1st पाजेटिव केस मिला था 30 जनवरी को| देश मे कोरोना वायरस से संक्रमित पहला पाजेटिव केस 30 जनवरी को दर्ज होने के बाद न तो कोरोना को आमजन ने सीरियस लिया और नाही सरकार ने जिसका परिणाम यह हुआ कि देश मे कोरोना अपना काम दिखता रहा और सरकार ट्रम्प के आगमन से लेकर दिल्ली चुनाव ओर मध्यप्रदेश में सत्ता परिवर्तन में लगी रही जिसका परिणाम यह निकला कि आज कोरोना महामारी का रूप ले चुका है। सब काम से निपटकर बिना सोचे विचार किये 22 मार्च को जनता कर्फ्यू ओर 25 मार्च से लॉक डाउन कर सरकार इस महामारी को नही रोक पाई उल्टा देश अस्थिर हो गया। अपने घर जाने की जिद ने कई अप्रवासी मजदूरों को लील लिया। खेर सरकार का मकसद था लॉक डाउन कर पाजेटिव केसों को रोकना य कम करना, लेकिन यह भी आंकड़ो की अधिकता के चलते सरकार फेल हो गई बल्कि देश के कई राज्यो में तो सिस्टम में बैठे जवाबदार ही पाजेटिव हो गये। अगर हम पिछले 4 लॉक डाउन के आंकड़ो पर नज़र डालें तो लॉक डाउन का मतलब ही नज़र नही आता।

पहला लॉक डाउन

25 मार्च से 14 अप्रेल
21 दिन
10815 पाजेटिव केस ओर 353 मोत

दूसरा लॉक डाउन

15 अप्रेल से 3 मई
19 दिन
29448 पाजेटिव केस ओर 953 मोत

तीसरा लॉक डाउन

4 मई से 17 मई
14 दिन
50664 पाजेटिव केस ओर 1566 मोत

चौथा लॉक डाउन

18 मई से 31 मई
14 दिन
91216 पाजेटिव केस ओर 2292 मोत

आज 31 मई को भारत मे टोटल पाजेटिव केस 182143 है और 5164 मौते हो चुकी है

लॉक डाउन के 21 ओर 19 दिन में आंकड़े इतने नही बड़े जो बाद के 14 दिन ओर उसके बाद के 14 दिन में डबल बड़े है। वेसे अच्छी बात ये है कि इनमें से आधे स्वास्थ्य हो कर अपने घर जा चुके है।

अब आप इन आंकड़ों को देख कर महामारी का अंदाजा लगा सकते है। अगर आंकड़े ऐसे ही बढ़ते रहे तो भारत कोरोना संक्रमित देशों में विश्व मे पहले नम्बर पर आ जायेगा। अभी भी मौका है, बेवजह बाज़ारो में, रिस्तेदारी में नही जाए, सोशल डिस्टेंसिंग के पालन के साथ मास्क का उपयोग करे।
अगर हम ये माने की अगर लॉक डाउन नही होता तो आंकड़े ओर भयानक होते तो अब लॉक डाउन शिथिल क्यो???
अपनी सुरक्षा, अपने हाथ

शाकिर शेख

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