लोकसभा चुनाव 2019 को अब कुछ ही समय बाकी रह गया है लेकिन बिहार में अब तक महागठबंधन में शामिल दलों के अंदर सीटों को लेकर बंटवारा नहीं हो पाया है. बता दें कि महागठबंधन में शामिल ज्यादातर दलों के बीच सीट शेयरिंग की बात हो गयी है लेकिन आरजेडी और कांग्रेस के बीच सीटों को लेकर अभी भी कोई बात फाइनल नहीं हो पायी है जिसकी वजह से महागठबंधन का जहाज अभी भी बीच समंदर में गोते खा रहा हां है.
यह मामला सीटों को लेकर अटक रहा है और सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक़ बिहार में कांग्रेस 10 से 15 सीट की मांग कर रही है जबकि आरजेडी 10 से ज्यादा सीट देने के मूड में नहीं है. बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं. इस मामले में आरजेडी का पक्ष है उनके पास जो उम्मीदवार हैं वो उस सीट पर क़ाफी अच्छी पकड़ रखते हैं ऐसे में उन दावेदारों को छोड़कर किसी और को टिकट देने में पार्टी को काफी नुकसान हो सकता है.
कांग्रेस की मांग के सामने आरजेडी किसी भी हाल में झुकने को तैयार नहीं है. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि महागठबंधन में शामिल अन्य दलों से बात कर आरजेडी बीच का रास्ता निकालने की कोशिश करेगी. ऐसा माना जा रहा है कि अगर कांग्रेस अपनी मांग से पीछे नहीं हटती है तो उसे 12 सीटें दी जा सकती हैं.
कहा जा रहा है कि कांग्रेस अपनी मांग पर टिकी रहती है तो उसे 12 सीट दी जा सकती है. सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की 3 फरवरी को पटना में रैली होने वाली है, इसी के बाद महागठबंधन के ऐलान की औपचारिक घोषणा हो सकती है. कांग्रेस इस रैली के जरिए लोगों का मूड समझने की कोशिश करेगी. पार्टी के लिए यह रैली काफी महत्वपूर्ण रहने वाली है क्योंकि बिहार में सिमट चुकी कांग्रेस ने हाल के समय में अपने दम पर कोई बड़ी रैली नहीं की है.
आरजेडी राज्य में 22 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है. हाल के समय में तेजस्वी यादव की पार्टी बिहार में काफी मजबूत हुई है, जिसका वे फायदा उठाना चाहते हैं. इसके साथ ही तेजस्वी महागठबंधन में मायावती की पार्टी को शामिल करने के पक्ष में भी है. उत्तर प्रदेश से सटे बिहार के इलाकों में बीएसपी की अच्छी खासी पकड़ है.