नई दिल्ली: करतापुर साहिब दर्शन के लिए रजिस्ट्रेशन लगने वाली 20 डॉलर प्रति श्रद्धालु की फीस देने के लिए भारत राजू हो गया है. भारत ने गुरुनानक देव के भक्तों की खातिर मजबूरी में पाकिस्तान की 20 डॉलर फीस की अड़ियल जिद को मान लिया है. यह फीस श्रद्धालुओं को रजिस्ट्रेशन के दौरान ही भरनी होगी. बता दें पाकिस्तान 20 अक्टूबर से करतारपुर दर्शन के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू होने थे लेकिन पाकिस्तान की जिद के चलते भारत ने रजिस्ट्रेशन टाल दिया था.

इसके साथ ही खबर है कि करतारपुर कॉरिडोर के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले समझौते पर अब 23 अक्टूबर के बजाए 24 अक्टूबर को दस्तकत होंगे. भारत ने पहले इस एग्रीमेंट में 20 डॉलर वाली शर्त के चलते इसके फाइनल ड्राफ्ट को नकार दिया था. आखिर श्रद्धालुओं की भाववाओं का सम्मान करते हुए भारत पाकिस्तान की शर्त मानने पर राजी हो गया.

पाकिस्तान इस वक्त आर्थिक तंगी को दौर से गुजर रहा है, ऐसे में वो कहीं से भी पैसा कमाने की जुगाड़ में लगा हुआ है. प्रति श्रद्धालु 20 डॉलर की फीस को भारतीय रुपयों में बदलें तो यह करीब 1420 रुपये होते हैं. पाकिस्तान को इससे हर महीने करीब 21 करोड़ रुपये मिलेंगे.

कांग्रेस ने कहा- मोदी सरकार भरे 20 डॉलर की फीस
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने करतारपुर साहिब जाने वाले हर तीर्थयात्री पर पाकिस्तान की ओर से प्रस्तावित 20 डॉलर के सेवा शुल्क को ‘जजिया टैक्स’ करार देते हुए कहा कि इस पैसे का भुगतान मोदी सरकार को खुद करना चाहिए. तिवारी ने ट्वीट कर कहा, ”अगर पाकिस्तान करतारपुर गलियारे के लिए 20 डॉलर के शुल्क पर जोर देता है और 23 अक्टूबर को भारत समझौते पर हस्ताक्षर करता है तो फिर एनडीए-बीजेपी सरकार को इस जजिया टैक्स का भुगतान खुद करना चाहिए. करतारपुर साहिब जाने के लिए पैसे का भुगतान करना ‘खुले दर्शन’ की भावना के खिलाफ है.”

पाकिस्तान के फैसले पर विदेशमंत्रालय ने क्या कहा था?
मंत्रालय ने कहा, ”यह निराशा की बात है कि भारत के तीर्थयात्रियों की यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए कई मुद्दों पर सहमति बनने के बावजूद पाकिस्तान प्रति तीर्थयात्री प्रति यात्रा 20 डॉलर सेवा शुल्क लगाने पर जोर दे रहा है.” उसने कहा कि सरकार ने पाकिस्तान से लगातार अनुरोध किया है कि तीर्थयात्रियों की इच्छाओं का सम्मान करते हुए उसे इस तरह का शुल्क नहीं लेना चाहिए. बयान में कहा गया था कि भारत किसी भी समय स्थिति के अनुसार समझौते में संशोधन को तैयार होगा.

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