेपाल सीमा पर स्थित प्रदेश का इकलौता पार्क अव्यवस्थाओं का शिकार होता जा रहा है, जबकि मुख्यालय से आठ बजे के बाद यातायात की सारी व्यवस्था नदारद हो जाती है. बहरहाल, देश में भले महंगाई और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चुनाव हो रहा है, लेकिन खीरी में स्थानीय मुद्दों के ही चुनाव में हावी रहने की पूरी संभावना है.
1962 से 2009 तक के सांसद
क्र सं वर्ष विजयी प्रत्याशी/पार्टी
1. 1952 रामेश्वर प्रसाद नेवटिया/कांगे्रस
2. 1957 खुशवक्त राय/प्रजातांत्रिक सोशलिस्ट पार्टी
3. 1962 बालगोविंद वर्मा/कांग्रेस
4. 1967 बालगोविंद वर्मा/कांग्रेस
5. 1972 बालगोविंद वर्मा/कांग्रेस
6. 1977 सुरथ बहादुर शाह/जनता पार्टी
7. 1980 बालगोविंद वर्मा/कांग्रेस
8. 1980 ऊषा वर्मा/कांग्रेस (बालगोविंद वर्मा के निधन के कारण पुन: मध्यावधि चुनाव)
9. 1984 ऊषा वर्मा/कांग्रेस
10. 1989 ऊषा वर्मा/कांग्रेस
11. 1991 जीएल कनौजिया/बीजेपी
12. 1996 जीएल कनौजिया/बीजेपी
13. 1998 रवि प्रकाश वर्मा/सपा
14. 1999 रवि प्रकाश वर्मा/सपा
15. 2004 रवि प्रकाश वर्मा/सपा
16. 2009 जफर अली नकवी /कांग्रेस
50 वर्षों तक एक ही परिवार में रही कुर्सी, नहीं हुआ विकास
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