ख़ान आशू
सुर संगम कभी हुआ ही नहीं था… इधर बात तो उधर बे बात, यहां हां तो वहां न की टरर…! एक ही दल की आपसी खींचतान का नतीजा भुगते बैठे लोगों की सियासी जमीन पर एक और टर्राहट शुरू हुई है….! सरकार के फैसले को नकारने की विपक्षी अदा को पक्ष के ही लोगों की हठ नए समीकरण बनाए तो ताज्जुब नहीं होना चाहिए….! Corona का कहर “सबकुछ” डिस्टर्ब करने के साथ धार्मिक आस्थाओं पर भी वार करने से नहीं चुका है…! अकीदत के सजदों से लेकर आस्था के शीर्षासन बाधित हैं…! रब को राजी करने के रोजों से लेकर भगवन को प्रसन्न करने के सावन उपवास तक असर में आए हैं…! खुशियों की ईद से लेकर रक्षा वचन वाले बंधन के पर्व भी महामारी का शिकार हो चुके हैं…!
हालात बेकाबू मानते हुए
प्रेम संदेश देने वाले श्रीकृण के जन्मदिवस, विघ्नहर्ता की आमद और यहां तक कि नौ रूप धारण कर आने वाली मातारानी की अगवानी, असत्य पर सत्य की विजय और दीपों के त्यौहार… और इन सबके बीच इमाम हसन – हुसैन की याद के पर्व पर भी एहतियात बरतने की सरकारी घोषणा हो चुकी है…! सरकार के Corona कहर के लिए अपनाए जाने वाले एहतियाती कदम का विरोध करने सरकार के लोगों में से एक संसार त्यागी महिला सबसे पहले आगे अाई हैं….! सरकार के फैसले से नाखुश होते उन्होंने “जो हो चुका, सो हो चुका” कहकर त्यौहारों पर एहतियात कुर्बान करने का ऐलान कर दिया है…! उम्मीद भरे लहजे में वे ये कहने से नहीं चूक रहीं, हम बात करेंगे, हम फैसला बदलने पर विवश करेंगे…!
सब कुछ ठीक चल रहा था, के दौर में एन दो दर्जन से ज्यादा सीटों के चुनावी मौसम में अपनों के ये विद्रोह स्वर पार्टी की अस्मिता, सरकार की स्थिरता, नेताओं के काम करने की स्वतंत्रता पर क्या असर दिखाएंगे, ये जल्दी ही मंजर ए आम पर होगा….!
पुछल्ला
सवाल तो जायज़ है…!
सोशल मीडिया पर एक मेसेज वायरल है। भिखारी के चित्र के साथ सवाल रखा गया है : अब तक किसी भिखारी की Corona से मौत क्यों नहीं हुई? भिखारी न सेनेटाइजर इस्तेमाल करते, न मास्क लगाते, न काढ़ा, न गर्म पानी का सेवन कर रहे और न ही सोशल डिस्टेंस का पालन ही वह कर पा रहे!