हजारों विद्यार्थियों का भविष्य लगा दांव पर
भोपाल। एनपीसीसी के पुर्व जोनल मैनेजर ने दो साथियों के साथ मिलकर 11 करोड़ रुपए का घोटाला कर दिया है। जाली बैंक गारंटी से किए गए इस घोटाले की वजह से आईटीआई कॉलेज का निर्माण कार्य रोक दिया गया है। जिसके चलते विद्यार्थियों का भविष्य खतरे में पड़ गया है। पूर्व मैनेजर की इस धोखाधड़ी का खुलासा उस समय हुआ, जब नए जोनल मैनेजर के आने पर बैंक गारंटी को कैश करने के लिए प्रस्तुत किया गया। एनपीसीसी ने शाहपुरा पुलिस को जांच के लिए आवेदन दिया है।

 

 

राजधानी भोपाल में बड़ा घोटाला सामने आया है। एनपीसीसी को श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन द्वारा लगभग 11 करोड़ की बैंक गारंटी दी गई थी। यह बैंक गारंटी एनपीसीसी को श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन को जबलपुर, रीवा, सागर, एवं शहडोल में बन रहे आईटीआई के सिविल निर्माण कार्य के लिए 113.04 करोड़ का निर्माण का ठेका लेने के लिए दी थी। जिसे मध्य प्रदेश हाउसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट बोर्ड ने आवंटित किया था। ठेका 4 जिलों में आईटीआई बनाने के लिए मध्यप्रदेश हाउसिंग बोर्ड ने कंस्ट्रक्शन के लिए एनपीसीसी को 117.91 करोड़ में दिया था। बाद में एनपीसीसी ने में निविदा निकली और देशभर की कंपनियों को आमंत्रित किया था। जिसमें भोपाल की श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन भी शामिल हुई थी। श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन ने सबसे कम रेट 113.04 करोड़ में काम करने को कहा जिसके बाद ठेका इन्हें दे दिया गया था, उसके एवज में श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन ने बैंक गारंटी एनपीसीसी को दी थी। नियमानुसार बैंक गारंटी ठेके के कीमत की 10 प्रतिशत होती है।

दिया जांच के लिए आवेदन
एनपीसीसी ने शाहपुरा पुलिस को एक आवेदन सौंपा है, जिसमें उन्होंने बैंक गारंटी को लेकर दोषियों पर कार्यवाही की मांग की है। एनपीसीसी द्वारा सौंपे गए आवेदन में एनपीसीपी के पूर्व जोनल मैनेजर सुनील कुमार, जो वर्तमान में छत्तीसगढ़ के रायपुर में पदस्थ हैं, श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन के मालिक नितिन सुभाष शर्मा और पार्टनर सौरभ मौर्य के खिलाफ फर्जी बैंक गारंटी की जांच करने का निवेदन किया गया है। यह फर्जी बैंक गारंटी यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया धरमपेठ ब्रांच नागपुर, यूको बैंक गोंडागांव नागपुर की है। क्योंकि श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन का मालिक नितिन सुभाष शर्मा नागपुर में रह रहा है।

ऐसे हुआ मामले का खुलासा
पूरा मामले का खुलासा तब हुआ, जब श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन ने भोपाल की निर्माण कंपनी से पूरे विषय पर बातचीत की और कहा कि इस काम को लेने से तुम्हें फायदा होगा। जब उस कंपनी के मालिक ने यह काम ले लिया और काम शुरू कर दिया। उसके बाद जबलपुर और सागर की साइटों का काम शुरू हुआ और लगभग जब सात करोड़ का काम पूरा हुआ। उस दौरान जब पेमेंट की बारी आई तो श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन ने पेमेंट देने से इनकार किया और फिर कहा कि तुम्हारा एनपीसीसी से कोई भी टाइअप नहीं है और एलओआई के माध्यम से श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन और निर्माण कंस्ट्रक्शन दोनों कंपनियों के बीच टाइअप हुआ था जब निर्माण कंस्ट्रक्शन के मालिक ने टाइअप की एलओआई की बात कही तो वह भी फर्जी निकली।

