भोपाल। नवाबी शासनकाल की चंद पुरानी निशानियों में शामिल शहर के दरवाजे अपनी दुर्दशा और जर्जरता पर आंसू बहा रहे हैं। विभागों का एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालने का नतीजा यह है कि ये निशानियां किसी भी दिन भारभराकर जमींदोज हो सकती हैं।

शहर एक किले की शक्ल में सीमित था, उस दौर में भोपाल की सरहद कुछ दरवाजों में कैद हुआ करता था। इनमें काला दरवाजा, तीन मोहरे, इस्लामी गेट, लाल दरवाजा, बेनजीर गेट, शहीद गेट, जुमेराती गेट आदि शामिल थे। शहर के विस्तार के साथ आबादी इन दरवाजों के पार हो गई और इन गेट का वजूद खत्म हो गया। बदलती व्यवस्थाओं के साथ इन दरवाजों के रखरखाव की जिम्मेदारी भी बदलती रही और समय के साथ ये जर्जर होते गए।

दरक रहा काला दरवाजा
एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद के रूप में विख्यात ताजुल मसाजिद के बाहर स्थित काला दरवाजा धीरे धीरे जर्जर होकर धराशाई होने की कगार पर पहुंच रहा है। इसमें तेजी से गहरी होती दरारों ने इसको कमजोर करना शुरू कर दिया है। दुनिया भर के पर्यटकों की आमद और आधा दर्जन सरकारी दफ्तरों की मौजूदगी के बाद भी इसकी सुध लेने वाला कोई नजर नहीं आ रहा है। पर्यटन, पुरातत्व, नजूल, पीडीडब्ल्यूडी विभागों की बेरुखी ने इसको मुश्किल में डाल रखा है।

बाकी दरवाजे भी खतरे में
बेनजीर गेट लंबे समय से विभागीय अनदेखी का शिकार है, जिसके चलते यहां असामाजिक तत्वों का जमावड़ा बढ़ रहा है। साथ ही अनैतिक गतिविधियां भी यहां पनप रही हैं। शहर प्रवेश के मुहाने पर बने तीन मोहरे की हालत भी गंभीर होकर नीचे गिरने की तरफ बढ़ रही है। पिछले साल विधायक आरिफ अकील ने अपनी निधि से इसका कायाकल्प कार्य करवाया है। इसके बावजूद इस ऐतिहासिक गेट की जर्जरता खत्म नहीं हुई है। इधर इस्लामी गेट लंबे समय से किसी परिवार के आशियाने के रूप में इस्तेमाल हो रहा है तो लाल दरवाजा मॉडल ग्राउंड की मैकेनिक दुकानों और कारखानों के बीच छिपकर अपना वजूद खत्म कर रहा है। कभी बाजारों की शान हुआ करने वाला जुमेराती गेट का एक हिस्सा कुछ साल पहले मिटा दिया गया है, बाकी बचा हुआ हिस्सा भी खत्म होने की कगार पर है।

शहर लगा रहा विधायकों से गुहार
पुराने शहर से संबद्ध दो विधायकों के क्षेत्र में इन दरवाजों की मौजूदगी है। जिसके चलते शहर की निगाह विधायकों आरिफ अकील और आरिफ मसूद की तरफ उठी हुई हैं। क्षेत्र की जनता का कहना है कि शहर की इन विरासतों को बचाने के लिए विधायकों और अन्य सियासी तथा प्रशासनिक ओहदेदारों को आगे आना चाहिए।

इनका कहना है
पुराने दरवाजे, पुरानी इमारतें और धरोहर हमारे शहर की पहचान हैं। इन्हें सहेजने और सुरक्षित रखने के लिए संबंधित विभागों से बात की जाएगी।
आरिफ मसूद, विधायक

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