दिल्ली के गांधी पीस फाउंडेशन में शनिवार को सर्व सेवा संघ के संस्थापक महादेव विद्रोही द्वारा ‘कश्मीर समाधान की तलाश’ पुस्तक के विमोचन के उपलक्ष्य में कार्यक्रम आयोजित कराया गया था. इस कार्यक्रम का मुद्दा था- कश्मीर में शांति एवम् लोकतंत्र की स्थापना. इस मुद्दे पर जाने माने पत्रकार व चौथी दुनिया साप्ताहिक अखबार के संपादक संतोष भारतीय ने भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि हमारे देश का माहौल ऐसा बन गया है कि अगर आप कश्मीर को लेकर बात करते हैं, तो लोग कहते हैं कि खाते हमारा हैं, गाते पाकिस्तान का हैं. आपको देशद्रोही बनने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा. उन्होंने कहा कि देश का एक बहुत बड़ा वर्ग है जो मानता है कि कश्मीर का हर व्यक्ति देशद्रोही है और पाकिस्तान के साथ मिला हुआ है.

कार्यक्रम में संतोष भारतीय ने कुछ दिनों पहले की अपनी कश्मीर यात्रा का जिक्र किया, जहां वे डिग्री कॉलेज और हायर सेकेंडरी के स्टूडेंट्स से मिले थे. जब वे वहां गए तो स्टूडेंट्स को लगा कि वे किसी एजेंसी द्वारा भेजे गए हैं. दूसरे राज्य से जाने वाला हर व्यक्ति उन्हें किसी एजेंसी का दलाल लगता है. उन्होंने कहा कि वहां एक भी स्टूडेंट ऐसा नहीं था, जिसे लगता है कि हिन्दुस्तान कश्मीरियों के साथ सही कर रहा है.

स्टूडेंट्स की तारीफ करते हुए संतोष भारतीय ने कहा कि कश्मीर का एजुकेशन लेवल देख वे दंग रह गए, क्योंकि वहां के गांव के बच्चे भी अच्छी इंग्लिश बोलते हैं और हर मुद्दे की जानकारी रखते हैं. लेकिन सबकी जुबान एक ही थी- हमें आजादी चाहिए. वैली के स्कूल के जितने भी टीचर्स है, वे बच्चों को शिक्षा देते हैं कि हिन्दुस्तान से आजादी चाहिए तो लड़ कर आजादी लो, मर तो हम वैसे भी रहे हैं, तो क्यों न लड़ कर मरें.

उन्होंने कहा, मैं नहीं मानता कि कश्मीर में लोकतंत्र है. कश्मीर के लोगों ने जो लोकतंत्र देखा है, वह है बंदूक और आंसूगोले. कश्मीर की हालत बयां करते हुए उन्होंने कहा कि कश्मीर का जो लोकतंत्र है, उसमें किसी को मीटिंग करने की इजाजत नहीं है. यहां तक कि पांच लोग साथ मिलकर नहीं चल सकते. लोगों पर पुलिस की नजर हर वक्त बनी रहती है. जो लोकतांत्रिक अधिकार भारत के बाकी राज्यों में हैं, वे अधिकार कश्मीर में देखने को नहीं मिलते हैं. संतोष भारतीय जितने भी स्टूडेंट्स से मिले, उनके मुताबिक, भारत सरकार ने उन्हें धोखा दिया है. भारत ने राजस्थान और हैदराबाद के रजवाड़ों के साथ जो संधि की, जम्मू-कश्मीर के साथ वैसी संधि नहीं की गई. संतोष भारतीय ने कहा कि मेरी राय है कि जिस दिन जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को भारत सरकार खत्म कर देगी, उस दिन कश्मीर आजाद हो जाएगा.

अंत में उन्होंने कहा कि कश्मीर के लोगों की आवाज दबा देने से वहां का मामला हल नहीं होगा. अगर कश्मीर के लोगों का दर्द समझना है, तो वहां की हवा में जो डर है, बारूद की गंध है, वहां के लोग लोकतंत्र को किस रूप में देखते हैं, इन सारी चीजों को समझना होगा.

 

 

 

Adv from Sponsors

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here