निर्माण कंपनी के नुकसान की भरपाई और फर्जी एलओआई बनाने को लेकर भोपाल क्राइम ब्रांच में आवेदन दिया और भोपाल क्राइम ब्रांच मामले में 8 महीने से जांच कर रही है। वहीं इस मामले में निर्माण कंपनी, जो कंस्ट्रक्शन का काम करती है, उसका करोड़ों का नुकसान हुआ। जब इन दोनों का विवाद शुरू हुआ तो आईटीआई की साइटों पर जो काम चल रहा था, वह बंद कर दिया गया। काम शुरू करने के लिए जब एनपीसीसी ने दी गई बैंक गारंटी को कैश कराना चाहा और बैंक गारंटी लेकर नागपुर में बताई गई ब्रांच में पहुंचे तो खुलासा हुआ कि सभी बैंक गारंटी फर्जी हैं। वहां पर इस तरह की कोई भी बैंक गारंटी नहीं मिली।

एमपी के नए जोनल मैनेजर एमए मंसूरी ने श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन का ऑफिस बावडिय़ा कला में होने के कारण एनपीसीसी ने शाहपुरा पुलिस को जांच के लिए आवेदन दिया है। बता दें कि आरोपियों ने 21अगस्त 2019 को बैंक गारंटी दी थी, जिसमें 5.7 करोड़ का उल्लेख था। उस दौरान एनपीसीसी के जोनल मैनेजर सुनील कुमार थे। वही बाद में बैंक गारंटी दी गई तो उसमें 4.6 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी एनपीसीसी को दी गई, जिसकी तारिख 4 मई 2021 को श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन के संचालकों ने दी। इस दौरान एनपीसीसी में जोनल मैनेजर बदल गए थे और एमए मंसूरी नए जोनल मैनेजर मध्य प्रदेश ब्रांच के बनाए गए । जब मार्च में नए जोनल मैनेजर मंसूरी आए तो उन्होंने बैंक गारंटी कैश कर काम शुरू कराना चाहा और ऑनलाइन सर्च किया। बैंक गारंटी के बारे में तो वह बैंक में दिखाई नहीं दी, तो वह बैंक गारंटी लेकर बैंक पहुंचे तो पता चला कि ये नकली है। उन्होंने श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन से पूछताछ की।

सौरभ मौर्य सीएम की फर्जी नोट शीट बनाने का रह चुका है आरोपी
जानकारी के मुताबिक मामले में आरोपी सौरभ मौर्य प्रदेश के सीएम की फर्जी नोट शीट बनाने के मामले में आरोपी भी रह चुका है। पूर्व में सौरभ मौर्य ने एक डॉक्टर को जबलपुर आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय का रजिस्ट्रार बनाने के लिए एक डॉक्टर को सीएम की फर्जी नोटशीट बनाकर दी थी और 5 लाख रुपए लिए थे। नोट शीट पर सीएम की साइन भी कर दी थी। इस मामले में उसका एक और साथी भी शामिल था। जब डॉक्टर चार्ज संभालने पहुंचा तो पता चला कि इस तरह की कोई भी प्रक्रिया नहीं हुई थी। जिसके बाद डॉक्टर ने भोपाल क्राइम ब्रांच को सूचना दी थी। क्राइम ब्रांच ने मौर्या गिरफ्तार किया था। अभी भी सौरभ मौर्य के खिलाफ निर्माण कंपनी के चेयरमैन के आवेदन पर क्राइम ब्रांच में जांच लगातार जारी है। एनओसीसी के आवेदन में भी सौरभ मौर्य का नाम शामिल है। अब भी सौरभ मौर्य द्वारा चलाए जा रहे नंबर 9522223459 को यदि ऑनलाइन चेक किया जा रहा है तो वह सीएम ऑफिस के नाम पर भारत सरकार के लोगो के साथ रजिस्टर्ड है। यह नंबर आरोपी सौरभ मौर्य का एनपीसीसी द्वारा दिए गए शाहपुरा पुलिस को आवेदन में अंकित है। हालांकि इस नंबर को लेकर अभी पुलिस में किसी भी तरह की शिकायत नही हुई है।

