सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को फ्री अनलिमिटेड कॉलिंग, डाटा उपयोग और डीटीएच सुविधा मुहैया कराने का निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए केंदेर सरकार ने देश में 3 मई तक लॉकडाउन घोषित किया है।

कोविड-19 महामारी के कारण तीन मई तक जारी लॉकडाउन के दौरान उपभोक्ताओं का मनोवैज्ञानिक दबाव कम करने के लिए उच्चतम न्यायालय से यह सुविधा देने की मांग की गई थी। वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एन वी रमना, एस के कौल और बी आर गवई की पीठ ने कहा कि यह किस तरह की याचिकाएं दायर की जा रही हैं।

याचिकाकर्ता और वकील मनोहर प्रताप ने पीठ से कहा कि वह याचिका को वापस ले लेंगे, जिसमें स्वास्थ्य मंत्रालय को लॉकडाउन या क्वारंटाइन में रखे गए व्यक्तियों पर पैदा हुए मनोवैज्ञानिक दबाव से निपटने के लिए उपयुक्त कदम उठाने का निर्देश देने की भी मांग की गई है।

याचिका में कहा गया था कि भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकार (ट्राई) को डीटीएच सेवा प्रदाताओं को दिए गए लाइसेंस के समझौते की शर्तो में ढील देने का निर्देश दिया जाए। चैनलों और कंटेंट देखने की मुफ्त और असीमित सुविधा प्रदान करने की भी मांग की गई थी। इसके अलावा लॉकडाउन के दौरान वीडियो स्ट्रीमिंग वेबसाइटों की सामग्री मुफ्त में मुहैया कराने की भी मांग की गई थी।

याचिका में कहा गया था कि फोन, वीडियो कॉलिंग से सामाजिक संवाद और डीटीएच पर टीवी चैनलों को देखने जैसे डिजिटल मनोरंजन के माध्यम से लॉकडाउन के दौरान घरों में कैद होने से पैदा हुए मनोवैज्ञानिक दबाव को कम किया जा सकता है। याचिका के अनुसार अधिकांश लोग जो अपने परिवार और मित्रों से दूर हैं, गंभीर मनोवैज्ञानिक दबाव में जी रहे हैं। कोरोना वायरस बीमारी के इलाज के दौरान आइसोलेशन के डर के कारण आत्महत्या की घटनाएं भी सामने आ चुकी हैं।

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