एक साल में सोलह हजार से अधिक बच्चे मारे गए और अठारह हजार से अधिक बच्चे अनाथ हो गए हैं ! गाजापट्टी में पिछले एक साल से इस्राइली सेना के द्वारा हवाई हमले और सैन्य कार्रवाई जारी है ! करीब 23 लाख आबादी वाले गाजा में अभी तक 41000 से अधिक लोगों की मौत हुई है ! इनमे से 16,765 बच्चे है ! गाजा के अलग- अलग हिस्सो से आने वाले लोग सिर्फ अल – आवासी मानवीय क्षेत्र में रहने के लिए मजबूर है जो गाजापट्टी का सिर्फ 10% हिस्सा है ! इजराइल के हमलों की सबसे बड़ी मार बच्चों को झेलनी पड रही है ! संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि युद्ध के चलते पिछले एक साल में 18000 से अधिक बच्चे अनाथ हो गए हैं उनको पालने वाला कोई नहीं बचा है ! इजराइली हमले में अपने पिता को खोने वाली तलीन अल – हिनावी को अब अपने परिवार में कोई भी नहीं बचा है इसलिए वह अल बरका अनाथालय कैम्प में रह रही हैं ! वे बताती है कि युद्ध में उनका पूरा परिवार खत्म हो गया है ! तलीन कहती हैं कि वह गाजासिटी में अपने घर लौटना चाहती है ताकि बाकी लोगों की तरह पढ़ाई कर सके ! ऐसी ही दास्तान खान यूनूस के रिफ्यूजी कैंम्प में रहने वाली 10 साल की नादा अल – गरीब की है वे कहती हैं कि इस युद्ध ने मेरे पिता और मेरे इकलौते भाई को हमसे छीन लिया है ! वह कहती हैं कि हमारे कैम्प पर इजरायली सेना ने हमला किया और हमारे परिवार के सभी लोग मारे गए ! मैं खाना लेने के लिए बाहर गई हुई थी इसलिए बच गई !
लगभग यही हाल लेबनान का भी है ! लेबनान की राजधानी बेरुत में सडकों से लेकर पार्किंग तक शरणार्थी ही दिखाई दे रहे हैं ! युध्द से प्रभावित लोग सड़क किनारे गद्दे बिछाकर सो रहे हैं, पार्किंग में गाड़ियों को खडा कर अस्थायी तंबू बनाकर रह रहे हैं ! वहीं कुछ लोग समुंदर के किनारे बीच एरिया में लकड़ी या प्लास्टिक के कैम्प बनाकर रह रहे हैं !
लेबनान सरकारने शरणार्थियों कैम्प की व्यवस्था स्कूल, कॉलेज, और दूसरी सरकारी इमारतों में की है ! ये शरणार्थी कैम्प समाजसेवी संगठनों की ओर से चल रहे हैं ! बेरुत के उमर फारुक स्कूल स्थित एक शरणार्थी कैम्प में पेशे से इंजीनियर इमाद विदेश में काम करते थे लेकिन युद्ध के बाद वे लोगों की मदद करने के लिए वापस लौट आये हैं ! इमाद के साथ एला भी मदद कर रही है ! वह कॉलेज में पढती है जो फिलहाल बंद है !
सीरियाई मूल की नूर हसन 25 साल पहले शरणार्थी बनकर लेबनान में आई थी ! हाल के हमलों के पहले नूर के पति बेकरी में काम करते थे लेकिन अब वे शरणार्थी कैम्प की कतार में खड़े होकर खुद रोटी बंटने का इंतजार कर रहे हैं ! 52 साल की साओसन बैरुत के चर्च के पास गद्दा डाले बैठी है ! वो बैरुत से 50 किलोमीटर दूर दक्षिण में डेर जहाइन की रहने वाली है ! वो मोबाइल फोन में अपने मकान की तस्वीर दिखाते हुए बताती है कि उनका पूरा मकान इजराइल द्वारा किया गया हमले में तबाह हो गया है !
इतना सब कुछ होने के बावजूद दुनिया के दादा देश अमेरिका और इंग्लैंड का इस युध्द के बारे में पिछले पचहत्तर सालों से इजराइल के बारे में जो रवैया है वहीं बदस्तूर चल रहा है ! 10,000 स्क्वेयर किलोमिटर फिलिस्तीन की भूमि पर इजरायल की निर्मिति करने की गलती इन दोनों देशों की रही है ! जहाँ फिलिस्तीन की कुल जनसंख्या 20 लाख थी जिसमें यहूदियों की जनसंख्या सिर्फ छह लाख होने के बावजूद यहूदियों को 56% प्रतिशत भूमि, 5,700 स्क्वेयर किलोमीटर भूमि छ लाख यहूदियों को दे दी गई ! और 4,300 स्क्वेयर किलोमीटर भूमि 14 लाख अरबों को दी गई ! और उसमे भी सबसे अधिक उपजाऊ जमीन यहूदियों के हिस्से में और अरबों को उबडखाबड पहाड़ी क्षेत्र दिया गया ! यह बटवारा ही कितना अन्यायकारक रहा है ? और मामला यही नहीं रुका इजराइल ने हर लड़ाई और झगड़े के बाद अरबों से पचहत्तर सालों में जो जमीन दखल की है ! उसे देखते हुए 56% हिस्से के जगह आज इजराइल के पास फिलिस्तीन की बचीखुची जमीन में से भी नब्बे प्रतिशत जमीन पर इजरायल ने अतिक्रमण कर लिया है ! और जगह – जगह पच्चीस तीस फिट की कंक्रीट की दिवारों को खड़ा कर दिया है ! और विश्व की सबसे घनी आबादी वाले इलाके गाजापट्टी और वेस्ट बैंक को बनाए रखना क्या विश्व के मानवाधिकार की दुहाई देने वाले अमेरिका तथा इंग्लैंड को दिखाई नहीं देता है ?
महात्मा गाँधी ने 1938 में ही “Surely it would be a crime against humanity to reduce the proud Arabs so that Palestine can be restored to the Jews partly or wholly as their national home ” बोलते हुए कहा कि जिस तरह से इंग्लैंड अंग्रेजों का है फ्रांस फ्रेंच लोगों का है उसी तरह से फिलिस्तीन अरबों का है ! यहूदियों को अरबों को उपर लादना गलत है और अमानवीय भी है ! ऐसा महात्मा गाँधी ने इजराइल अस्तित्व में आने के दस वर्षों पहले ही चेतावनी दी है ! और हम सभी गांधीजी की विरासत की बात करने वाले लोगों की नैतिक जिम्मेदारी है कि हमने फिलिस्तीन की जनता के साथ ऐसे संकट की घड़ी में देना चाहिए !