क्या है एनपीसीसी
राष्ट्रीय परियोजना निर्माण निगम लिमिटेड (एनपीसीसी) एक मिनी-रत्न-श्रेणी है, जिसकी स्थापना 9 जनवरी 1957 को एक प्रमुख निर्माण कंपनी के रूप में की गई थी, ताकि देश के आर्थिक विकास के लिए सिंचाई और जल संसाधनों के मुख्य क्षेत्रों में आवश्यक बुनियादी ढाँचा तैयार किया जा सके। बिजली और भारी उद्योग के क्षेत्र में केंद्र के उपक्रमों में काम करती है। यह देश की 9 रत्न कंपनी में से एक कंपनी है।

आईटीआई के निर्माण के लिए हाउसिंग बोर्ड ने सौंपा था एनपीसीसी को काम
मध्य प्रदेश में 4 आईटीआई कॉलेज बनाने को लेकर मध्य प्रदेश हाउसिंग एंड इन्फ्राट्रक्चर डेवलपमेंट ने एनपीसीसी को 113.4 करोड़ का कार्य सौंपा था। एनपीसीसी ने इस कार्य के लिए देशभर की कंपनी को ठेका देने के लिए टेंडर निकाला था जिसमें श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन ने भी फॉर्म भरा था और सबसे कम दामों में काम करने की बात रख टेंडर हथिया लिया था। बता दें कि चार आईटीआई कॉलेज जबलपुर रीवा शहडोल और सागर में बनना थे, जिनका काम रुक गया है।

एडीबी बैंक से लिया गया है निर्माण कार्य के लिए लोन
आईटीआई कॉलेजों के निर्माण के लिए एडीबी बैंक से लोन लिया गया यह लोन कौशल विकास विभाग ने आईटीआई कॉलेजों के कंस्ट्रक्शन के लिए एशियन डेवलपमेंट बैंक से लिया है। यह कार्य कराने के लिए एनपीसीसी को अधिकृत किया। परंतु अभी तक लगभग ढाई साल से अधिक बीत जाने के बाद भी निर्माण कार्य 30त्न तक ही हुआ है।

पुलिस का कहना जांच जारी
क्राइम ब्रांच के एडिशनल एसपी का कहना है कि इस मामले में 8 महीने से जांच कर रही है। परंतु अभी तक लेटर की सत्यता के विषय में क्राइम ब्रांच को पता नहीं चल पाया है। एसपी राजेश सिंह भदौरिया का कहना है कि एनपीसीसी ने 2 जून 2021 को आवेदन दिया है, जिसकी जांच शाहपुरा पुलिस द्वारा की जा रही है और जल्द ही मामले में समझ कर एफआईआर दर्ज की जाएगी।

ये उठ रहे प्रश्न
-जो फर्जी बैंक गारंटी एनपीसीसी को दी गई तो वह छपी कहां पर?
-इस तरह की कितनी सरकारी उपक्रमों के साथ श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन के मालिकों ने किया धोखा?
-एनपीसीसी को आवेदन दिए 14 दिन से हुए ऊपर क्यों नही की पुलिस ने एफआईआर?
-सौरभ मौर्य के नंबर पर सीएम ऑफिस लिखा आना संदिग्ध गतिविधियों की ओर क्या करता है इशारा?
-इस नंबर के आधार पर वह अभी तक किन किनको कर चुका होगा सौरभ मौर्य फोन ?

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